ब्रेकिंग:- कौन होगा पुलिस परिवार का मुखिया अब तक स्पष्ट नहीं ?,… खुफिया चीफ को भी लेकर सरकार संशय में…DGP व खुफिया चीफ़ को लेकर सुबह से रात तक अटकलें का बाजार रहता है गर्म…. क्या स्वागत दास हो सकते हैं नए डीजीपी ?

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रायपुर 16 जनवरी 2024:- छत्तीसगढ़ में पुलिस परिवार के मुखिया का ताज क्या स्वागत दास को दिया जा सकता है इस आशय का चर्चा प्रदेश में व्याप्त है स्वागत दास के दौरे को भी देखकर इसमें चर्चा ज्यादा तेज हो गई है बताया जाता है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सानिध्य में लंबे समय से सेवाएं दे रहे स्वागत दास अमित शाह की पहली पसंद बताए जाते हैं मंगलवार की शाम को हुए राजधानी रायपुर पहुंचे उनके पहुंचते ही बाजार में फिर अटकलें का दौर चालू हो गया IPS स्वागत दास राजधानी रायपुर पहुंचेश बीते 23 वर्षों से केंद्र में प्रतिनियुक्त आईपीएस स्वागत दास 1987 बेंच राजधानी रायपुर पहुंचे हैं। गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) के पदस्थ हैं। उनका दौरा ऐसे समय हो रहा है जब प्रदेश में नए डीजीपी की नियुक्ति की अटकले जोरों पर है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में पुलिस परिवार का मुखिया कौन होगा या अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है 3 दिसंबर को मतगणना होने के उपरांत से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि नई भाजपा सरकार के गठन होते ही पुलिस परिवार को भी नया मुखिया मिल जाएगा वैसे अशोक जुनेजा का कार्यकाल 5 सितंबर 2024 तक है सरकार चाहे तो उन्हें पहले भी बदल सकती है किंतु सरकार अभी तक यही नई तय कर पाई है कि पुलिस परिवार के मुखिया के रूप में किस रखा जाए क्या अशोक जुनेजा सितंबर तक अपना कार्यकाल पूरा करेंगे या उसके पूर्व ही पुलिस परिवार का कोई नया सदस्य मुखिया के रूप में विराजमान हो जाएगा

वैसे डीजीपी के रूप में अशोक जुनेजा का कार्यकाल पूरी तरह शून्य रहा उनके कार्यकाल में उपलब्धि के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे लिखा जा सके यहां तक की उनके आदेश का भी जिले में पालन नहीं होता था ना ही उनके द्वारा दिए गए किसी पत्र का कोई जवाब दिया जाता था ऐसे में इस सरकार से लोगों की उम्मीद थी कि सत्ता की चाबी मिलते ही पुलिस परिवार का मुखिया बदल दिया जाएगा।

किंतु सरकार गठन के बाद से रोज सुबह से अटकलें चालू होती है और शाम तक अटकलें का बाजार गर्म रहता है रात में स्थित फिसड्डी साबित होती है नए डीजीपी के लिए स्वागत दास, राजेश मिश्रा, पवनदेव और अरुणदेव गौतम मुख्य दावेदार, हैं पुलिस परिवार का मुखिया तो छोड़िए सरकार गठन होने के बाद से सरकार ने अब तक अपना इंटेलिजेंस चीफ को नहीं बदला है

जिसको लेकर पुलिस के अधिकारियों में समस्या है कि हम जिले की बात सरकार तक किसके मार्फत पहुंचाएं वर्तमान गुप्तचर प्रभारी कांग्रेस शासन काल में चर्चित अधिकारी के रूप में थे इसको लेकर वर्तमान सत्ता भी उन्हें हटाने की मानसिकता में थी किंतु अब तक सरकार ने इंटेलिजेंस चिप को भी नहीं बदला है ऐसे में आगामी दो माह के अंदर लोकसभा चुनाव का सामना सरकार किस स्तर पर करेगी यह अभी समय के गर्त में है

पुलिस विभाग के इस सबसे बड़े पद के लिए सत्ता के गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म है। कई तरह के दावे किए जा रहे। एक वर्ग का कहना है कि यहां अगर कोई नाम नहीं जमा तो बाहर से भी सरकार किसी आईपीएस को बुलाकर पुलिस महकमे की कमान सौंप सकती है।

