इंदिरा गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय वैशाली नगर में “आजादी का अमृत महोत्सव” हिंदी विभाग द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न…

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. भिलाई नगर 24 अगस्त 2022 :!इंदिरा गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, वैशाली नगर में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत हिन्दी विभाग द्वारा राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया । आयोजित ‘राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी’ में अतिथि वक्ता द्वय डॉ. सत्यप्रिय पाण्डेय, एसोसिएट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय तथा डॉ. भुवाल सिंह ठाकुर, सह प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भखारा थे

स्वागत वक्तव्य में डॉ. अल्का मेश्राम ने अतिथि वक्ताओं का अभिवादन करते हुए स्वाधीनता के राजनीतिक आंदोलन को हिन्दी कविता ने किस प्रकार धार दी, उसे रेखांकित किया । हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. कैलाश शर्मा ने विषय प्रवर्तन करते हुए अतिथि वक्ताओं का परिचय दिया ।

संगोष्ठी का प्रथम सत्र ‘लोकगीतों में स्वाधीनता संग्राम के स्वर’ पर केन्द्रित रहा जिसमें डॉ. सत्यप्रिय पाण्डेय का मुख्य वक्तव्य था । अपने गवेषणात्मक उद्बोधन में डॉ. पाण्डेय ने लोकगीतों में समाहित स्वाधीनता की छटपटाहट, लोक उद्वेग, पीड़ा और सामुहिक संघर्ष का प्रामाणिक दस्तावेज प्रस्तुत किया । उन्होंने आगे कहा कि आजादी के तीन केन्द्र बिन्दु ‘स्वदेशी, स्वराज्य और स्वालंबन’ को गांधी ने स्वाधीनता आंदोलन के टूल के रूप में उपयोग कर जन आंदोलन को तीव्र प्रवाहमान बनाया । गांधी का लोक चेतना में ऐसा गहरा प्रभाव था कि विवाह के मांगलिक दस्तूर में बन्ना बन्नी (दुल्हा दुल्हन) खद्दर की पोशाक गर्व से पहना करते थे । छत्तीसगढ़ी में भी सुराजी गीत की समृद्ध परम्परा है ।

संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में डॉ. भुवाल सिंह ठाकुर ने आजादी के मायने : हिन्दी कविता के आलोक में’ विषय पर केन्द्रीय वक्तव्य प्रस्तुत किया । 1857 के पहले स्वाधीनता समर और उत्तरोत्तर उसकी प्रखरता का व्यापक प्रभाव हिन्दी कविता में गहराई से दीखाई देता है । भारतेन्दु का प्रहसन ‘अंधेर नगरी’ इसका जीवन्त दस्तावेज है । स्वाधीनता का उद्घोष द्विवेदी और छायावादी कवियों में निरंतर सुनाई देता है । उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय और सांस्कृतिक काव्यधारा के कवियों के साथ ही हालावाद भी इसे प्रखरता प्रदान करते है ।

संगोष्ठी समापन के पूर्व प्रो. कौशल्या शास्त्री, हिन्दी विभाग ने अतिथि वक्तागण तथा समस्त प्रतिभागियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की । संगोष्ठी में डॉ. नीता डेनियल, डॉ. एस. के. बोहरे, डॉ. रीतेश अग्रवाल, डॉ. संजय दास, प्रो. डी. के. सोनी, डॉ. मेरीली रॉय, डॉ. रबीन्दर छाबड़ा, डॉ. आरती दीवान, डॉ. शिखा श्रीवास्तव, डॉ. किरण रामटेके, श्रीमती सुशीला शर्मा, डॉ. एस. के. ठाकुर, डॉ. चांदनी मरकाम, प्रो. अत्रिका कोमा, प्रो. अमृतेश शुक्ला एवं समस्त महाविद्यालय परिवार की सक्रिय सहभागिता रही ।


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