बिलासपुर 13 नवंबर 2024:- आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ कांग्रेस सरकार द्वारा दर्ज करवाई गई सभी एफआईआर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने की रद्द आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज तीनों मामलों को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। उन पर कांग्रेस सरकार ने राजद्रोह, आय से अधिक संपत्ति और भयादोहन का मामला दर्ज करवाया था।
आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा दर्ज करवाई गई तीनों एफआईआर को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। आज हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई में तीनों एफआईआर को द्वेषपूर्ण कार्यवाही का हिस्सा मान रद्द करने के आदेश दिए गए है। इसके बाद जीपी सिंह को बड़ी राहत मिली है।
1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह वर्तमान में बर्खास्त चल रहे हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस सरकार ने एंटी करप्शन ब्यूरो में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज करवाया था। इसके अलावा भिलाई के सुपेला थाने में एक्सटॉर्शन का मामला और रायपुर में राजद्रोह का मामला भी दर्ज करवाया गया था। तीनों के आधार पर उन्हें सेवा से बर्खास्त भी कर दिया गया था। तीनों मामलों में जीपी सिंह 120 दिन जेल में भी रहे थे। तीनों मामलों को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में जीपी सिंह ने अपने अधिवक्ता हिमांशु पांडेय और चंडीगढ़ के सीनियर काउंसिल रमेश गर्ग के माध्यम से याचिका लगाई थी।
आज चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डीबी में मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई में चंडीगढ़ के सीनियर काउंसिल रमेश गर्ग वर्चुअल उपस्थित हुए। वहीं हिमांशु पांडेय ने फिजिकली उपस्थित होकर अपने तर्क प्रस्तुत किए। जीपी सिंह के अधिवक्ताओं ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में बताया कि जिस व्यक्ति से गोल्ड सीज हुआ है
उस व्यक्ति को एसीबी ने आरोपी नहीं बनाया है जबकि उक्त गोल्ड को जीपी सिंह का बता उन्हें आरोपी बना दिया गया। जिस स्कूटी से गोल्ड जप्त हुआ है वो भी जीपी सिंह और उनके परिजनों के नाम पर रजिस्टर्ड नहीं है। इसके अलावा सुपेला में दर्ज एक्सटॉर्शन के मामले में बताया गया कि यह सालों बाद बदले की कार्यवाही के तहत दर्ज करवाई गई है।
कई सालों बाद मामला दर्ज होने से मामला समझ से परे है। राजद्रोह के मामले में अधिवक्ता हिमांशु पांडेय ने अदालत को बताया कि जिन कटे फटे कागज के जीपी सिंह के ठिकाने से मिलने के आधार पर उन्हें राजद्रोह का आरोपी बनाया गया है। उन कागजों से कोई भी षड्यंत्र परिलक्षित नहीं होता। एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा अदालत में पेश किए गए जवाब में भी स्पष्ट है कि उक्त कागज के टुकड़ों की रेडियोग्राफी में कोई भी स्पष्टता नहीं है। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज तीनों मामलों को रद्द कर दिया।