श्री शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी, भिलाई में तुलसी जयंती का आयोजन……

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भिलाई नगर 12 अगस्त 2024:- श्री शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी भिलाई में  12 अगस्त को हिन्दी विभाग द्वारा तुलसी जयंती का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्जवलन से हुआ। तत्पश्चात महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. अर्चना झा ने अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को यह बताया कि तुलसी चरित्र एक समुद्र के जैसे गहराईयों के समान है इस समुद्र से आप दो-चार मोती भी चुनकर अपने व्यक्तित्व में समाहित कर लेते हैं तो आपका जीवन सफल हो जाएगा एवं आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में अवश्य ही सफल हो जाएंगे।

महाविद्यालय के डीन (अकादमिक) डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव ने अपने उद्बोधन में यह बताया कि रामचरितमानस विदेशों में कैसे प्रसिद्धि प्राप्त कर रहा है एवं विदेशी इसे अपनाकर अपने आप को धन्य समझ रहे हैं। श्री तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस को लिखने में तुलसीदास जी को एक नहीं अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। किंतु वे अडिग रहे। ईश्वर भी उन्हीं का साथ देता है जो अपना साथ स्वयं देते हैं। आज रामचरितमानस भारत में ही नहीं संपूर्ण विश्व में एक सम्माननीय दृष्टि से देखा जाता है एवं इसका पठन-पाठन किया जाता है।

हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. श्रद्धा मिश्रा ने अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को बताया कि तुलसीदास जी को प्रभु राम कैसे दर्शन दिया एवं उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त करने में अपना आर्शीवाद प्रदान किया। उसके पश्चात ही रामचरितमानस की रचना हुई। उन्होंने अपने उद्बोधन में यह भी बताया कि प्रभुराम ने रामचरितमानस पर अपने दस्तखत भी किये हैं क्योंकि तुलसीदास जी को धर्म विरोधी लोगों ने महान ग्रंथ की प्रमाणिकता पर संदेह जताया था।

तुलसीदास जी ने श्रीराम का स्मरण कर बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में रामायण को रखकर श्रीराम से रामायण पर दस्तखत करने की प्रार्थना की। प्रभु ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। आज रामचरित मानस जनजन में प्रचलित है। उन्होंने विद्यार्थियों का यह निवेदन किया कि आप सभी रामायण के एक अंश के अंश को भी यदि अपने जीवन में अपना लें तो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता आपके कदम चूमेगी।

कार्यक्रम की सफलता पर प्राचार्य डॉ. अर्चना झा एवं डीन (अकादमिक) डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव ने हिन्दी विभाग को बधाईयां दी। इस कार्यक्रम में हिन्दी की मंजू मिश्रा, डॉ. मालती साहू, डॉ. शिल्पा कुलकर्णी, डॉ. सीमा द्विवेदी एवं अन्य विभाग के समस्त प्राध्यापकगण तथा लगभग 100 विद्यार्थियों ने अपनी उपस्थिति दी।


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