मन और मंदिर दोनों साफ होना चाहिए, तभी शिव मिलेंगे, मन मैला है और मंदिर साफ करेंगे तब भी शिव नहीं मिलेंगे… पंडित प्रदीप मिश्रा…शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन लाखों भक्तों ने किया कथा का अमृत पान…

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मन और मंदिर दोनों साफ होना चाहिए, तभी शिव मिलेंगे, मन मैला है और मंदिर साफ करेंगे तब भी शिव नहीं मिलेंगे… पंडित प्रदीप मिश्रा

शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन लाखों भक्तों ने किया कथा का अमृत पान

भिलाई नगर 01 अगस्त 2025:-  जयंती स्टेडियम सिविक सेंटर में चल रही शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने संसार में माताओं का महत्व और शिवजी की अनंत कृपा की महिमा बताई। मन और मंदिर साफ हो तो भोलेनाथ की कृपा होगी। मन मैला है और हमने मंदिर साफ किया तो भी श्रेष्ठ नहीं है। मन साफ नहीं कर पाए तो भगवान शंकर की कृपा नहीं होगी। मन जितना साफ होगा उतना शिवजी हमारे करीब आते जाएंगे। इसलिए मन और मंदिर दोनों साफ़ होना चाहिए। मन यदि काम, तृष्णा, वासना में बंध गया तो ये मन परमात्मा तक नहीं पहुंच पाता।


बोल बम सेवा समिति के तत्वावधान में उपनेता प्रतिपक्ष  दया सिंह के नेतृत्व में सावन के पावन अवसर पर भिलाई में शिव महापुराण कथा का आयोजन हो रहा है। जहां रोज लाखों भक्त कथा का अमृत पान कर रहे है। रोज आयोजन कर्ता व समिति के द्वारा लाखों भक्तों को महा प्रसादी का वितरण किया जारहा है। इसके लिए व्यास पीठ से पं प्रदीप मिश्रा ने दया सिंह और उनकी पूरी टीम को साधुवाद दिया और उनकी शिव भक्ति की तारीफ की।


हमने पहले भी कहा था कमाओ खूब कमाओ, लेकिन जो धन लेकर आए हो, किसी को दे नहीं पाते तो स्वयं के ऊपर खर्च करो। होता क्या है कि मनुष्य कमाता तो खूब है, लेकिन स्वयं पर खर्च नहीं करता। बच्चों को खूब पढ़ाओ। बेटा-बेटी में भेद न करो। जितना अच्छा पढ़ाई बेटों को करते हो उतना बेटियों को भी कराओ। शिक्षा वो पूंजी है जो सफलता के द्वार खोलती है। कमाने से अपने ऊपर खर्च करने का भी क्रम रखिएगा। आखिर में ये शरीर, प्राण छूट गया तो क्या फायदा। मन को साफ करके मंदिर बना लेना मन को साफ करने का सबसे सुंदर तरीका भगवान का मंत्र जाप, नाम जाप करते जाओ तो मन शुद्ध होता चला जाएगा।


सच्चा गुरु कोई श्रेष्ठ गुरु धोबी के समान और शिष्य कपड़े के समान होता जाता है। उसे धोने के लिए वह भगवान के नाम का साबुन बनाता है, उसे सत्संग में ले जाकर बिठा देता है। गुरु अपनी वाणी से शिष्य को धोना प्रारंभ करता है तो उसका रंग निखारने लगता है। जगत में केवल एक माता-बहन ही ऐसी होती जो अपने लिए कुछ नहीं मांगती अपने परिवार की खुशी ही मांगती है। स्त्री और पुरुष के मंदिर जाने में अंतर है। पुरुष मंदिर जाए तो वह स्वयं के व्यापार, व्यवसाय और अपनी उन्नति मांगता है। लेकिन स्त्री जब मंदिर जाती है तो वह केवल परिवार और हर सदस्य के लिए वर मांगती है।

सारे व्रत माताएं अपने पति, बच्चे, और परिवार के लिए। सबके लिए वह व्रत रखती है, लेकिन स्वयं के लिए कभी नहीं। शिवजी ऐसे हैं कि स्त्री यदि स्वयं के लिए कुछ न मांगे लेकिन प्रभु उसे सब कुछ देते हैं। भारत की भूमि पर जन्म लेने वाला सनातनी सर्वे भवन्तु सुखिना की भावना लेकर कामना करता है। शिव कथा कहती है कि मन साफ कर लेना यानी शिवजी को अपने भीतर प्रवेश कर लेना। यदि पूरा जगत सही तरह से वो केवल माताओं और गौ माता की वजह से ही। जब तक संसार में सतीत्व वाली माताएं और गौ माता है, तब तक यहां कभी अकाल नहीं पड़ सकता। आज के कथा में प्रमुख रूप से तृप्ती सिंह प्रदेश अध्यक्ष क्षत्रानी राजपूत संगठन, कुंवर विभूति नारायण सिंह, शिक्षा विद आईपी मिश्रा, स्वीमिंग संघ के प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल, पंजा-कुश्ती संघ के प्रदेश अध्यक्ष जी. सुरेश बाबे, नेट बॉल खेल संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमन साहनी, समाज सेवी भूपेंद्र यादव, रतन लाल अग्रवाल, सुनिल गोयल, दिलीप अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।


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