रायपुर, 27 जनवरी 2024 :- 6000 करोड़ के शराब घोटाले साढ़े 4 सौ करोड़ की कोल लेवी वसूली में फंसे कांग्रेस सरकार के मंत्री, विधायक, अधिकारियों की मुश्किल कम होती नजर नहीं आ रही हैं। इन मामलों की जांच कर रही ईडी ने 17 जनवरी राजधानी रायपुर स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में FIR दर्ज कराई है।
ईडी सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने तीन पूर्व मंत्रियों, कुछ पूर्व व वर्तमान विधायकों, पूर्व मुख्य सचिव, दो निलंबित आईएएस, एक रिटायर्ड आईएएस, कई कांग्रेस नेताओं सहित 103 लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। प्रवर्तन निदेशालय ने एंटी करप्शन ब्यूरो में दो अलग-अलग मामलों में दर्ज कराई। कोयला घोटाले में 33 और शराब घोटाले में 70 से ज्यादा लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट है।
6000 करोड़ के शराब घोटाला केस
छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा में शराब घोटाले में एक दूसरी एफआईआर दर्ज की है, जिसमें 70 से अधिक लोगों के नाम है। शराब घोटाले की एफआईआर में पिछले एक मुख्य सचिव विवेक ढांड का नाम भी है।
एक रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा और अखिल भारतीय सेवा के अन्य अफसर अरुण पति त्रिपाठी के अलावा अनवर ढेबर का नाम है। राज्य सरकार के पिछले कांग्रेसी आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम है। एक अन्य पिछले आबकारी कमिश्नर निरंजन दास का भी नाम इस एफआईआर में है. इसके अलावा रायपुर के रतन प्रिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड का नाम भी इस एफआईआर में है। इसके बाद आबकारी विभाग के दर्जनों अधिकारियों के नाम इसमें हैं। अफसरों से परे भिलाई के विजय भाटिया, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, यश टुटेजा, नितेश पुरोहित,, यश पुरोहित जैसे कारोबारी के नाम भी इसमें है।
प्रदेश की तीन बड़ी डिस्टलरी के नाम भी इसमें आरोपी लिखे गए हैं। कुछ ऐसी फर्मों के नाम भी हैं जो कि प्रदेश के बाहर की शराब खरीद कर राज्य सरकार को बेचने का काम करती थी। ढेबर परिवार की और कई फर्मों के नाम इसमें हैं, और परिवार के सदस्यों के नाम भी हैं। कांग्रेस पार्टी के कई पदाधिकारी के नाम है। 13 पेज लंबी इस एफआईआर में राज्य में कैसे शराब घोटाला किया गया,कैसे नकली होलोग्राम लगाकर सरकार ने ही दो नंबर की शराब बनवाई और बेची, इसका पूरा किस्सा एफआईआर में लिखा गया है।
450 करोड़ की कोल लेवी घोटाले के आरोपी
श्रीमती सौम्या चौरसिया, तत. उप सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय, छ.ग. शासन, समीर बिश्नोई, आई.ए.एस.. तत निदेशक भू-विज्ञान एवं खनिज 03, श्रीमती रानू साहू, आई.ए.एस. तत्कालीन कलेक्टर कोरबा, संदीप कुमार नायक. सहायक खनिज अधिकारी. शिवशंकर नाग खनिज अधिकारी, सूर्यकांत तिवारी, मनीष उपाध्याय, रौशन कुमार सिंह, निखिल चंद्राकर, राहुल सिंह, पारेख कुर्रे, मोईनुद्दीन कुरैशी, विरेन्द्र जायसवाल, रजनीकांत तिवारी, हेमंत जायसवाल, जोगिन्दर सिंह, नवनीत तिवारी, दिपेश टांक, देवेन्द्र डडसेना, राहुल मिश्रा, रामगोपाल अग्रवाल, तत्कालीन कोषाध्यक्ष, छ.ग. कांग्रेस पार्टी, देवेन्द्र सिंह यादव, विधायक, भिलाई नगर, शिशुपाल सोरी, तत्कालीन विधायक, कांकेर, रामप्रताप सिंह, तत्कालीन प्रवक्ता, कांग्रेस, विनोद तिवारी, तत्कालीन पी.ई.पी., अमरजीत भगत, तत्कालीन विधायक, सीतापुर, चंद्रदेव प्रसाद राय, तत्कालीन विधायक, बिलाईगढ़, बृहस्पत सिंह, तत्कालीन विधायक, रामानुजगंज, इदरीश गांधी, पी.ई.पी., गुलाब कमरो, तत्कालीन विधायक, भरतपुर- सोनहत, यु.डी. मिंज, तत्कालीन विधायक, कुनकुरी, सुनील कुमार अग्रवाल, इंद्रमणी ग्रुप निवासी रायपुर, जय, सूर्यकांत का साथी, चंद्रप्रकाश जायसवाल, निवासी कोरबा, लक्ष्मीकांत तिवारी एवं अन्य।
