उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधिपतियों की एतिहासिक व गरिमामयी उपस्थिति में छत्तीसगढ उच्च न्यायालय में आयोजित राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस में जिला न्यायापालिका क समक्ष चुनौतियों व भूमिका पर मंथन….. न्यायपालिका लाकतंत्र को रोढ ह, जिला न्यायपालिका भारतीय न्यायपणालो को नोंव है… न्यायाधिपति बी.आर.गवई

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बिलासपुर 28 जुलाई 2024:- छत्तीसगढ उच्च न्यायालय बिलासपुर में  28 जुलाई को भारत में जिला न्यायपालिका की वर्तमान् चुनौतियों व भूमिका पर राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस आयोजित किया गया। उक्त ऐतिहासिक व अभूतपूर्व राज्यस्तरीय कान्फ्रेंस के मुख्य अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश  न्यायमूर्ति बी.आर. गवई थे और उक्त कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश  न्यायमूर्ति विक्रम नाथ एवं  न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा थे । उक्त राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस इस मामले में ऐतिहासिक रहा है कि छत्तीसगढ राज्य के न्यायिक इतिहास में उच्च न्यायालय में आयोजित कान्फ्रेंस में प्रथम बार उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायमूर्तिगणों द्वारा एक साथ भागीदारी की गई।

राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस का उद्घाटन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश  न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया।

मुख्य अतिथि  न्यायमूर्ति बी. आर. गवई द्वारा अपने उद्बोधन में जिला न्यायपालिका के महत्व को रेखांकित करते हुए व्यक्त किया गया कि सभी न्यायाधीशगण एक न्यायिक परिवार है और इसमें कोई अधीनस्थ नहीं है। न्यायमूर्ति ने जिला न्यायपालिका की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि जिला न्यायपालिका न्यायिक प्रणाली की रीढ और आधार है और बिना मजबूत जिला न्यायपालिका के मजबूत न्यायिक प्रणाली की कल्पना नहीं किया जा सकता  जिला न्यायपालिका के लिए आधारभूत संरचना, आधुनिक सुविधाओं और तकनीकी ज्ञान पर बल देते हुए व्यक्त किया कि आधुनिक तकनीकी जिला न्यायपालिका के लिए आवश्यक है और धीरे-धीरे न्यायपालिका को वर्चुअल कोर्ट की तरफ जाना है,

जिसके लिए आधुनिक तकनीकी ज्ञान व संसाधनों से सुसज्जित होना आवश्यक है। माननीय न्यायमूर्ति ने एक आदर्श न्यायाधीश द्वारा धारित किए वाले गुणों के बारे में बताया कि न्यायाधीश को शिष्टता के साथ सुनवाई करनी चाहिए, बुद्धिमत्ता के साथ उत्तर देना चाहिए, सौम्यता के साथ विचार करना चाहिए और निष्पक्षता के साथ निर्णय करना चाहिए। न्यायमूर्ति द्वारा बताया गया कि न्यायाधीशगणों को सामाजिक आर्थिक न्याय पर बल देना चाहिए और जेल में निरूद्ध बंदियों की संख्या और माननीय उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में लंबित जमानत आवेदनों के संदर्भ में विशेष रूप से व्यक्त किया गया कि बंदियों को जमानत देना एक नियम है जबकि जमानत निरस्त करना एक अपवाद है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किया कि एक न्यायाधीश का आचरण कोर्ट के अंदर बहुत महत्वपूर्ण होता है और एक न्यायाधीश को न्यायालय में बोलते हुए बहुत ही सतर्क रहना चाहिए। माननीय न्यायमूर्ति ने जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों को आधुनिक तकनीकी ज्ञान में कुशल होने पर बल दिया और बताया कि न्यायाधीशगण का कार्य दैवीय कृत्य है और इसका बहुत सतर्कता और सावधानी से न्यायसंगत तरीके से निर्वहन किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में व्यक्त किया कि जिला न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और एक सशक्त व निडर जिला न्यायपालिका ही जमीनी स्तर पर लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में और न्याय प्रदान करने में सक्षम होगी। माननीय न्यायमूर्ति ने इस बात पर बल दिया कि न्यायिक प्रणाली में लोगों के विश्वास को संरक्षित व सवंर्धित करने में व लोगों को समय पर न्याय प्रदान करने में जिला न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण है।

छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति  न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने अपने स्वागत भाषण में मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथिगण का छत्तीसगढ उच्च न्यायालय में आयोजित राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस में भाग लेने के लिए आभार व्यक्त किया। माननीय न्यायमूर्ति ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि सभी के सामूहिक प्रयासों से हम एक सशक्त व प्रभावी जिला न्यायपालिका को सुनिश्चित करने में सक्षम होंगे। माननीय न्यायमूर्ति द्वारा विश्वास व्यक्त किया गया कि आज की यह कान्फ्रेंस अपने उद्देश्यों को प्राप्त करेगा और हम लोग जिला न्यायपालिका के समक्ष चुनौतियों को और बेहतर ढंग से निपटने में सक्षम होंगे तथा और अधिक सशक्त व प्रभावी जिला न्यायपालिका बनाने की दिशा में अग्रसर होंगे।

इस राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र के समापन पर   न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।

उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र आयोजित किया गया, जिसमें  न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल  न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू, श्रीमती न्यायमूर्ति रजनी दुबे,  न्यायमूर्ति दीपक तिवारी द्वारा जिला न्यायपालिका के समक्ष चुनौतियों से निपटने के संबंध में विस्तार से व्याख्यान दिया गया और जिला न्यायपालिका के समक्ष चुनौतियों से निपटने के लिए तथा जिला न्यायपालिका को प्रभावी बनाने के लिए उपायों व प्रावधानों की चर्चा की गई और प्रतिभागियों के साथ समूह चर्चा की गई।

न्यायमूर्ति श्री संजय के. अग्रवाल द्वारा समापन सत्र का उद्बोधन दिया गया इस एतिहासिक राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस के सफलता व उपलब्ध्यिों को रेखांकित किया गया।

यह विशेष कि छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश  न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा द्वारा इस एतिहासिक राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस में अपना बहुमूल्य समय देने के लिए  उच्चतम न्यायालय के  न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ  प्रशांत कुमार मिश्रा का विशिष्ट रूप से आभार व्यक्त किया गया।  मुख्य न्यायाधीश द्वारा इस कान्फ्रेंस में उपस्थित उच्च न्यायालय के सभी  न्यायमूर्तिगण जिला न्यायपालिका के प्रतिभागी सदस्यों, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्री के अधिकारीगण, कर्मचारीगण तथा उन सभी लोगों को जिन्होनें इस एतिहासिक राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस को सफल बनाने के लिए प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से योगदान दिया है, को धन्यवाद ज्ञापित किया।


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