अशोक जुनेजा 89 बैच के आईपीएस हैं। वे जब डीजीपी बनाए गए तब छत्तीसगढ़ में 88 बैच के एकमात्र आईपीएस संजय पिल्ले उनसे सीनियर थे। वहीं 87 बैच के स्वागत दास मिनिस्ट्री आफ होम में स्पेशल सिकरेट्री हैं। स्वागत दास पहले आईबी में थे। मगर एमएचए में अब उनकी कोई खास पोस्टिंग नहीं है। उनका इसी साल नवंबर 2024 में रिटायरमेंट है। स्वागत कभी छत्तीसगढ़ में काम नहीं किए हैं। मध्यप्रदेश के समय ही वे डेपुटेशन पर दिल्ली चले गए थे। राज्य बंटवारे में उन्हें

छत्तीसगढ़ कैडर मिला मगर वे यहां न आए और न ही सरकार ने उन्हें बुलाने की कोशिश की। अब जब डीजीपी नियुक्ति की चर्चाएं शुरू हुई हैं, एक नाम स्वागत दास का भी आ रहा। जाहिर है, इस समय सीनियरिटी में वे सबसे उपर हैं। वे अगर डीजीपी बन गए तो उन्हें फायदा यह होगा कि आज की तारीख से उनका कार्यकाल दो साल का हो जाएगा।

याने रुटीन में वे नवंबर में रिटायर होंगे मगर डीजीपी बनने के बाद वे जनवरी 2026 में रिटायर होंगे। क्योंकि प्रकाश सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट का गाइडलाइन है कि डीजी की नियुक्ति की डेट से दो साल का कार्यकाल रहेगा। अशोक जुनेजा इसी गाइडलाइन के तहत डीजीपी हैं। उनका पूर्णकालिक डीजीपी का आदेश पिछले साल 5 सितंबर को निकला था। हालांकि, प्रभारी डीजीपी वे उस डेट से 11 महीने पहले बन गए थे। ऐसे में, स्वागत दास अगर डीजीपी बने तो उन्हें एक साल का कार्यकाल बतौर बोनस मिल गया है ।

रही बात छत्तीसगढ़ के दावेदारों की तो अशोक जुनेजा के जस्ट नीचे 90 बैच में राजेश मिश्रा हैं। राजेश के साथ दिक्कत यह है कि उनका इसी महीने रिटायरमेंट है। हालांकि, नाम उनका भी चल रहा। राजेश के बाद 92 बैच में पवनदेव और अरुणदेव गौतम हैं। फिर 94 बैच में हिमांशु गुप्ता और एसआरपी कल्लुरी। सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि स्वागत दास के अलावा भी कई विकल्प हैं। इनमें सेंट्रल फोर्सज में पोस्टेड दूसरे कैडर के अफसरों पर भी विचार चल रहा है। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में भी सीनियर लेवल पर कई आईपीएस हैं।

अलबत्ता, सवाल यह भी उठता है कि सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइंस के हिसाब से अगर जुनेजा का 5 सितंबर तक कार्यकाल है तो उन्हें कैसे हटाया जाए? तो उनकी पोस्टिंग आदेश में सरकार ने बड़ी चतुराई से इस बात का उल्लेख किया है कि पोस्टिंग डेट से उनका कार्यकाल दो साल होगा या सरकार उन्हें हटा दे, उस डेट तक। कई प्रदेशों में राज्य सरकार डीजीपी को दो साल से पहले हटाई भी है। राज्य सरकार के खिलाफ कोई डीजीपी जाता भी नहीं। अभी तक सिर्फ एक दृष्टांत केरल का है। केरल के डीजीपी दो साल से पहले हटाने पर कोर्ट गए और उनके पक्ष में फैसला भी आया। बहरहाल, जुनेजा से सरकार को कोई दिक्कत नहीं। वे बीजेपी सरकार में भी

प्रभावशाली पदों पर रहे। रमन सरकार ने ही उन्हें खुफिया चीफ बनाया था। कांग्रेस सरकार में वे डीजीपी जरूर रहे मगर नाम का ही… कहना ज्यादा बेहतर होगा। बहरहाल, इस समय संगठन का काफी प्रेशर है कि डीजीपी बदला जाए। सो, सूबे में चर्चाआ का दौर जारी है।


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