सुब्बू, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, मे. ढिल्लन प्रा.लि., यश टूटेजा, नीतेश पुरोहित, यश पुरोहित, अभिषेक सिंह, मनीष मिश्रा, संजय कुमार मिश्रा, अतुल कुमार सिंह, मुकेश मनचंदा, ओम सांई ब्रेवरेज, विजय भाटिया, आशीष सौरभ केडिया, मे. दिशिता वेंचर्स प्रा.लि., मे. छत्तीसगढ़ डिस्टलरीज, मे. भाटिया वाइन एवं मर्चेंट, मे. वेलकम डिस्टलरीज, सिद्धार्थ सिंघानिया, मे. सुमीत फैशलिटीज, बच्चाराज लोहिया, मे. हंटर सॉल्यूशन, मे. अलर्ट कमांडो प्रा.लि., अमित मित्तल, मे. ए टू जेड प्रा.लि., मे. उदय राव, मे. प्राइम वन वर्क फोर्स, लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल, विधु गुप्ता, प्रीज्म होलोग्रॉफी, दीपक दुआरी, दिपेन चावड़ा, मे. प्राईम डेव्हलपर्स, मे. ए. बिल्डकॉन, मे. ए.जे.एस. एग्रोटेक प्रा.लि., सफायर इस्पात के मालिक उमेर ढेबर, और जुनैद ढेबर, अख्तर ढेबर, मे. जगदम्बा इंटरप्राइजेस, अशोक सिंह, सुमीत मलो, रवि बजाज, अज्ञात कांग्रेस के पदाधिकारीगण, विवेक ढांड, अन्य आबकारी अफसर, और विकास अग्रवाल के साथीगण ।
ED का खुलासा, इस तरह होती थी उगाही
ईडी ने कोल लेवी स्कैम में आरोपी सूर्यकांत तिवारी, सीएम की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया, आईएएस समीर विश्वोनोई और खनिज विभाग के अन्य अफसरों के खिलाफ पीएमएलए के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की। इन सभी 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर करीब 222 करोड़ की संपत्ति अटैच की है।
ईडी ने बताया कि आरोपी सूर्यकांत तिवारी, सौम्य चौरसिया, कोरबा की तत्कालीन कलेक्टर और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर राजनीतिक हस्तियों के संरक्षण में आपराधिक षडयंत्र किया गया। यह बताया गया कि खनिज के डीओ, और ट्रांसपोर्ट परमिट को ऑनलाईन की जगह मैनुअल पद्धति से करने का आदेश पारित किया गया। इसके लिए ऑनलाईन सिस्टम में एरर दर्शाया गया।
जांच में यह पाया गया कि प्रदेश के रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर, जैसे बहुमूल्य क्षेत्रों में खनिज अधिकारियों ने खनिज संचालनालय से जारी मैनुअल डीओ और परमिट्स के आदेश को आधार बनाकर कोयला ट्रांसपोर्टरों से 25 रूपए टन के हिसाब से अवैध वसूली की गई। इस तरह कोरबा के तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी को अवैध लेवी की रकम 552 करोड़ प्राप्त होने के साक्ष्य मिले हैं।
ईडी ने जांच में पाया कि सूर्यकांत तिवारी, हेमंत जायसवाल, नवनीत तिवारी, निखिल चंद्राकर, रौशन कुमार सिंह, और रजनीकांत तिवारी के जरिए कोयला बाहुल्य जिलों के ट्रांसपोर्टरों अथवा खरीददारों से दबाव डालकर 25 रूपए प्रति टन लेवी देने पर ही डीओ और टीपी मेनुअल जारी करने के निर्देश खनिज अफसरों को वॉट्सऐप चैट के जरिए दिया जाता था। जांच में कोयले के अलावा लौह अयस्क, और डीएमएफ में भी अवैध लेवी उगाही कर सूर्यकांत तिवारी के अनुपम नगर स्थित घर पहुंचाना पाया गया है।
इस तरह हुआ था शराब घोटाला
ईडी ने बताया कि आईएएस अनिल टूटेजा, द्वारा अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी, विशेष सचिव आबकारी विभाग, सिंडिकेट के रूप में काम करते रहे। अनवर ढेबर के सहयोगी विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, अरविंद सिंह, संजय दीवान, और देशी शराब डिस्टलरी मालिक और विभिन्न जिलों में आबकारी अफसरों के साथ मिलकर शराब की बिक्री में अवैधानिक कमीशन की उगाही की गई, साथ ही बिना हिसाब के शराब की सरकारी शराब दुकानों में सप्लाई कर करीब 2161 करोड़ की अवैध कमाई कर शासन को क्षति पहुंचाई गई।
अवैध रकम से अर्जित अनिल टूटेजा, अरूणपति त्रिपाठी, और अनवर ढेबर की अचल संपत्ति को अर्जित की गई। ईडी ने जांच में यह भी पाया कि देशी शराब के निर्माणकर्ता छत्तीसगढ़ डिस्टलरी मे. भाटिया वाइन मर्चेंट लि., और वेलकम डिस्टलरी जिन्हें राज्य में देशी शराब प्रदान करने का लाइसेंस प्राप्त है। अनवर ढेबर द्वारा अनिल टूटेजा से अपने पारिवारिक संबंध, और राजनीतिक प्रभाव का लाभ लेते हुए सीएस एमसीएल के एमडी अरूणपति त्रिपाठी के साथ मिलकर डिस्टलरियों से शराब निर्माण कराने के रेट में साथ मिलकर डिस्टलरियों से शराब निर्माण कराने के रेट में बढ़ोत्तरी कर मालिकों से लाखों रूपए का अवैध कमीशन प्राप्त किया गया।
इसी तरह देशी शराब की सप्लाई के लिए राज्य में बनाई गई सरकारी शराब दुकानों की व्यवस्था के समानांतर नई व्यवस्था बनाकर डिस्टलरी संचालकों से बिना रिकॉर्ड के देशी शराब का निर्माण कर डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर सरकारी शराब दुकानों के जरिए पृथक से शराब बिक्री कराकर करोड़ों की अवैध कमाई की गई। इस कृत्य में डिस्टलरी मालिकों, सप्लाईकर्ता एजेंसियों, होलोग्राम प्रदायकर्ता एजेंसी, और आबकारी विभाग के अफसर संलग्न रहे हैं।