बिलासपुर 1 नवंबर 2024 :- कंपनी कमांडर (पुलिस विभाग) के विरूद्ध जारी वसूली (RECOVERY) आदेश निरस्त।
एस. मनोहरदास, 8वीं बटालियन, छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, राजनांदगांव में पुलिस विभाग में कंपनी कमाण्डर के पद पर पदस्थ थे। उनकी पदस्थापना के दौरान सेनानी, 8वीं वाहिनी, राजनांदगांव द्वारा एस. मनोहरदास को उनकी सेवाकाल के दौरान 01.01.2006 से 01.07.2018 तक त्रुटिपूर्ण ढंग अधिक वेतन भुगतान का हवाला देते हुए उनके विरूद्ध वसूली आदेश जारी कर उनके वेतन से वसूली प्रारंभ कर दी गई।
उक्त वसूली आदेश से क्षुब्ध होकर कंपनी कमांडर एस. मनोहरदास द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर कर वसूली आदेश को चुनौती दी गई। अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट ऑफ पंजाब विरूद्ध रफीक मसीह एवं अन्य, थॉमस डेनियल विरूद्ध स्टेट ऑफ केरला, माननीय हाईकोर्ट बिलासपुर की डिवीजन बेंच द्वारा स्टेट ऑफ छत्तीसगढ़ विरूद्ध लाभाराम ध्रुव के वाद में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया है कि किसी भी तृतीय श्रेणी कर्मचारी से पूर्व के वर्षों में अधिक भुगतान का हवाला देकर उनके वेतन से किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती है।
यदि किसी शासकीय कर्मचारी सेवाकाल के दौरान लिखित सहमति (Undertaking) प्राप्त की गई है उसके बावजूद भी उक्त शासकीय कर्मचारी के वेतन से किसी भी प्रकार की राशि की वसूली नहीं की जा सकती है क्योंकि छत्तीसगढ़ वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 एवं 2017 में यह प्रावधान नही किया गया है कि किसी शासकीय कर्मचारी को अधिक वेतन नियमन का हवाला देकर उनसे लिखित सहमति (Undertaking) लेकर किसी भी प्रकार की राशि की वसूली की जा सकती है।
उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् रिट याचिका को स्वीकार कर याचिकाकर्ता कंपनी कमांडर एस. मनोहरदास के विरूद्ध जारी वसूली आदेश को निरस्त कर सेनानी 8वीं बटालियन राजनांदगांव को यह निर्देशित किया गया कि वे याचिकाकर्ता से वसूल की गई राशि तत्काल वापस करें।