बिलासपुर 10 जुलाई 2023:- शहर में पले-बढ़े मैथ्यू वर्गीस सीमा सुरक्षा बल (BSF) में DIG बनाए गए हैं। उन्हें अगरतला में पोस्टिंग दी गई है। वे छत्तीसगढ़ से इस पद पर पहुंचने वाले पहले शख्स हैं। मैथ्यू ने सीएमडी कॉलेज में पढ़ाई की। साथ ही 1987-88 में ऑल इंडिया एथलेटिक चैंपियनशिप भी खेली थी। उन्होंने छत्तीसगढ़ में 2013 से 2017 तक नक्सल ऑपरेशन भी ऑपरेट किया।DIG मैथ्यू वर्गीस जहां रहे उन्होंने युवाओं को सुरक्षा बलों में भर्ती होने के लिए मोटिवेट किया। उनमें देशभक्ति की भावना जगाई ।
मैथ्यू के पिता स्व. एम वर्गीस रेलवे अफसर थे और उनकी मां मैरीकुट्टी हाउसवाइफ थीं। मूलत: केरल के रहने वाले मैथ्यू की स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई बिलासपुर में हुई है। रेलवे इंग्लिश मीडियम स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद सीएमडी कॉलेज में उन्होंने एडमिशन लिया और ग्रेजुएट की डिग्री ली। मैथ्यू एक बास्केटबाल के उत्कृष्ट खिलाड़ी भी रहे। उन्होंने 1985-87 तक राष्ट्रीय स्तर पर अविभाजित मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने 1986 और 1987 में मध्यप्रदेश की टीम से स्कूल नेशनल का प्रतिनिधित्व किया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय टीम के कप्तान भी थे। उन्होंने ऑल इंडिया एथलेटिक चैंपियनशिप खेली थी।
इसके साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में भी सेवाएं दी और नक्सल ऑपरेशन को ऑपरेट किया। इस दौरान वे डिप्टी कमांडेंट बन गए। मैथ्यू 1998 में कमांडेंट, 2006 में अतिरिक्त कमांडेंट, 2011 में कमांडेंट और अब उप महानिरीक्षक के पद पर पदोन्नत किए गए हैं। साल 2011 में केरल में त्रिशूल बीएसएफ इकाई की स्थापना करने वाले पहले कमांडेंट थे। इसके बाद 2019-2022 तक सेक्टर तिरुवनंतपुरम में कमांडेंट ऑपरेशंस के रूप में एक और कार्यकाल पूरा किया।
देश सेवा के लिए चुना सीमा सुरक्षा बल उन्होंने सीमा सुरक्षा बल में 1993 में अपनी सेवाएं शुरू की। मैथ्यू बताते हैं कि बचपन से ही उनके मन में देश की सेवा करने का जज्बा था। जब उन्हें BSF में असिस्टेंट कमांडेट बनने का मौका मिला, तब उन्होंने बिना सोचे पोस्ट जॉइन कर लिया। अपनी सेवा काल के दौरान उन्होंने देश भर में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली। उन्होंने जम्मू-कश्मीर, मिजोरम में उग्रवाद के चरम के दौरान काम किया और नक्सल विरोधी ऑपरेशन पर मैदानी स्तर पर टीम का नेतृत्व किया।
युवाओं को हमेशा करते रहे प्रेरित मैथ्यू बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के साथ ही दूसरी जगहों पर पोस्टिंग के दौरान भी वे हमेशा यहां के युवाओं को सीमा सुरक्षा बल में भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल-कॉलेजों में जाकर युवाओं को मोटिवेट करने के साथ ही उन्हें मार्गदर्शन देते रहे हैं। साथ ही युवाओं के लिए उन्होंने कई बार भर्ती ऑपरेशन भी चलाया। ताकि, युवाओं को काम करने का मौका मिल सके। उनका कहना है कि युवा हमेशा कैरियर की तलाश में भटकते रहते हैं। लेकिन, सीमा सुरक्षा बल और सेंट्रल आर्म्स फोर्स में जाने के लिए हिचकते हैं। जबिक, देश सेवा के लिए इससे बेहतर कोई नहीं हो सकता। क्योंकि, यह सेना की अग्रिम पंक्ति की टीम है।