बैकुंठपुर 26 सितंबर 2024:- वर्तमान समय में दिल से संबंधित बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और हार्ट अटैक के मामले में समय पर उचित ईलाज न मिल पाने से लोगों की जान चली जाती है। ऐसे आपातकालीन स्थितियों में जीवन बचाने का एक महत्वपूर्ण और प्राचीनतम उपचार पद्धति है ‘सीपीआर’ (कार्डियोपल्मोनरी रेससिटेशन), जिसकी महत्ता को रेखांकित करते हुए रक्षित केंद्र बैकुंठपुर में एक विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के पुलिस अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए। इस प्रशिक्षण शिविर का उद्देश्य पुलिसकर्मियों को आपातकालीन स्थितियों में प्राथमिक उपचार प्रदान करने के योग्य बनाना था, ताकि वे किसी की जान बचा सकें।
24 सितंबर 2024, मंगलवार को सुबह जनरल परेड के पश्चात् पुलिस अधीक्षक कोरिया सूरज सिंह परिहार द्वारा इस प्रशिक्षण हेतु आवश्यक व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने हेतु रक्षित निरीक्षक को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए थे।उन्होंने यह भी आदेश दिया कि जिले के रक्षित केंद्र, पुलिस अधीक्षक कार्यालय, समस्त थाना एवं चौकियों में पदस्थ अधिकारी और कर्मचारियों को इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण में अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित होकर लाभान्वित होने के लिए निर्देशित किया जावे।
उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में एनेस्थिसिया विशेषज्ञ, डॉ. मनीष कुर्रे ने अपने विशेष योगदान द्वारा पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रेससिटेशन) तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी और इसे सही ढंग से उपयोग करने की विधियों को स्पष्ट रूप से समझाया। डॉ. मनीष ने बताया कि सीपीआर न केवल हार्ट अटैक जैसी आपातकालीन स्थितियों में उपयोगी है, बल्कि यह डूबने, बिजली गिरने, या अचानक बेहोशी की स्थिति में भी एक जीवन रक्षक तकनीक के रूप में काम आ सकता है।
प्राथमिक सहायता प्रशिक्षण शिविर: पुलिसकर्मियों को जीवन रक्षक बनने का अवसर
सीपीआर प्रशिक्षण शिविर की यह पहल, “हर घर जीवन रक्षक” की थीम पर आधारित है, जिसमें सभी नागरिकों को आपातकालीन स्थितियों में आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी जाए रही है। डॉ मनीष ने बताया कि जब किसी व्यक्ति को अचानक हार्ट अटैक हो या उसकी सांसें रुक जाएं, तो सीपीआर की मदद से उसकी जान बचाई जा सकती है। इस शिविर के दौरान पुलिसकर्मियों को बताया गया कि कैसे वे किसी दुर्घटना स्थल पर सबसे पहले व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर लाकर प्राथमिक उपचार शुरू कर सकते हैं।
सीपीआर की प्रक्रिया में सबसे पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि पीड़ित की पल्स चल रही है या नहीं। इसके बाद, पीड़ित की छाती के बीच में हाथ रखकर तेजी से दबाव डालना होता है। यह प्रक्रिया कम से कम 30 बार की जाती है और इसे कई चरणों में दोहराया जाता है। इस तकनीक के सही तरीके से अभ्यास से पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी के दौरान किसी भी आपातकालीन स्थिति में प्राथमिक उपचार प्रदान कर सकते हैं।
सीपीआर: जान बचाने की अनिवार्य तकनीक
सीपीआर एक आपातकालीन प्राथमिक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी की सांस या दिल की धड़कन रुक जाती है। इस तकनीक में प्रशिक्षित व्यक्ति, पीड़ित को समय पर आवश्यक दबाव देकर उसकी धड़कन और सांसें वापस ला सकता है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसे अगर सही समय पर और सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो अनगिनत लोगों की जान बचाई जा सकती है। डॉ मनीष ने कहा, “सीपीआर आपके पास एक छुपी हुई औषधि है। इसे सही तरीके से उपयोग करने से आप किसी की भी जान बचा सकते हैं।”
इस प्रशिक्षण शिविर में पुलिस अधीक्षक कोरिया, श्री सूरज सिंह परिहार, उप पुलिस अधीक्षक मुख्यालय श्री श्याम मधुकर, उप पुलिस अधीक्षक नेलशन कुजूर, रक्षित निरीक्षक नितीश आर. नायर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। शिविर में जिले के लगभग 130 पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे, जिन्होंने सीपीआर तकनीक के साथ-साथ अन्य प्राथमिक उपचार विधियों का प्रशिक्षण प्राप्त किया। रेड क्रॉस शाखा प्रभारी तारा मारवी और अन्य चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी इस प्रशिक्षण में अपना योगदान दिया।
इस प्रशिक्षण का उद्देश्य पुलिसकर्मियों को आपातकालीन स्थितियों में और अधिक कुशल बनाना है ताकि वे किसी दुर्घटना या आपदा की स्थिति में तत्काल प्रभावी कदम उठा सकें। प्रशिक्षण के दौरान पुलिसकर्मियों ने न केवल सीपीआर बल्कि अन्य प्राथमिक उपचार तकनीकों के बारे में भी जानकारी प्राप्त की, जिससे वे किसी भी आपातकालीन स्थिति का सामना करने के लिए बेहतर रूप से तैयार हो सकें। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि सीपीआर जैसी तकनीकें आज की बदलती जीवनशैली और आपातकालीन परिस्थितियों में अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गई हैं। इस प्रकार के प्रशिक्षण शिविरों से न केवल पुलिसकर्मी बल्कि आम नागरिक भी लाभान्वित हो सकते हैं। जीवन रक्षक तकनीकों की जानकारी सभी को होनी चाहिए, ताकि किसी भी आपात स्थिति में समय रहते सही कदम उठाया जा सके और बहुमूल्य जीवन बचाया जा सके।