ईपीएस-95 हायर पेंशन हेतु सेफी का संघर्ष हुआ तेज…..हायर पेंशन हेतु न्यायालय की शरण में जाने का मार्ग हुए प्रशस्त…..

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ईपीएस-95 हायर पेंशन हेतु सेफी का संघर्ष हुआ तेज
हायर पेंशन हेतु न्यायालय की शरण में जाने का मार्ग हुए प्रशस्त

भिलाई नगर 21 मार्च 2025:- ईपीएस-95 हायर पेंशन हेतु सेफी 2017 से ही संघर्षरत रहा है। मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक्सजेम्टेड पीएफ ट्रस्टों को हायर पेंशन के दायरे से बाहर रखा था। सेफी ने अपने अपेक्स संगठन, एनसीओए (नेशनल कांर्फडरेशन ऑफ आफिसर्स एसोसिएशन) के बैनर तले सुप्रीम कोर्ट में ईपीएस-95 हायर पेंशन हेतु कानूनी लड़ाई लड़ी थी। जिसके फलस्वरूप 4 नवम्बर 2022 को  सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक्सजेम्टेड पीएफ ट्रस्टों को हायर पेंशन हेतु पात्रता प्रदान की गयी। इससे पहले सेफी ने झारखंड हाईकोर्ट रांची में भी अपनी अपील ईपीएस-95 हायर पेंशन हेतु दायर की थी। जिसे 2020 में  न्यायालय ने सेफी के पक्ष में फैसला लिया था।


सेफी चेयरमेन, एनसीओए के वर्किंग प्रेसिडेंट एवं ओए-बीएसपी के अध्यक्ष  नरेन्द्र कुमार बंछोर ने ईपीएस-95 के तहत सेल के विभिन्न इकाईयों के कार्मिकों के हित में ईपीएस-95 हायर पेंशन हेतु संघर्ष को और तेज करने की जानकारी दी। श्री बंछोर ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के 04 नवम्बर 2022 के फैसले के अनुरूप कार्मिकों को हायर पेंशन दिया जाना चाहिए था परंतु विडम्बना यह है कि ईपीएफओ के द्वारा नियम कानून की गैर जरूरी व्याख्या कर इसे लटकाने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। आज सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को ढाई वर्ष से अधिक बीत चुका है परंतु आज भी लाखों लोग हायर पेंशन की सुविधा से वंचित हैं।


ईपीएफओ ने एक्सजेम्टेड पीएफ ट्रस्ट में अनावश्यक कमियां निकालकर इन कार्मिकों को हायर पेंशन से वंचित करने का षड़यंत्र किया है। माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के फैसले का पैरा 44(ii) को अगर अवलोकन किया जाए तो यह ईपीएफओ के अनावश्यक विवाद को सुलझाया जा सकता है। परंतु ईपीएफओ ने सर्वाेच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार छूट प्राप्त प्रतिष्ठानों के श्रमिकों/पेंशनभोगियों को उच्च वेतन पर उच्च पेंशन (पीओएचडब्ल्यू) के लिए वैध अधिकार से वंचित करने के लिए अनेक हथकंडे अपना रहा है। जबकि पैरा 44(ii) में दर्शाया गया है कि ‘अधिसूचना संख्या जीएसआर 609 (ई) दिनांक 22 अगस्त 2014 द्वारा पेंशन योजना में लाया गया संशोधन छूट प्राप्त प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों पर उसी तरह लागू होगा जैसे नियमित प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों पर लागू होता है।’ ईपीएफओ द्वारा जारी मनमाने परिपत्रों में गलत तरीके से व्याख्या कर लोगों को हायर पेंशन से वंचित करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है जो कि न्यायसंगत नहीं है।


सेफी चेयरमेन श्री बंछोर ने जानकारी दी कि कार्मिकों को हायर पेंशन दिलाने हेतु प्रत्येक स्तर पर प्रयास किया गया है जिसमें संबंधित मंत्री, ईपीएफओ के केन्द्रीय अधिकारी, ईपीएफओ के क्षेत्रीय अधिकारी तथा सेल व बीएसपी प्रबंधन से निरंतर पत्र व्यवहार व संवाद किया गया है। पंरतु ईपीएफओ के अड़ियल रवैये ने हायर पेंशन के इस मुद्दे को जटिल बना दिया है। एक्सजेम्टेड पीएफ ट्रस्ट के हायर पेंशन से संबंधित नियमों की जानकारी आम कार्मिकों को नहीं होती है। अतः इस हेतु आवश्यक नियम अनुपालन की जिम्मेदारी उस इकाई के ट्रस्ट की होती है।


अतः इसको ध्यान में रखते हुए सेफी चेयरमेन श्री बंछोर ने सेल व बीएसपी प्रबंधन से ईपीएस-95 हायर पेंशन हेतु ईपीएफओ के विरूद्ध  न्यायालय की शरण में जाने की मांग की थी। श्री बंछोर का मानना है कि व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक कार्मिक का हायर पेंशन हेतु न्यायालय में जाना और उसके खर्चे को वहन करना संभव नहीं है। अतः सेल के जिन इकाईयों में हायर पेंशन में ईपीएफओ द्वारा रोड़े अटकाए गए है इसके निराकरण हेतु उस इकाई के पीएफ ट्रस्ट द्वारा न्यायालय में केस दायर किया जाना चाहिए। जनहित के इस मुद्दे पर सेफी ने सेल प्रबंधन एवं बीएसपी प्रबंधन से कई बार चर्चाएं की है।


सेफी के इस मांग के अनुरूप सेल प्रबंधन ने इकाईयों में संचालित पीएफ ट्रस्ट को माननीय न्यायालय में जाने की हरी झंडी दे दी है। सेफी चेयरमेन  बंछोर ने यह उम्मीद जताई है कि सेल के सभी इकाईयों के पीएफ ट्रस्ट ईपीएस-95 हायर पेंशन के संदर्भ में अपने सदस्यों को न्याय दिलाने हेतु शीघ्रातिशीघ्र न्यायालय के माध्यम से कानूनी प्रक्रिया प्रारंभ करेंगे।


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