सात सौ करोड़ के मेडिकल घोटाले में संरक्षण देने वाले पांच आईएएस अधिकारियों की कब होगी गिरफ्तारी
00 मोक्षित कार्पोरेशन के संचालक सहित पांच छोटे अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद उभरा सवाल
00 घोटाले के सूत्रधारों में सीजी एमएससी के प्रबंध संचालक रहे तीन आईएएस का नाम की भी चर्चा

रायपुर 18 मई 2025:- छत्तीसगढ़ मेडिकल घोटाला में छोटी मछलियां फंसी, मगरमच्छ अब तक बाहर जिन अफसरों ने रातों रात करोड़पति बनने के लिए छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में खून की जांच और दवाएं सप्लाई करने के नाम पर छत्तीसगढ़ मेडिक्ल सर्विसेज कॉर्पोरेशन CGMSC के अधिकारियों ने गरीब मरीजों की सेहत से खिलवाड़ किया है।

रायपुर में 700 करोड़ के मेडिकल घोटाले के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने आनन- फानन में छोटी मछलियों यानि 5 छोटे अधिकारियों सहित घोटाले में शामिल मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चौपड़ा को तो गिरफ्तार कर लिया, लेकिन इस घोटाले को जिन मगरमच्छों यानि 5 आईएएस अफसरों के संरक्षण में किया गया है वो अब तक बचे हुए हैं। उप
अब सवाल उठने लगा है कि जिन अफसरों ने रातों रात करोड़पति बनने के लिए छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में खून की जांच और दवाएं सप्लाई करने के नाम पर छत्तीसगढ़ मेडिक्ल सर्विसेज कॉर्पोरेशन CGMSC के
अधिकारियों ने गरीब मरीजों की सेहत से खिलवाड़ किया है। गरीबों के इलाज के लिए खरीदी जाने वाली दवा और लैब रिएजेंट किट खरीदने में घोटाला किया है वे अब तक एसीबी ओर ईओडब्ल्यू के अफसरों की पकड़ से दूर क्यों हैं। आखिर वो कौन सी ताकत है जो इन्हें संरक्षण दे रही है।
सूत्रों का कहना है कि इस पूरे घोटाले के सूत्रधारों में CGMSC के प्रबंध संचालक पद पर रहे तीन आईएएस अफसरों का नाम भी सामने आया है। इनमें पद्मिनी भोई साहू, पूर्व प्रबंध संचालक चंद्रकांत वर्मा, पूर्व संचालक स्वास्थ्य सेवाएं भीम सिंह का नाम शामिल है। एसीबी ओर ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने इनसे पूछताछ भी की है, लेकिन मामला पूछताछ के आगे नहीं बढ़ सका। कहा ये भी जा रहा है बचने के लिए कई अधिकारी विभाग अब फाइलों को हेर फेर करने में लगे हैं।
मेडिकल घोटाले की जांच में सामने आया कि छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) ने लैब की रीएजेंट किट, दवा खरीदी में करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है। जांच में ये भी पता चला कि मात्र 15-15 दिन बाद ही अवैधानिक तरीके से 3-3 सौ करोड़ की दवाइयां, किट खरी को खरीदी गईं। इतना ही नहीं 28 करोड़ से ज्यादा रीएजेंट किट खराब हो गईं। हर बड़े घोटाले की जांच की तरह इस मामले में भी एसीबी और ईओब्ल्यू जांच कर रही है।
2023 में मेडिकल उपकरणों की खरीद में सरकार के खजाने को लगभग 500 करोड़ रुपये की चपत लगाई है।
आरोपपत्र में कहा गया है कि न तो सभी सदस्यों के हस्ताक्षर लिए गए और न ही इसमें अपनाई गई प्रक्रिया पारदर्शी थी।
इसके बजाय, आरोपी अधिकारियों ने प्रक्रिया में अपनाए गए मानदंडों को दरकिनार करते हुए और समिति से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई। इन बातों से यह भी पता चला है कि सीजीएमएससी द्वारा 2 जून 2023 को 314.81 करोड़ रुपए के खरीद आदेश बिना किसी स्वीकृत बजट या प्रशासनिक अनुमति के जारी किए गए थे।
कई गुना ज्यादा पर खरीदी
दवाएं, मेडिकल रिएजेंट खरीदी कई गुना महंगे दामों पर की गई। उदाहरण के लिए, ब्लड टेस्ट सैंपल लेने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली ईडीटीए ट्यूब मोक्षित कॉरपोरेशन से 2,352 रुपए प्रति पीस की दर से खरीदी गई, जबकि अन्य संस्थानों ने उसी सामग्री को अधिकतम 8.50 रुपये की दर से खरीदा था. सीबीसी मशीन, जो खुले बाजार में 5 लाख रुपए में मिलती है, उसे मोक्षित कॉरपोरेशन ने सीजीएमएससी को 17 लाख रुपए में उपलब्ध कराई थी।
अब तक 06 गिरफ्तार हुए
एसीबी और ईओडब्ल्यू ने अब तक दवा सप्लाई करने वाली कंपनी मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा सहित 5 छोटी मछलियों को गिरफ्तार किया है। इनमें छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन तकनीकी महाप्रबंधक कमल कांत पाटनवार, बायोमेडिकल इंजीनियर खिरौद रावतिया, पूर्व तकनीकी महाप्रबंधक बसंत कोशिक, स्वास्थय विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई और दीपर कुमार बांधे के नाम शामिल हैं।