भविष्य में अपराध नहीं करने बदमाशों से पुलिस भरवा रही बॉन्ड
00 अपराध करने पर जुर्माना भरना होगा नहीं तो जाएंगे जेल
00 दुर्ग जिले के विभिन्न थानों में 330 बदमाशों ने किया एग्रीमेंट

भिलाई नगर 31 जुलाई 2025:- दुर्ग पुलिस ने अपराध को नियंत्रित करने कानून के दायरे में रहकर नया और अनूठा उपाय निकाला है। इसके लिए आदतन बदमाशों से भविष्य में अपराध नहीं करने बाकायदा बॉन्ड भरवाया जा रहा है। अब तक दुर्ग जिले के विभिन्न थानों में 330 गुंडे बदमाशों से इस तरह का एग्रीमेंट किया जा चुका है। इस एग्रीमेंट का उलंघन करने पर बदमाश से जुर्माना वसूला जा सकता है या फिर उसे जेल की हवा खानी पड़ सकती है।

दुर्ग जिले के 23 थाना और 6 चौकियों में कुल गुंडा-बदमाश 515 और निगरानी बदमाश 265 हैं। इन अपराधियों के खिलाफ पुलिस ने बॉन्ड ओवर की कार्रवाई शुरु की है। एसएसपी विजय अग्रवाल ने थानेदारों को सख्त निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने थाना क्षेत्रों के हर एक बदमाशों को थाना बुलाकर एसडीएम के पास उनका बाउंड ओवर कराएं ताकि वे आर्थिक रुप से कमजोर होने पर अपराध करने से डर सकें। पुलिस थानों में अपराधियों से अलग-अलग बॉन्ड भरवाया जा रहा है। इसके भरने के बाद अपराधी अगर अपराध करता है तो उसकी संपत्ति कुर्क कर यह तय राशि वसूली जाएगी। अभी तक करीब 75.24 प्रतिशत गुंडे-बदमाशों से बॉन्ड भरवाया जा चुका है।
इसी प्रकार निगरानी बदमाश अपराधियों के मामले में 56.60 प्रतिशत प्रतिवेदन भेजा गया है। बॉन्ड में बकायदा अपराधियों के हस्ताक्षर लिए जा रहे है। आदतन अपराधी यदि नया अपराध करता है तो बॉन्ड का तय राशि एसडीएम कोर्ट में जमा करना होगा। पुलिस अधिकारियों की मानें तो इस कवायद से अपराधियों में भय बना रहेगा। जिससे अपराधिक मामलों में कमी आ सकती है।
अपराधियों में यह डर बना रहेगा कि आपराधिक गतिविधियां करेंगे तो उनको गिरफ्तार कर जेल पहुंचाया जाएगा। शपथ पत्र भरवाने के बाद उन पर लगातार पुलिस नजर रखी हुई है तथा उनके आसपास क्षेत्र में कोई आपराधिक गतिविधियां होती है तो उन पर भी गाज गिर सकती है।
00 एक प्रकार का जमानत है बॉन्ड ओवर
बॉन्ड ओवर एक कानूनी शब्द है जिसका उपयोग भारतीय न्याय प्रणाली में किया जाता है। यह एक प्रकार की जमानत है जिसमें आरोपी को अदालत द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए अच्छे आचरण के लिए बाध्य किया जाता है। इसका उद्देश्य आरोपी को भविष्य में अपराध न करने और अदालत के निर्देशों का पालन करने के लिए प्रेरित करना है। बॉन्ड ओवर की शर्तें अदालत द्वारा निर्धारित की जाती हैं, जैसे कि नियमित रूप से अदालत में उपस्थित होना या किसी विशिष्ट गतिविधि में शामिल न होना।
यदि आरोपी बॉन्ड ओवर की शर्तों का उल्लंघन करता है, तो उसे कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि जमानत की राशि का जब्त होना या आगे की कानूनी कार्रवाई। अदालत के पास बॉन्ड ओवर की शर्तें निर्धारित करने और उन्हें लागू करने का विवेकाधिकार होता है।





