मानस मर्मज्ञ पंडित बल्देव प्रसाद मिश्र जी की 126 वीं जयंती पर साकेत संत सम्मान….

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भिलाई नगर 13 सितंबर 2024:- साहित्य मनीषी,मानस के मर्मज्ञ, दार्शनिक और शिक्षा विद अंचल के प्रथम डी लिट डॉ बलदेव प्रसाद मिश्र की 126 वी जयंती का आयोजन कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच, सेक्टर -1 मानव आश्रम के सभागार में 12 सितंबर, 2024 को मध्यान्ह किया गया।


अभूतपूर्व रचनाओं के रचीयता डॉक्टर बल्देव प्रसाद जी मिश्र के तैल चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करके पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के राज्य गान श्रीमती एस ममता राव जी द्वारा मघुर स्वर के साथ प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर अतिथियों और विशेष आमंत्रित अतिथि साहित्यकारों का स्वागत पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए गमले युक्त पौधों से किया गया।


डॉक्टर बल्देव प्रसाद मिश्र ने रामचरित मानस के सिद्धांतों की बहुत ही सरल व्याख्या कर जन मानस तक पहुंचाया है। उनकी व्याख्या उनके रचित ग्रंथ मानस मंथन का अध्ययन कर समझी जा सकती है। आपकी रचनाओं और साहित्य की एक लंबी सूची है। अपने जीवन काल में 80 प्रकाशित एवं अनेक अप्रकाशित पुस्तकें लिखी हैं। उनमें से ही मुक्त संगृह, साकेत संत का प्रकाशन सन् 1946 में हुआ था।


डॉक्टर बल्देव प्रसाद मिश्र जी मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष, अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तुलसी जयंती समारोह के भी अध्यक्ष पद को सुशोभित किया।
डॉक्टर बल्देव प्रसाद मिश्र जी की कृतियों और उनके सम्मान में अनेकों सम्मतियां लिखी गई और प्रदान की गई हैं।
विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर जी, राष्ट्र कवि मैथलीशरण गुप्त जी, पंडित अयोध्या सिंह उपाध्याय, हरिऔध जी, हिंदी के युग प्रवर्तक पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी जी आदि विचारक, चिंतकों ने अपने अपने सारगर्भित पत्रों के माध्यम से सम्मानित किया है।


डॉक्टर बल्देव प्रसाद मिश्र जी के मुख से प्रत्यक्ष राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी ने रामायण की विद्वतापूर्ण व्याख्या श्रवण कर कहा था कि आपने अपने विषय पर गहन अध्ययन किया है।
इस आयोजन में कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच के अध्यक्ष श्री उमाशंकर दीक्षित द्वारा अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि राष्ट्र की धरोहर संस्कृति, साहित्य, इतिहास हैं, जिनके माध्यम से राष्ट्र सदैव ही उन्नति पथ पर अग्रसर होता है। इसे हमें और आगामी पीढ़ी को समझना, सहेजना और अंगीकार कर कार्य रुप में परिणित करना चाहिए ।


मुख्य अतिथि की आसंदी से प्रसिद्ध साहित्यकार श्री जय प्रकाश साव जी जिनकी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में 100 से अधिक आलोचनात्मक लेख प्रकाशित हैं ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा और साहित्य समाज के लिए अति आवश्यक हैं। बुद्धि और विद्या के बिना मानव जाति का उत्थान असंभव है। आदरणीय बल्देव प्रसाद मिश्र जी के सहज सरल अंहकार से परे गरिमामय व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। मिश्र जी के दृष्टिकोण से सभी धर्मों से सर्व श्रेष्ठ धर्म मानव धर्म है। आपके द्वारा रचित प्रत्येक रचनाओं में संत तुलसीदास जी के महान ग्रंथ रामचरितमानस के पात्रों का सटिक विश्लेषण रहता है।

विशिष्ट अतिथि द्वय प्रसिद्ध साहित्यकारों श्री लोक बाबू जिनके द्वारा रचित कई कहानियां प्रकाशित हुई है। 1999 में हिंदी के श्रेष्ठ उपन्यास का वागीश्वरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, ने डॉक्टर बल्देव प्रसाद मिश्र जी के विचारों संस्मरण किया। आपने कहा कि आदरणीय मिश्र जी के प्रथम प्रयास से ही राजनांदगांव को जिला घोषित करने में सफलता प्राप्त हुई। डॉक्टर बल्देव प्रसाद मिश्र जी के काव्य संग्रहों का प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए। मानस के सिद्धांतों की सटीक व्याख्या से वर्तमान से भविष्य की पीढ़ी संस्कारों से परिपूर्ण हो सके ।


प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती प्रतिमा मिश्रा जी ने विचार व्यक्त किया प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। श्रुति का अत्यधिक महत्व होता है, इससे ही हमारे अंतर्मन में हलचल पैदा होती है, जो हमें संस्कृति और उत्तम संस्कारों की ओर ले जाने में सहायक है।
दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव के सेवानिवृत्त व्याख्याता श्री आर पी दीक्षित जी ने बहुत ही सहज सरल वाणी से डाक्टर बल्देव प्रसाद मिश्र जी के साथ आत्मीयता से परिपूर्ण दैनिक दिनचर्या, स्वभाव और विचारों से अवगत कराया।विशिष्ट अतिथि  प्रभु नाथ मिश्र, श्रीमती विनोदनी पाण्डेय, आशीष मिश्रा  ने अपने सारगर्भित विचारों से सभी को अवगत कराया।


कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच मानव आश्रम भिलाई दुर्ग द्वारा आयोजित डॉक्टर बल्देव प्रसाद मिश्र जी की जंयती पर साकेत संत सम्मान से अलंकृत करने के पूर्व महासचिव रविन्द्र मिश्र जी के द्वारा साकेत संत सम्मान का वाचन किया।समाज के अध्यक्ष श्री उमाकांत दीक्षित जी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संतोष दीक्षित जी, महासचिव रविन्द्र मिश्र जी ने मुख्य अतिथि साहित्यकार श्री जय प्रकाश साव जी को साकेत संत सम्मान कै साथ शाल श्रीफल स्मृति चिन्ह से अलंकृत किया।


विशिष्ट अतिथि साहित्यकार द्वय श्री लोक बाबू जी, श्रीमती प्रतिमा मिश्रा जी को शाल श्रीफल स्मृति चिन्हों से अलंकृत किया।
आभार व्यक्त सचिव श्री राकेश शुक्ला जी ने किया।
मंच का सफल संचालन करते हुए राकेश कुमार शुक्ला ने डॉक्टर बल्देव प्रसाद मिश्र जी के गरिमामय व्यक्तित्व, काव्यात्मक रचनाओं एवं उपलब्धियों से अवगत कराया।
आयोजित कार्यक्रम के समापन के पूर्व राष्ट्रगीत का गान किया गया।


कार्यक्रम में डी पी राय, राम-लखन मिश्रा, रमेश शर्मा, श्रीमती ममता अवस्थी, श्रीमती विजया मिश्रा, विजय तिवारी, अतुल अवस्थी, संदीप दीक्षित, सी के तिवारी, चंद्र किरण मिश्रा, श्रीमती ममता राव , श्री चकरैल, डॉक्टर कोमलसिंह सार्वा आदि अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।


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