भिलाई इस्पात संयंत्र ने ब्लूम गुणवत्ता में ऐतिहासिक सुधार किया: एसएमएस-2 में तकनीकी नवाचार और नेतृत्व की भूमिका रही अहम….

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सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने ब्लूम गुणवत्ता में ऐतिहासिक सुधार किया: एसएमएस-2 में तकनीकी नवाचार और नेतृत्व की भूमिका रही अहम

भिलाई नगर 02 जुलाई 2025:- भिलाई इस्पात संयंत्र ने गुणवत्ता संवर्द्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए अपने स्टील मेल्टिंग शॉप-2 (एसएमएस-2) में ब्लूम कास्टिंग की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया है। यह सुधार विशेष रूप से मशीन-5 से उत्पादित ब्लूम्स की गुणवत्ता में देखने को मिला है, जो रेल एवं स्ट्रक्चरल मिल (आरएसएम) तथा यूनिवर्सल रेल मिल (यूआरएम) के लिए प्रमुख आपूर्ति स्रोत है।
मुख्य महाप्रबंधक (एसएमएस-2)  एस.के. घोषाल के नेतृत्व में, महाप्रबंधक प्रभारी (यांत्रिकी, सीसीएस)  टी. गोविंद, महाप्रबंधक (यांत्रिकी, सीसीएस)  एन.के. देथे तथा महाप्रबंधक प्रभारी (सीसीएस प्रचालन)  एस. देबसीकदर की टीम ने इस सुधार यात्रा की शुरुआत की।

टीम एसएमएस-2 द्वारा की गई गहन ‘रूट कॉज एनालिसिस’ में पाया गया कि सेकेंडरी कूलिंग ज़ोन के ‘एयर मिस्ट सिस्टम’ में व्याप्त तकनीकी कमियाँ ब्लूम की सर्फेस गुणवत्ता और आंतरिक साउंडनेस को प्रभावित कर रही थीं।


इस निष्कर्ष के आधार पर 18 मार्च 2024 को एक आईपीयू प्रस्ताव तैयार किया गया। इसके अंतर्गत वैश्विक स्प्रे कूलिंग टेक्नोलॉजी में अग्रणी कंपनी मेसर्स लेच्लर को कार्यादेश सौंपा गया। अप्रैल 2025 के पहले सप्ताह में ब्लूम कास्टर की सभी चार स्ट्रैंड्स पर अपग्रेडेड एयर मिस्ट कूलिंग सिस्टम की सफलतापूर्वक कमीशनिंग की गयी।
इस तकनीकी हस्तक्षेप के परिणाम त्वरित और प्रभावशाली रहे। एसएमएस-2 से कास्ट किए गए 130-मीटर श्रेणी के ब्लूम्स की गुणवत्ता वित्त वर्ष 2024-25 में 60% थी, जो वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में बढ़कर औसतन 77.36% हो गई। इसी प्रकार, 117-मीटर श्रेणी में यह सुधार 84.01% से बढ़कर 93.60% तक पहुँच गया। ये आंकड़े तकनीकी समाधान की प्रभावशीलता और एसएमएस-2 टीम की निष्कलंक निष्पादन क्षमता को दर्शाते हैं।


ब्लूम गुणवत्ता में इस उल्लेखनीय सुधार का सीधा लाभ रेल उत्पादन में भी परिलक्षित हुआ। यूनिवर्सल रेल मिल में एसएमएस-2 से प्राप्त ब्लूम्स का उपयोग कर बनाए गए रेलों की ‘प्राइम एक्सेप्टेंस रेट’ अप्रैल से जून 2025 की अवधि में 93.05% से बढ़कर 96.94% हो गई। वहीं कुल एक्सेप्टेंस रेट वित्त वर्ष 2024-25 में 97.74% से बढ़कर वित्त वर्ष 2025-26 में 98.84% हो गया, जो कि उत्पाद प्रक्रिया की सुसंगतता और विश्वसनीयता में बढ़ोत्तरी को दर्शाता है।

यह तकनीकी उन्नयन भिलाई इस्पात संयंत्र की परिचालन दक्षता को और सुदृढ़ करेगा तथा गुणवत्ता और नवाचार के प्रति संयंत्र की प्रतिबद्धता को मजबूत बनाते हुए भारत के अधोसंरचना विकास में इसकी भूमिका को और सशक्त करेगा।


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