माहे रमजान की विदाई और ईद की तैयारियों के बीच मुस्लिम महिलाओं की बदली दिनचर्या, जारी है इबादत भी …..घर की जिम्मेदारियों के बीच ईद की खरीदारी के लिए भी निकाल रहीं वक्त

भिलाई नगर 30 मार्च 2025:- माहे रमजान की विदाई के साथ ही मुस्लिम समुदाय की महिलाएं ईद उल फितर की तैयारियों में व्यस्त हो गई हैं। ज्यादातर महिलाओं के लिए रोजे के दौरान सेहरी-इफ्तार तैयार करने के अलावा ईद के लिए जरूरी खरीदारी करने भी वक्त निकालना होता है। इन सब के लिए बीच माहे रमजान की खास इबादतों पर भी मुस्लिम महिलाएं जुटी हैं।


ईद की तैयारी ने बढ़ाई व्यस्तता: आरिफा
रूआबांधा निवासी आरिफा इकबाल कहती है रमजान का पूरा महीना इबादत का रहा, रोजा रखने और रात में नमाजे तरावीह की पाबंदी के साथ थोडा समय बदलना पड़ा। सेहरी की आधी तैयारी रात में करनी पड़ी लेकिन दिन में खाना नहीं पकाना पड़ता है तो कुरान की तिलावत और घरेलू काम का समय मिल गया। पूरे रमजान शाम में 4 बजे से इफ्तार बनाने की तैयारी में जुटना पड़ा और अब रमजान के आखिरी अशरे (दस दिन) में कुछ और मसरूफियत बढ़ गई है। क्योंकि अब सामने ईद उल फितर का त्यौहार है। ऐसे में शॉपिंग भी जरूरी है। इन सब वजहों से वक्त कब बीत गया पता ही नहीं चला। आरिफा इकबाल कहती हैं- पूरे रमजान हमें अपने पड़ोसियों का भी ख्याल रहा और इफ्तार व सहरी में उनका हिस्सा भी लगाना नहीं भूले। वह कहती हैं- इफ्तार में बच्चों के लिए नई डिश बनाकर मुझे सबसे ज्यादा खुशियां मिली।

महीने भर का रोजा रखा इनाया ने
माहे रमजान में जहां बड़े लोगों ने खूब इबादत की और तमाम रोजे रखे, वहीं बच्चे भी पीछे नहीं रहे। बीएसपी ईएमएमएस सेक्टर-7 से हाल ही में प्रथम श्रेणी में क्लास-7 उत्तीर्ण होने वाली इनाया शेख ने इस साल माहे रमजान में पूरे रोजे रखे। सेक्टर-7 निवासी इनाया शेख ने बताया कि रोजे की हालत में ही उन्होंने अपना एग्जाम भी दिया। इनाया बताती हैं कि पूरे रोजे रखने में उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हुई और वह रोजे रखने के साथ नमाज और तिलावत सहित दूसरी इबादतें भी करती रहीं। इनाया अब ईद की तैयारियों में जुटी है।


ऑन लाइन जॉब के साथ जारी रही इबादत:सबा
जोन-1 खुर्सीपार निवासी कम्प्यूटर साइंस इंजीनियर सबा कुरैशी कहतीं हैं कि इस पूरे माह में डूब कर इबादत करने,लोगों के साथ गमखारी, हमदर्दी, भूखों और प्यासे लोगों की तकलीफ़ का एहसास पैदा हुआ। जॉब में होने की वजह से अपने ऑफिस का काम ज्यादातर ऑनलाइन कर रहे हैं। सबा कहती हैं- हर बालिग को रोज़ा रखना चाहिए क्योंकि ये फ़र्ज़ है। रोजा रखने के साथ हमे इसके मकसद को समझना चाहिए। औरतों को भी अपना ध्यान रखना चाहिए। फल, नारियल पानी और शरबत को जरूर अपनी सेहरी-इफ्तार में शामिल करना चाहिए। मैं इफ्तार में मिल्क कस्टर्ड,पनीर पकोड़ा और रोज़ अलग अलग कुछ नई डिश बनाती रही हूं। तमाम इबादतों के साथ अब ईद की तैयारियों के लिए भी वक्त निकाल रहे हैं।

काम बढ़ा लेकिन यह सब खुशी से बर्दाश्त: नफीस
जोन-3 खुर्सीपार निवासी नफीस असलम कहती हैं रमजान बरकतों, रहमतों ,मगफिरत और माफी का महीना है। इस दौरान रोजा रखने के साथ खूब इबादत करते रहे। नफीस कहती हैं- औरतों के लिए इस महीने काम का बोझ थोड़ा ज्यादा होता है लेकिन इसे खुशी से बर्दाश्त करना चाहिए। दरूद पाक, ज़िक्र इलाही और कुरान की तिलावत के साथ अपनी इफ्तार में गरीब यतीम का हिस्सा लगाना नहीं भूलतीं। अब ईद की तैयारियां भी जारी है।


इबादत और ईद की तैयारी साथ-साथ:सबा
खुर्सीपार निवासी नूरूस सबा कहती हैं-रमजान मुबारक बहुत ही बरकतों का महीना है। इस महीने में इबादत का अर्ज़ बढा दिया जाता है औरतों के काम रोजमर्रा के होते हैं। इसमें इफ्तार और सहरी बनाने की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। ईद की तैयारी भी आखिरी अशरे में शुरू हो गई। हम औरतों को इबादत में नमाज़, तिलावत कुरान और ज़िक्र अजकार दरूद शरीफ पढ़ने में वक्त लगाना चाहिए। नूरूस सबा का कहना है कि इबादत के साथ ईद की तैयारियां भी जारी है।

रमजान की इबादत और ईद की तैयारी जारी: जमाल
जोन-2 एमपीआर रोड निवासी शन्नो खालिद जमाल कहतीं हैं रमजान में पूरे महीने सुबह 3.30 बजे उठते रहे। सेहरी में दूध और पराठे,चाय ओर कभी कभी सब्जी चावल भी बनाते रहे। इस पूरे रमजान मुबारक में औरतों को समय एडजस्ट करना पड़ता है अपनी इबादत भी में कमी नहीं आने दी। अक्सर औरतें इबादत में पीछे हो जाती है पकाने रसोई में रहने के साथ कुरान मजीद की तिलावत करना और ज़िक्र अजकार व दरूद शरीफ पढ़ते रहना चाहिए। श्रीमती जमाल कहती हैं- रमजान की इन तमाम मसरूफियतों के बीच अब ईद की तैयारियां भी उसी उत्साह से जारी है।


रमजान की मसरूफियत के बीच इबादत जारी:कहकशां
ज़ोन-3 खुर्सीपार निवासी कहकंशा अजीम कहतीं हैं रोज़ा फ़र्ज़ है। हर बालिग मर्दों और औरतों पर हर इबादत फ़र्ज़ है ताकि अल्लाह की नेक बंदी बनकर हम भी जन्नत के मुस्तहिक हो। मगफिरत का महीना यही पैगाम देता है। घरेलू काम हो, नौकरी पेशा हो, जिंदगी में अल्लाह का डर होना चाहिए। सबके साथ इंसाफ करना और अपने परिवार का देख-रेख करना भी पाक दामन रहना भी इबादत है। पूरे रमजान सहरी व इफ्तार बनाने की मसरूफियत रही। अब ईद की तैयारियां अंतिम दौर में है।



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