भिलाई नगर 2 जनवरी 2023:! भिलाई के युवा ने किया कोक ओवन चार्जिंग तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव, ऊर्जा और समय दोनों की होगी बचत सिंगल स्पॉट एससीपी मशीन का आविष्कार पहली बार भारत में भारतीय द्वारा किया गया, कोक भट्ठियों में कोयला डालते वक्त काम आने वाली एससीपी तकनीक की पुरानी दिक्कतों से मिलेगी मुक्ति…
इस्पात नगरी भिलाई के एक युवा इंजीनियर ने कोक ओवन की चार्जिंग तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव के साथ सिंगल स्पॉट एससीपी मशीन का आविष्कार कर अद्वितीय सफलता हासिल की है। इस नए आविष्कार को भविष्य में अपनाया जाता है तो देश के ज्यादातर स्टील प्लांट में इस्तेमाल होने वाली एससीपी प्रक्रिया में कोयला चार्ज करने के दौरान पुरानी दिक्कतों से मुक्ति मिलेगी और बहुमूल्य ऊर्जा व समय की भी बचत होगी। एससीपी मशीनों की आपूर्ति ज्यादातर यूरोपीय या चीनी कंपनियों द्वारा की जाती रही है। अनूठी विशेषता के आविष्कार के साथ इस मशीन को भारत में किसी भारतीय द्वारा पहली बार डिजाइन किया गया है।
बहुराष्ट्रीय कंपनी थायसन क्रुप्प में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत और इस्पात नगरी भिलाई में पले बढ़े युवा इंजीनियर मिर्जा जाहिद बेग ने उम्मीद जाहिर की कि उनका यह आविष्कार कोक ओवन तकनीक संचालन में क्रांतिकारी साबित होगा। उन्होंने बताया कि इस बदलाव से संबंधित पेटेंट की प्रक्रिया उनकी कंपनी के जर्मनी दफ्तर से पूर्ण की जा चुकी हैं और जल्द ही इस पर पेटेंट मिलने की उम्मीद है।अपने इस आविष्कार के संबंध में जाहिद बताया कि कोक ओवन में कोयला डालकर एक निर्धारित तापमान पर पकाया जाता है और कोयले को कोक में तब्दील किया जाता है। इसमें पुरानी तकनीक में कोयला इन बैटरियों में चार्जिंग कार के माध्यम से ऊपर से डाला जाता है, जिसे टॉप चार्जिंग कहा जाता है।
वहीं बाद के दौर में आई नई तकनीक स्टैम्पिंग चार्जिंग में इन भट्ठियों में एक हिस्से से कोयले का ब्लॉक (बड़ा टुकड़ा) बना कर डाला जाता है। इसके लिए स्टैम्पिंग-चार्जिंग-पुशिंग (एससीपी) मशीन इस्तेमाल होती है, जिसमें कोयले को स्टैम्पिंग (ठोक-पीट) कर कोयले का ब्लॉक बनाया जाता है और इन्हें चार्ज किया जाता है। इसके बाद इस कोयले के कोक में तब्दील होने पर पुशिंग (बाहर की ओर धकेलने की क्रिया) की जाती है। जाहिद ने बताया कि एसीपी मशीन को इन तीनों प्रक्रिया के दौरान 3 से 4 मर्तबा आगे पीछे करना होता है। इससे मशीन की स्थिति भी बदलनी होती है। कई बार कोयले का पूरा केक (बड़ा टुकड़ा) अंदर नहीं जा पाता है तो उसे अंदर धकेलने भी इसे फिर से चलाना होता है। इसमें न सिर्फ बहुमूल्य ऊर्जा खर्च होती है बल्कि प्रदूषण भी कई बार मानक स्तर से अधिक हो जाता है।
जाहिद बेग ने बताया कि उन्होंने जो बदलाव किए हैं, उसमें अब स्टैम्पिंग-चार्जिंग-पुशिंग के लिए एससीपी मशीन को बार-बार चलाने और आगे-पीछे करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। स्टैम्पिंग-चार्जिंग और पुशिंग का सारा काम अब एससीपी मशीन की स्थिति बदले बगैर हो पाएगा। चूंकि एससीपी मशीन 1400 टन के आसपास वजन की होती है, इसलिए इसे बार-बार आगे-पीछे करने से अत्याधिक ऊर्जा की खपत होती है, वहीं कोयला डालने (चार्जिंग करने) के बाद मशीन डोर बंद करने हटती है, उस समय भी गैस का उत्सर्जन होता है। अब बदलाव के बाद इस समस्या से भी निजात मिल जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मिर्जा जाहिद बेग की स्कूली शिक्षा बीएसपी सेक्टर-1 स्थित प्राइमरी, मिडिल व हायर सेकंडरी स्कूलों से हुई है। वहीं उनके परिजन वर्तमान में रामनगर भिलाई में रहते हैं।
पेटेंट के लिए आवेदन, बॉस भी भिलाई के
मिर्जा जाहिद बेग वर्तमान में बहुराष्ट्रीय कंपनी थायसन क्रुप्प के पुणे कार्यालय में कार्यरत हैं। संयोग से इस कंपनी के पुणे के प्रमुख अतुल सुपे भी भिलाई के ही हैं। मिर्जा ने बताया कि उन्होंने कोक ओवन तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव अपने संस्थान प्रमुख के मार्गदर्शन व प्रोत्साहन के फलस्वरूप किया है। उन्होंने बताया कि पेटेंट के लिए उनकी कंपनी की ओर से जर्मनी से विधिवत आवेदन किया गया था और अब पेटेंट मिलने की दिशा में प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।
निजी में ज्यादातर प्लांट में स्टैम्पिंग चार्जिंग,सेल भी अपना रहा यही तकनीक इंजीनियर मिर्जा जाहिद बेग ने बताया कि स्टैम्पिंग चार्जिंग तकनीक का इस्तेमाल निजी क्षेत्र के 90 फीसदी स्टील प्लांट में हो रहा है। इसके लिए एससीपी मशीन यूरोपीय कंपनियां बनाती हैं। सार्वजनिक उपक्रम स्टील अथारिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के सभी स्टील प्लांटों में शुरू से टॉप चार्जिंग तकनीक रही है।
लेकिन अब सेल इसमें बदलाव कर रहा है और राउरकेला स्टील प्लांट की बैटरी-7 और इस्को स्टील प्लांट की बैटरी-12 में स्टैम्पिंग चार्जिंग तकनीक लागू करने टेंडर जारी कर दिया गया है। जाहिद ने बताया कि उन्होंने एससीपी मशीन में बदलाव के साथ जो आविष्कार किया है, वह पेटेंट हासिल होने के बाद व्यावसायिक तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा और इससे देश की बहुमूल्य ऊर्जा व समय की बचत हो सकेगी,उम्मीद है अगले दो माह में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।