भिलाई नगर 16 मार्च 2024 :- संस्कृत शिक्षाविद् आचार्य डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने साहित्य कलाप्रेमी एवं लोकप्रिय सांसद विजय बघेल को अपनी महत्त्वपूर्ण पुस्तक “छत्तीसगढ़ में संस्कृत” भेंट की। पुस्तक का अवलोकन कर बघेल ने डॉ.शर्मा की सराहना करते हुये साधुवाद भी दिया। पुस्तक राज्य की संस्कृत – संस्कृति परक पृष्ठभूमि पर केन्द्रित है। संस्कृत विश्वविद्यालय विषयक संवाद भी हुआ। परस्पर शुभकामनाओं का आदान-प्रदान भी हुआ। सोलह वर्ष पूर्व इस विषय पर आचार्य डॉ. शर्मा को यू.जी.सी.भारत शासन ने बृहत् शोध परियोजना स्वीकृत की थी।
विश्व विद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली द्वारा इस मेज़र रिसर्च प्रोजेक्ट हेतु अनुदान भी स्वीकृत हुआ था । संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन के सहयोग से 2008 में यह शोधकार्य 200 पृष्ठों की इस पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुआ।वेद, रामायण, महाभारत, नाट्यशास्त्र और मेघदूतम् के साथ छत्तीसगढ़ के असंख्य कवि, लेखकों, साहित्यकारों और शोधकर्ताओं के राज्य में संस्कृत सम्बन्धित योगदान को रेखांकित किया गया है। 108 से अधिक सचित्र प्रमाण भी दिये गये हैं।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने सात दशकों पूर्व संस्थापित शासकीय दू.श्री.वै.संस्कृत महाविद्यालय रायपुर के स्वर्ण जयन्ती वर्ष में इसे “संस्कृत विश्वविद्यालय” में प्रोन्नत करने का सुझाव भी पुस्तक में है। आचार्य डॉ.शर्मा का पुनः 2015 में एक लोकप्रिय आलेख ” ज़रूरी है राज्य में एक संस्कृत विश्वविद्यालय ” भी प्रकाशित हुआ।
इसी क्रम में एक सुखद संयोग आया कि हाल ही में राज्य में इस आशय का संकल्प बहुमत से पास हो गया है। आचार्य डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने राजनांदगांव की एक राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में उज्जैन विश्व विद्यालय के कुलपति को भी उक्त पुस्तक भेंट की। संगोष्ठी में सभी विद्वान् छत्तीसगढ़ संस्कृत विश्वविद्यालय के पक्ष में दिखे।
ज्ञातव्य है इसरो के प्रमुख चन्द्रयानी वैज्ञानिक श्री सोमनाथ ने उज्जैन की संगोष्ठी में ही विज्ञान के क्षेत्र में भी यूरोप के वैज्ञानिकों से भी आगे भारतीय ज्ञानपरम्परा के संस्कृत वैज्ञानिकों को बहुत आगे बताया।
आचार्य डॉ. महेश शर्मा की इस किताब में बलौदा बाजार के वाल्मीकि आश्रम तुरतुरिया के वैदेही विहार, लवकुश विहार और सरगुजा के रामगढ़ में स्थित भरतमुनि निर्देशित नाट्यशाला के सचित्र एवं प्रामाणिक विवरण हैं। रामगढ़ का कालिदास के मेघदूतम् से भी सम्बन्ध है। समस्त संस्कृत – संस्कृति प्रेमी इस पृष्ठभूमि पर ” छत्तीसगढ़ संस्कृत विश्वविद्यालय ” की यथाशीघ्र स्थापना हेतु आश्वस्त हैं।