रायगढ़ 01 फरवरी 2023:! कला अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद संस्कृति विभाग की ओर से दो दिवसीय विशेष आयोजन ‘प्रारंभ’ के समापन अवसर पर युवा कलाकारों ने कथक की सधी हुई प्रस्तुति दी। मंगलवार 31 जनवरी की शाम नगर निगम ऑडिटोरियम पंजरी प्लांट रायगढ़ में शुरू हुआ मंचीय प्रदर्शन अंत तक दर्शकों को बांधे रखने में सफल रहा। दर्शकों ने इस स्तरीय कार्यक्रम को सराहा व कलाकारों के प्रस्तुतिकरण की भी जम कर तारीफ की।


आयोजन में अतिथियों के तौर पर पंडित वेद मणि ठाकुर,निमाई चंद्र पंड्या एवं कथक गुरू पं. रामलाल विशेष रूप से मौजूद थे। शुरूआत में दीप प्रज्ज्वलन के उपरांत चित्रांशी पणिकर ने अपने गुरु व अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथक नर्तक शरद वैष्णव के मार्गदर्शन में प्रस्तुति दी।




एन के पणिकर एवं प्रिया पणिकर की बेटी चित्रांशी ने कथक में प्रयाग संगीत समिति प्रयागराज से प्रभाकर की उपाधि ली है। वहीं वर्तमान में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय,बनारस में उच्च शिक्षा हेतु अध्ययनरत है। देश के विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर प्रस्तुति के अलावा चित्रांशी ने अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सव दुबई एवं नेपाल महोत्सव साथ ही भारत नेपाल दूतावास द्वारा आयोजित मैत्री महोत्सव पर अपनी सफलतम नृत्य प्रस्तुति दी है। चित्रांशी को कथक नृत्य की उच्च शिक्षा हेतु गुरु शरद वैष्णव के निर्देशन में भारत सरकार की राष्ट्रीय छात्रवृत्ति प्राप्त हो चुकी है।


यहां उन्होंने शिव स्तुति से अपनी शुरूआत की। तीन ताल में उठान, ठाट, आमद, तोड़े टुकड़े,परन, गत व निकास रायगढ़ घराने की कुछ खास बंदिश पेश की। वहीं उन्होंने समापन महाराजा चक्रधर सिंह द्वारा रचित रसों पर आधारित काव्य नवरस से किया। उनके साथ तबले पर रायगढ़ घराने से ताल्लुक रखने वाले बिलासपुर के कला गुरु पं. सुनील वैष्णव, पढ़ंत पर उनके गुरु शरद वैष्णव रायगढ़, गायन में लालाराम लोनिया रायपुर और सारंगी में उस्ताद शफीक मोहम्मद खैरागढ़ ने संगत की।


दूसरी प्रस्तुति ओजस्विता रॉयल की थी। जिसमें उन्होंने अपने गुरु द्वय वासंती वैष्णव व पं सुनील वैष्णव के मार्गदर्शन में शानदार कथक नृत्य की प्रस्तुति दी। ओजस्विता ने इलाहाबाद प्रयाग संगीत समिति से 6 वर्षीय विशारद पाठ्यक्रम पूरा किया है। वहीं वह बी.पी.ए. द्वितीय वर्ष कथक,कमलादेवी संगीत महाविद्यालय में अध्य्यनरत है। उन्होंने देश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुति दी है। बीती शाम उनके साथ संगतकार के तौर पर गायन में लाला लुनिया, तबले पर पं. सुनील वैष्णव व दीपक साहू और पढ़न्त पर वासंती वैष्णव शामिल थे। अपनी कथक नृत्य की प्रस्तुति में शुरूआत वंदना से की। तीनताल में विलम्बित, मध्य व द्रुतलय तीनो का प्रदर्शन उन्होंने किया और अंत में चतुरंग एवं भावपक्ष प्रस्तुत किया।




तीसरी प्रस्तुति तनुश्री चौहान की रही। अपनी गुरु प्रो. डॉ. नीता गहरवार के मार्गदर्शन में उन्होंने कथक की प्रस्तुति दी। उन्होंने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से कथक नृत्य में मास्टर की डिग्री ली है और वर्तमान में वह कथक नृत्य पर शोध कार्य कर रही है। उन्होंने रायगढ़ के चक्रधर समारोह सहित विभिन्न राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रस्तुति दी है।



बीती शाम उन्होंने शिव वंदना नागेंद्र हेराए से शुरूआत की। तीन ताल में उठान, थाट, आमद, तोड़े, परन, तिहाई, प्रमालु और गत निकास के साथ उन्होंने अपनी नृत्य की प्रस्तुति दी। अंत में उन्होंने ठुमरी-होरी से समापन किया। अंत में कला अकादमी के अध्यक्ष योगेंद्र त्रिपाठी ने आभार व्यक्त किया।