नयी दिल्ली, 30 जनवरी 2025:-: उच्चतम न्यायालय ने एक ऐसे व्यक्ति की जांच और गिरफ्तारी का आदेश दिया है, जो अवमानना की कार्यवाही का सामना कर रहा है और उसका पासपोर्ट अदालत में जमा होने के बावजूद वह अमेरिका भाग गया था।


न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता के. एम. नटराज से अदालत की सहायता करने और यह बताने को कहा कि उस व्यक्ति को बिना पासपोर्ट के देश से बाहर कैसे जाने दिया गया।



पीठ ने कहा, “हम इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि कथित अवमाननाकर्ता/प्रतिवादी बिना पासपोर्ट के अमेरिका या किसी अन्य देश के लिए कैसे रवाना हो सकता है, जबकि उसका पासपोर्ट इस अदालत के पास है। जो भी हो, अब हमारे पास कथित अवमाननाकर्ता के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।”
पीठ ने इसके बाद उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया।

यह व्यक्ति अपनी अलग रह रही पत्नी के साथ अपने बच्चे की अभिरक्षा को लेकर कानूनी लड़ाई में उलझा हुआ है।
उच्चतम न्यायालय ने गृह मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह प्रतिवादी को गिरफ्तार करने और उसे न्याय के दायरे में लाने के लिए कानून के तहत हर संभव कदम उठाए।
यह आदेश तब आया जब अवमाननाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने बताया कि वह विदेश चले गए हैं।
पीठ ने कहा, “इस संबंध में हम के एम नटराज, एएसजी से अनुरोध करते हैं कि वे इस न्यायालय की सहायता करें। नटराज इस न्यायालय को अवगत कराएंगे कि प्रतिवादी को पासपोर्ट और इस न्यायालय की अनुमति के बिना इस देश से बाहर जाने की अनुमति कैसे दी गई। भारत सरकार के गृह मंत्रालय की सहायता से, वह यह भी पूछताछ कर सकते हैं और इस अदालत को अवगत करा सकते हैं कि देश से भागने में प्रतिवादी की किसने सहायता की और इसमें कौन-कौन अधिकारी और अन्य व्यक्ति शामिल थे।”

पीठ ने सुनवाई की तिथि 19 फरवरी निर्धारित की है।
उच्चतम न्यायालय पत्नी द्वारा अपने अलग हुए पति के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
आठ फरवरी, 2006 को उनका विवाह हुआ था और वे अमेरिका चले गए तथा उनका 10 वर्ष का एक बच्चा भी है। वैवाहिक कलह के कारण हालांकि उस व्यक्ति ने 12 सितंबर, 2017 को अमेरिका के मिशिगन की एक अदालत से तलाक का आदेश प्राप्त कर लिया।

दूसरी ओर, पत्नी ने भारत में अलग रह रहे अपने पति के खिलाफ कई कार्यवाहियां शुरू कीं।
अक्टूबर, 2019 में शीर्ष अदालत के समक्ष दोनों पक्षों के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें से एक आधार यह था कि व्यक्ति को बच्चे की अभिरक्षा उसकी अलग रह रही पत्नी को देनी चाहिए।
जब वह ऐसा करने में असफल रहे, तो महिला की याचिका पर अवमानना कार्यवाही शुरू की गई।
अक्टूबर, 2019 में शीर्ष अदालत के समक्ष दोनों पक्षों के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें से एक आधार यह था कि व्यक्ति को बच्चे की अभिरक्षा उसकी अलग रह रही पत्नी को देनी चाहिए।

जब वह ऐसा करने में असफल रहे, तो महिला की याचिका पर अवमानना कार्यवाही शुरू की गई।
छब्बीस सितंबर, 2022 और 10 नवंबर, 2022 के आदेशों के बाद, उस व्यक्ति को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया था और वह 13 दिसंबर, 2022 को ऑनलाइन पेश हुआ।
अदालत ने 17 जनवरी 2024 को उसे सभी कार्यवाहियों में उपस्थित रहने को कहा था लेकिन वह 22 और 29 जनवरी को सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं हुआ।
