केन्द्रीय बजट मजदूरों, किसानों और बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता….. कामरेड विनोद सोनी….एआईटीयूसी अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर 5 फरवरी, 2025 को बजट के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी….

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भिलाई नगर 1 फरवरी 2025 :- केन्द्रीय बजट मजदूरों, किसानों और बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरताएआईटीयूसी अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर 5 फरवरी, 2025 को बजट के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी।

भिलाई स्टील मजदूर सभा (एटक) के महासचिव का. विनोद कुमार सोनी ने कहा कि बजट 2025-2026 मजदूरों, किसानों और बेरोजगारों की उम्मीदों पर पानी फेरता है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से आम आदमी को राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।यह बजट अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के श्रमिकों, बेरोजगार युवाओं, गरीबों और सीमांत किसानों के लिए एक और झटका है, जिनकी उपेक्षा की गई है।


बजट शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, गरीब, हाशिए पर पड़े और निम्न आय वर्ग की जरूरतों के साथ न्याय नहीं करता है।
मध्यम वर्ग के लिए कर छूट बढ़ा दी गई है, लेकिन आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से लोगों को पहले ही कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है स्वरोजगार और वेतनभोगी श्रमिकों के मासिक वेतन में 2017-2018 की तुलना में 2023-2024 में कमी आई है। कॉर्पोरेट्स की संपत्ति में 22.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसका एक प्रमुख कारण वहां काम करने वाले लोगों के वेतन में कटौती करना है। यह हमारे गरीबों और यहां तक कि मध्यम वर्ग पर बोझ है।


सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण और बिक्री का इसका एजेंडा प्रतिशोध के साथ जारी है।बजट में एमएसएमई को ऋण सुविधाएं बढ़ाने की बड़ी-बड़ी बातें की गई हैं, लेकिन उन इकाइयों के पुनरुद्धार के लिए पर्याप्त पैकेज नहीं दिया गया है।
कृषि संकट का समाधान नहीं किया गया है।


मनरेगा के लिए धनराशि में आवश्यकतानुसार वृद्धि नहीं की गई है, न ही कार्य दिवस बढ़ाए गए हैं। सरकार केंद्रीय व राज्य सरकार के विभागों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में पूर्व-स्वीकृत पदों पर भर्ती करने को तैयार नहीं है, वहीं उसने रोजगार सृजन पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
“व्यापार करने में आसानी” के नाम पर सरकार नियोक्ता-समर्थक, श्रमिक-विरोधी श्रम संहिताओं को आगे बढ़ा रही है, जबकि एकाधिकार कॉर्पोरेट्स के लाभ के लिए नीतियां एक और बजट में परिलक्षित होती हैं।

वित्त मंत्री द्वारा प्रावधानों को आपराधिक नहीं बनाने तथा उल्लंघनों में छूट देने की घोषणा वास्तव में ट्रेड यूनियन आंदोलन को कमजोर करने के उद्देश्य से की गई है, जो देश के 57 करोड़ श्रमिकों की आवाज और हितों का प्रतिनिधित्व करता है। सरकार की मंशा बहुत स्पष्ट है कि व्यावसायिक सुरक्षा और श्रमिकों का स्वास्थ्य सरकार के एजेंडे से बाहर है, क्योंकि उसका इरादा निरीक्षण प्रणाली को समाप्त करने का है। एटक ने बजट 2025-2026 के खिलाफ 05 फरवरी 2025 को अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ देशव्यापी विरोध में शामिल होने का फैसला किया।


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