भिलाई नगर 18 अगस्त 2024:- छत्तीसगढ़ सिक्युरिटी गार्ड केयर टेकर कर्मचारी संगठन के महासचिव एवं वरिष्ठ श्रमिक नेता एचएस मिश्रा ने रोजगार उपलब्ध कराने के नाम पर ठेकेदार व एजेंसियों द्वारा सुरक्षा गार्डों का शोषण किए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बिना साप्ताहिक अवकाश रोजाना लगातार 12 घंटे काम और रविवार को भी काम लेने के बावजूद सुरक्षा गार्ड और केयर टेकर को तय न्यूनतम मजदूरी नहीं दी जा रही है। इस मामले में जिला व पुलिस प्रशासन को स्वत: संज्ञान में लेकर संबंधित ठेकेदार और एजेंसियों के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए।
छत्तीसगढ़ सिक्युरिटी गार्ड केयर टेकर कर्मचारी संगठन के महासचिव एचएस मिश्रा ने बताया कि भिलाई-दुर्ग से लेकर पूरे छत्तीसगढ़ में सुरक्षा गार्ड एजेंसियों की बाढ़ सी आ गई है। इनमें से 90 प्रतिशत एजेंसियों व ठेकेदार के पास लेबर लाइसेंस, पीएफ कोड, ईएसआई कोड, ट्रेड लाइसेंस व पसारा लाइसेंस नहीं होने की बात सामने आती है।
ऐसी एजेंसियों व ठेकेदारों के द्वारा व्यवसायिक एवं औद्योगिक संस्थान, बैंक, स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, होटल, रेस्टोरेंट व अन्य सभी संस्थानों में कही दस, कही पच्चीस कही सौ, दो सौ से तीन सौ तक व बड़ी एजेंसिया जो संपूर्ण भारत में सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन सुरक्षा गार्डों को सरकार के बनाए नियमों के तहत लाभ व सुविधा न देकर आर्थिक, शारीरिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है।
निजी अस्पतालों में काम करने वाले लगभग सभी अस्पतालों में दो सौ से तीन सौ कर्मचारी मजदूर व वार्ड बॉय व नर्सें काम करती है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा अपने कर्मचारियों और अधीनस्थ मजदूरों को न्यूनतम वेतन, ईपीएफ सहित अन्य सुविधाएं नहीं दी जा रही है। और पांच हजार, सात हजार अधिक से अधिक आठ हजार माहवारी भुगतान किया जाता है। जिनको कोई बोनस, कोई मंहगाई भत्ता, न्यूनतम वेतन, बैंक पैमेंट, वेतन पर्ची, ज्वाईनिंग लेटर, आईकार्ड, छुट्टियों की सुविधा व काम से निकालने के बाद उन्हें अंतिम भुगतान नही दिया जाता है।
जो सरासर कानून का उल्लंघन है। सभी अस्पतालों में दस सुरक्षा गार्ड से लेकर तीस सुरक्षा गार्ड तक नियोजित किए गए है। जिनका 12 घंटा डयूटी और रविवार को भी काम, अतिरिक्त काम का व रविवार के काम का कोई अतिरिक्त भुगतान (ओवरटाईम) नही दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि नियमत: 8 घंटे से ज्यादा समय की ड्यूटी होने पर डबल ओवर टाइम देने का प्रावधान है। इसी तरह कानूनन रविवार को कोई भी एजेंसी अथवा ठेकेदार काम नहीं ले सकता। कहीं पर भी सप्ताह भर में 48 घंटे से अधिक काम का नियम नहीं है।
लेकिन एजेंसी और ठेकेदार सुरक्षा गार्डों और केयर टेकर को बिना किसी साप्ताहिक अवकाश के प्रतिदिन 12 घंटे काम करने के लिए मजबूर कर रहें हैं। निर्धारित 8 घंटे की समयावधि से अधिक काम लेने के बदले कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जा रहा है। वहीं किसी भी सुरक्षा गार्ड व गनमेन को वर्दी और सुरक्षा उपकरण तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।
श्री मिश्रा ने बताया कि सुरक्षा गार्ड एजेंसियों के अधीन काम करने वाले कुछ ही मजदूरों को कुछ ही एजेंसियां बैंक के माध्यम से वेतन भुगतान कर रही है। लगभग 85 प्रतिशत गार्ड और केयर टेकर को कानून से बचने कोरे कागज या फि र वाउचर में हस्ताक्षर लेकर नगदी वेतन भुगतान किया जा रहा है। वहीं जिन सुरक्षा गार्ड और केयर टेकर को बैंक से न्यूनतम वेतन भुगतान किया भी जा रहा है तो एजेंसी और ठेकेदार के नुमाइंदे उनसे 4 हजार से साढ़े 4 हजार रुपए वापस ले लेते हैं।
जो सुरक्षा गार्ड व केयर टेकर पैसा वापस नही देते है उन्हें काम से निकाल दिया जाता है। सुरक्षा गार्डों व केयर टेकर को वेतन पर्ची और पीएफ का यूएएन नंबर नहीं दिया जाता, क्योंकि ईएसआई कार्ड नहीं बनाते है और न ही पीएफ काटा जाता है। एजेंसियों द्वारा नौकरी से निकाल देने की धमकी के भय से सुरक्षा गार्ड अपने साथ होने वाली ज्यादाती का विरोध तक नहीं कर पा रहे हैं। जबकि बिना डर और भय के सुरक्षा गार्डों और केयर टेकर को अपने साथ हो रहे शोषण की जानकारी यूनियन को देनी चाहिए।
श्री मिश्रा ने बताया कि कुछ मामलों में उन्होंने सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराने वाली एजेंसियों से बात की तो बताया गया कि उनसे सेवा लेने वाली कंपनी व ईकाईयां काफ ी कम दर पर उन्हें भुगतान करती है। इस वजह से सुरक्षा गार्डों को न्यूनतम वेतन दिया जाना उनके लिए संभव नहीं है।
ऐसे में सवाल उठता है कि एजेंसियां कम दर पर सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराने का अनुबंध क्यों करती है। श्री मिश्रा ने चेतावनी दी है कि कारखाना प्रबंधन या सुरक्षा गार्ड का सेवा लेने वाली कोई भी संस्थान न्यूनतम वेतन से कम दर पर किसी को भी काम न दें, अन्यथा उनके खिलाफ कार्यवाही कर पार्टी बनाया जाएगा।