रायपुर 6 मार्च 2024 :- छत्तीसगढ़ राज्य मैं, विशेषतः राजधानी रायपुर और सटे हुए जिले दुर्ग, मैं स्वानों (stray dogs) के प्रति बढ़ते क्रूरता की मामले से आहत और छत्तीसगढ़ शासन के पुलिस विभाग के असंवैदनशील रवैये से छुब्ध होकर रायपुर निवासी कस्तूरी बल्लाल ने देश के सर्वोच्च जैन मुनि आचार्यश्री महाश्रमण जी से लगाई गुहार ।
विदित हो की कस्तूरी बल्लाल रायपुर और पास के जिले से आये संकटगृष्ट और घायल स्वानों का उपचार और पालन पोषण करती है उनके द्वारा निर्मित Vatika Animal Sanctuary मैं।
कस्तूरी बल्लाल ने अपने मार्मिक संदेश के ज़रिये परम श्रद्धेय आचार्यश्री आचार्यश्री महाश्रमण जी से स्वानों की रक्षा एवम् आम जनता और समाज के लोगों मैं इन निरीह प्राणियों के प्रति जागरूकता एवम् मर्मता लाने हेतु उनके सर्वव्यापी हस्तक्षेप के लिये लिखित प्रार्थना दिया है।
यह बताना आवश्यक है की अहिंसा यात्रा के प्रणेता तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी हैं । वे विश्व विख्यात जैन मुनि है जिन्होंने
पैदल यात्रा को ही अपना धर्म समझते हुए 50 हजार किमी. पैदल यात्रा कर एक नया इतिहास का सृजन किया है।
संतों लेकर राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री ने उनको इस समाजोत्थान कार्यों को लेकर नमन किया।
परम श्रद्धेय युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी,
चरणों में सादर वंदन,
यह पत्र हमारे देश में शहरी क्षेत्र में रहने वाले श्वानों जिन्हें हम स्ट्रे डॉग्स कहते हैं, के प्रति बढ़ती हुई हिंसा और अत्याचार की तरफ आप गुरुवर का ध्यान आकर्षित करने के लिए लिख रहे हैं। हमारी संस्था जानवरों, विशेष रूप से श्वानों के कल्याण और इलाज के लिए रायपुर छत्तीसगढ़ में कार्यरत है। हमारे द्वारा संचालित वाटिका एनिमल सेंचुरी में वर्तमान में लगभग 200 बीमार, घायल, लकवाग्रस्त कुत्ते हैं, वह अभी तक हम 9500 से भी अधिक श्वानों का रेस्क्यू और इलाज कर चुके हैं।
विगत कुछ वर्षों में इन श्वानों के प्रति हमारे देश में नफरत पैदा हुई है। जिससे इन्हें जिंदा मार दिया जाता है, इन पर तेजाब फेंक दिया जाता है, अन्यथा पीटा जाता है इत्यादि। ऐसी कई घटनाएं प्रतिदिन हिंदुस्तान के प्रत्येक राज्य में हो रही हैं।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि इनमें से कई श्वान आक्रामक हो जाते हैं जिसका मुख्य कारण शहरों में सफाई व्यवस्था चालू होने के बाद इनके लिए खाने की कमी होना है। जिन क्षेत्रों में कॉलोनी में कुछ दयालु और जीवों का महत्त्व समझने वाले लोग इन्हें खाना देते हैं वहां पर इनमें आक्रामकता कम पाई गई है। हमारे देश के पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 भी प्रावधानित करते हैं कि रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन या अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन या क्षेत्र के स्थानीय निकाय परिसर उस क्षेत्र में रहने वाले सामुदायिक पशुओं को खिलाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करेंगे। श्वानों को स्थानीय निकायों को एंटी रेबीज वेक्सिन लगाना है और नसबंदी करना है। नसबंदी से भी आक्रमकता कम होती है। हिंसा की जगह नागरिकों को स्थानीय निकायों से सहयोग लेना चाहिए।
महावीर के बहुमूल्य सिद्धांतों के अलावा हमारे देश का संविधान भी बताता है कि जंगलों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना और जीवित प्राणियों के प्रति दया रखना प्रत्येक नागरिक का यह मौलिक कर्तव्य है।
हमने महावीर के जियो और जीने दो के सिद्धांत के विपरीत जीवन शैली बना ली है। आप गुरुवर से हमारी संस्था नम्र निवेदन करती है कि अपने प्रवचनों में सभी सजीव प्राणियों के प्रति, विशेष रूप से शहरी क्षेत्र में जीवन गुजार रहे स्ट्रे श्वानों के प्रति दया भाव रखकर, हिंसा और अत्याचार खत्म करने के लिए संदेश देंगे तो हमें पूर्ण विश्वास है की मानव जीवन में जागरूकता बढ़ेगी और मूक प्राणी बिना मानव हिंसा और अत्याचार के जीवन गुजार सकेंगे।
चरणों में वंदन,