भिलाईनगर 5 जनवरी 2024 :-:चिकित्सा विज्ञान में नित नई खोजें हो रही है। जिन व्याधियों को कुछ समय पहले असाध्य या प्राणघातक माना जाता था, वे आज सामान्य सर्दी-जुकाम की तरह सहज उपचार योग्य हो गई हैं। इन्हीं में से एक है आर्थराइटिस… इसी विषय पर 12 अक्टूबर 2023 को भिलाई इस्पात संयंत्र के पं. जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र में, विश्व ऑर्थराइटिस दिवस मनाया गया था। जिसका उद्देश्य, लोगों में ऑर्थराइटिस के प्रति जागरूकता लाना व इससे जुड़े मिथकों को दूर करना था। सेक्टर-9 स्थित, पं. जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र में, ऑर्थराइटिस के इलाज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक, परामर्श, मार्गदर्शन सहित विशेष सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
यहाँ चिकित्सकों ने बतायाकि आर्थराइटिस, को आप आसानी से सही दवा, व्यायाम, उचित जीवनशैली, स्वास्थ्यवर्धक पोषक आहार, शारीरिक वजन पर नियंत्रण, सही समय पर उपचार, चिकित्सकीय मार्गदर्शन और उचित प्रबंधन से ना केवल काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं, बल्कि पूरी तरह ठीक भी कर सकते हैं। कुछ विशेष प्रकरणों में यदि आवश्यक हो तो शल्य चिकित्सा के द्वारा, इस पर पूरी तरह से नियंत्रण रखा जा सकता है। संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय में इसके शुरुआती और बेहद महत्वपूर्ण संकेत के बारे में बताया गया, ताकि अगर आपको या आपके आसपास किसी को ये बीमारी हो, तो उसे पहले ही नियंत्रित किया जा सके।
आइए जानें आर्थराइटिस के बारे में: अर्थराइटिस होने पर मरीजो को घुटनों, एड़ियों, पीठ, कलाई या गर्दन के जोड़ों में दर्द या सूजन और अकड़न की शिकायत रहती है। अर्थराइटिस हड्डियों में होने वाली एक समस्या है, जिसका खतरा उम्र बढ़ने के साथ बढ़़ता ही चला जाता है। आंकड़ों की मानें, तो भारत में 15 प्रतिशत से अधिक आर्थराईटिस के रोगी पाए जाते है। रिसर्च में ये पाया गया, कि पुरूषों की तुलना में महिलाओं में इस रोग के लक्षण ज्यादा देखने का मिलते हैं। मोटापा, यूरिक एसिड का बढ़ना भी इसका एक कारण है। इस बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि इसके शुरुआती लक्षणों का पता लगाकर पहले ही इसका इलाज शुरू कर दिया जाए।
आर्थराइटिस के प्रकार: वैसे तो आर्थराइटिस के कई प्रकार हैं जैसे: ऑस्टियो, रूमेटाइड, स्पॉण्डिलो, वायरल, गाउट, सेप्टिक, एंकीलोज़िंग स्पॉण्डिलाइटिस, सोरियाटिक आर्थराइटिस आदि। अलग-अलग प्रकार की आर्थराइटिस का इलाज भी अलग-अलग प्रकार से किया जाता है। जो, प्रभावित व्यक्ति की उम्र, समस्या की तीव्रता, आर्थराइटिस का प्रकार, लक्षण एवं अन्य चिकित्सकीय घटकों पर निर्भर करता है। आमतौर पर मरीजों को दो तरह के अर्थराइटिस का सामना करना पड़ता है- ऑस्टियो आर्थराइटिस और रूमेटाइड अर्थराइटिस।
ऑस्टियो आर्थराइटिस: ये आर्थराइटिस का सबसे आम प्रकार है, इससे जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ-साथ उनके हिलने–डुलने की गति में भी कमी आ जाती है। ऑस्टियो आर्थराइटिस, जोड़ों के कार्टिलेज को क्षतिग्रस्त कर देता है। जिसके प्रमुख कारण उम्र, जोड़ों में ज़ख्म, मोटापा, आरामदायक जीवन शैली, बीमारी का आनुवंशिक होना है। इससे बचने के लिए बॉडी मास इंडेक्स को संतुलित बनाये रखें, नियमित व्यायाम, योग अभ्यास करें, कम से कम दो लीटर पानी रोजाना पियें, शरीर में कैल्शियम की मात्रा पर ध्यान दें, दूध, पनीर और दही का सेवन करें तथा आवश्यकता पड़ने पर डाइटीशियन से परामर्श लें।
रुमेटॉइड आर्थराइटिस: रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है। जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है, जो जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न का कारण बनती है, इसके आसपास गर्म होने के साथ सूजन भी हो जाता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में रुमेटाइड अर्थराइटिस का खतरा अधिक देखा गया है। एक रिपोटर्स के अनुसार, लगभग 75% मरीजों में, 30-50 वर्ष की आयु की महिलाएं पाई गई हैं। इसके लिए सामान्यतः फिजियोथैरेपी से लचीलेपन के स्तर को बढ़ा सकते हैं या नॉन स्टेरॉयडल एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग या डीएमएआरडी का उपयोग कर सकते हैं।
अर्थराइटिस से बचने के लिए कुछ सावधानियां: जमीन पर या नीचे रखी हुई कोई भी चीज उठाते समय घुटनों को मोड़कर तथा कमर को सीधा रखकर उठाएँ। आवश्यकता पड़ने पर हाथ में लकड़ी या छड़ी लेकर चलें। वज़न नियंत्रित रखें, वज़न कम करने पर आर्थराइटिस होने का जोखिम भी लगभग 50 प्रतिशत तक कम हो सकता है। खाना खाते समय हमेशा कुर्सी पर बैठकर खाएँ। वेस्टर्न पद्धति के टॉयलेट का उपयोग करें। गर्दन, पीठ और घुटनों की सुरक्षा के लिए बैठने उठने का सही तरीका अपनाएँ। स्वस्थ संतुलित भोजन करें, जिससे आपको सभी आवश्यक विटामिन और मिनरल्स मिलें। कैल्शियम, आयरन और एंटी-ऑक्सीडेन्ट्स से भरपूर ताज़े फल और सब्ज़ियाँ खाए जैसे गाजर, टमाटर, चुकंदर और ब्रोकली आदि। शरीर को साफ-स्वच्छ रखने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पिएँ। उपरोक्त बिन्दुओं का समुचित ध्यान रखने से, आर्थराइटिस से प्रभावित व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं।