ब्रेकिंग:- महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप घोटाला: सीबीआई की छापेमारी, अभिषेक माहेश्वरी की रहस्यमयी गुमशुदगी ने बढ़ाई जांच की जटिलता…..17(A) के तहत स्वीकृति प्राप्त होने के बावजूद दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी नहीं, जिससे संदेह और सवाल खड़े हो रहे हैं…..?

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महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप घोटाला: सीबीआई की छापेमारी, माहेश्वरी की रहस्यमयी गुमशुदगी ने बढ़ाई जांच की जटिलता

// माहेश्वरी को छापेमारी की भनक लगने की संभावना है, जिसके कारण वह अचानक गायब हो गए।

// दोनों कांस्टेबलों के नाम और महादेव सट्टा ऐप की जांच से जुड़े संवेदनशील स्थानों तक पहुंच प्राप्त करने में उनकी भूमिका।

// 17(A) के तहत स्वीकृति प्राप्त होने के बावजूद दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी नहीं, जिससे संदेह और सवाल खड़े हो रहे हैं।

रायपुर/राजनांदगांव,28 मार्च 2025:- महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप घोटाले की जांच में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में कई जगहों पर दबिश दी। इन छापेमारी के दौरान एक अहम शख्सियत, बहुत चर्चित अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अभिषेक माहेश्वरी का रहस्यमय गायब होना, पूरे मामले को एक नए मोड़ पर ले आया।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, महेश्वरी का नाम इस घोटाले में प्रमुखता से सामने आया था, और उनकी गतिविधियां लगातार सीबीआई के रडार पर थीं। सीबीआई की कई टीमों ने एक के बाद एक महत्वपूर्ण स्थानों पर रेड की, लेकिन इस दौरान महेश्वरी का कहीं भी कोई पता नहीं चला। सूत्रों के अनुसार, महेश्वरी के गायब होने के बाद सीबीआई और स्थानीय पुलिस दोनों ही उनके ठिकाने को लेकर असमंजस में हैं। सीबीआई ने महेश्वरी के घर में रेड की, लेकिन वह वहां नहीं मिले। इस बीच, उनकी राजधानी रायपुर स्थित आलीशान आवास से लेकर राजनांदगांव और सुकमा में उनकी मौजूदगी का कोई पता नहीं चला।

सीबीआई सूत्रों ने बताया कि महेश्वरी के गायब होने के बाद जांच में और भी जटिलताएं पैदा हो गईं हैं। सीबीआई को यह आशंका है कि महेश्वरी को सीबीआई की रेड के बारे में पहले से जानकारी हो गई थी और इस कारण वह फरार हो गए हैं। हालांकि, सीबीआई ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

सीबीआई की टीम ने दूसरे दिन माहेश्वरी के राजनांदगांव स्थित कंचनबाग के पॉश सन सिटी इलाके में उनके आलीशान घर की तलाशी ली, लेकिन माहेश्वरी के घर पर उनकी अनुपस्थिति ने जांचकर्ताओं को चौंका दिया। सीबीआई ने माहेश्वरी के घर को सील कर दिया और अगले दिन वापस आकर जांच की। इस दौरान सीबीआई की पांच सदस्यीय टीम ने चार घंटे से अधिक समय तक दस्तावेजों और अन्य सामग्री की जांच की, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि क्या सामग्री बरामद हुई।

माहेश्वरी के गायब होने के मामले ने सीबीआई जांच में और भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना सीबीआई की जांच में एक नया मोड़ पेश करती है, क्योंकि माहेश्वरी का नाम इस घोटाले में प्रमुखता से सामने आया था और उनके गायब होने से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह एक सुनियोजित प्रयास था, ताकि वे जांच से बच सकें। इस स्थिति ने सीबीआई की टीम को और भी चौकस बना दिया है, जो अब महेश्वरी के ठिकाने का पता लगाने के लिए अपनी सारी शक्ति लगा रही है।

इस बीच, सूत्रों के अनुसार, सीबीआई अब महेश्वरी के करीबी सहयोगियों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जिनमें हेड कांस्टेबल संदीप दीक्षित और राधाकांत पांडे शामिल हैं। इन दोनों ने महादेव एप से जुड़ी जांच से जुड़े संवेदनशील स्थानों तक पहुंच प्राप्त की थी, जिससे जांच की दिशा और जटिल हो गई है। सीबीआई को यह संदेह है कि इन दोनों की भूमिका जांच में रुकावट डालने की हो सकती है, और अब उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।

इसके अलावा, दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ जिनके खिलाफ 17(A) के तहत स्वीकृति प्राप्त की गई थी, उनके ठिकानों पर सीबीआई ने छापेमारी नहीं की। यह चुप्पी छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा (IPS) के उच्च अधिकारियों में संदेह उत्पन्न कर रही है। अब, सीबीआई के ऑपरेशन से इन दो अधिकारियों को बाहर रखने के कारण उनके ठिकानों पर छापेमारी न होने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह एक जानबूझकर की गई कार्रवाई है, जो प्रभावशाली व्यक्तियों को जांच से बचाने की कोशिश कर रही है।

इस संदर्भ में एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “सीबीआई ने जिन अधिकारियों को टार्गेट किया है, वह बड़े नाम हैं, लेकिन जिन अधिकारियों को स्पष्ट रूप से सुरक्षा मिली हुई थी, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह निश्चित रूप से इस पूरे मामले को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।


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