भिलाई नगर 25 फरवरी 2023 :! भारतीय परंपरा में प्राचीन काल से सूर्य को हमारी पृथ्वी के जीवनदाता के रूप में पूजा जाता है। औद्योगिक युग में हमें ऊर्जा स्रोत के रूप में सूर्य के प्रकाश का ज्ञान प्राप्त हुआ। विदित हो की भारत सौर ऊर्जा की विपुल क्षमता से संपन्न देश है। भारत के भूमि क्षेत्र पर प्रति वर्ष लगभग 5,000 ट्रिलियन केडब्ल्यूएच ऊर्जा आपतित होती है, जिसका अधिकांश भाग 4-7 केडब्ल्यूएच प्रति वर्ग मीटर प्रति दिन प्राप्त होता है। विपुल क्षमता को देखते हुए भारत में सोलर फोटोवोल्टिक शक्ति का प्रभावी ढंग से दोहन किया जा सकता है। सोलर, वितरित आधार पर बिजली उत्पन्न करने की क्षमता भी प्रदान करता है और कम लीड समय में तेजी से क्षमता संवर्धन में सक्षम बनाता है। ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से, सभी स्रोतों में सोलर सर्वाधिक सुरक्षित है, क्योंकि यह प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। सैद्धांतिक रूप से, कुल आपतित सौर ऊर्जा का एक छोटा सा भाग (यदि प्रभावी ढंग से कैप्चर किया जाए) पूरे देश की बिजली आवश्यकताएं पूरी कर सकता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय ऊर्जा परिदृश्य में सौर ऊर्जा का स्पष्ट प्रभाव दिखाई दे रहा है। बीते वर्षों में भारत में सौर ऊर्जा क्षेत्र, ग्रिड से जुड़ी बिजली उत्पादन क्षमता में एक महत्वपूर्ण हिस्सेदार बनकर उभरा है।
देश भर में शीघ्रातिशीघ्र सोलर प्रौद्योगिकी प्रसार के लिए नीतिगत शर्तें निर्धारित करके सौर ऊर्जा क्षेत्र में भारत को वैश्विक अग्रणी के रूप में प्रतिष्ठित करना मिशन का उद्देश्य है। भारत सरकार ने उपरोक्त लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में देश में सौर ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं जिनमें ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप योजना आदि शामिल हैं।
भारत सरकार के इस योजना को सफल बनाने तथा अपने पर्यावरणीय प्रयासों को स्थायित्व देने हेतु सेल-भिलाई स्टील प्लांट ने भिलाई टाउनशिप के घरों तथा दुकानों आदि में रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाने हेतु सक्रिय कदम उठाया है। यह कदम रूफटॉप सौर ऊर्जा परियोजना को लागू करने के लिए बीईई से मान्यता प्राप्त ऊर्जा लेखा परीक्षकों द्वारा किए गए तीसरे अनिवार्य ऊर्जा लेखापरीक्षा की सिफारिश के अनुसार है। भारत सरकार द्वारा रूफ टाॅप पर सोलर पैनल लगाने हेतु आवश्यक सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है।
इस हेतु एक नई सरलीकृत प्रक्रिया विकसित की गई है जो भारत सरकार के अक्षय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा सीधे लाभार्थी के खाते में सब्सिडी के हस्तांतरण की अनुमति देती है। भारत सरकार के अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के फे़ज-2 के अंतर्गत बीएसपी के टाउन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को घरेलु रूफ टाॅप सिस्टम लगाने की कुल 3 मेगावाट क्षमता प्रदान की गई है। इसके अनुसार कोई भी घरेलु उपभोक्ता 10 किलोवाट तक का रूफ टॉप सिस्टम लगा सकता है।
रूफ टाॅप पर सोलर पैनल लगाने हेतु व्यक्तिगत उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा सूचीबद्ध विक्रेताओं में से किसी भी विक्रेता के माध्यम से काम करवाने के लिए स्वतंत्र होगा। काम पूरा होने के बाद टीईईडी अधिकारी एमएनआरई दिशानिर्देशों के अनुसार स्थापना को प्रमाणित करेंगे और इस प्रकार उपभोक्ता सीधे अपने बैंक खाते में एमएनआरई सब्सिडी प्राप्त करने के पात्र होंगे। बिलिंग में प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए बिजली बिलिंग मॉड्यूल में उपयुक्त प्रविष्टि टीईईडी द्वारा सी एंड आईटी द्वारा तैयार किए जा रहे बिजली बिलिंग मॉड्यूल में की जाएगी, जिस पर प्रबंधन की स्वीकृति पहले ही प्राप्त की जा चुकी है।
गैर-जीवाश्म-ईंधन से 40 प्रतिशत विद्युत शक्ति के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा एक मुख्य स्रोत है। भारत सरकार ने वर्ष 2022 तक देश में 100 गीगा वाट सौर ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें से 40 गीगा वाट रूफटॉप सोलर सिस्टम (आरटीएस) से प्राप्त किया जाना है। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (आईएनडीसीएस) के एक हिस्से के रूप में, भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से बिजली की स्थापित क्षमता का हिस्सा 40 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सेल-बीएसपी ने लंबे समय तक कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी और बीएसपी की ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए, जहां तक संभव हो, पारंपरिक जीवाश्म ईंधन आधारित थर्मल पावर को सौर/नवीकरणीय ऊर्जा से बदलने का लक्ष्य रखा है।
रूफटॉप सोलर सिस्टम का कार्य सिद्धांत यह है कि सौर प्रौद्योगिकियां सूर्य के विकिरण को अवशोषित करती हैं और इसे ऊर्जा में बदल देती हैं। जब सूर्य एक सौर पैनल पर चमकता है, तो पैनल में फोटोवोल्टाइक्स (पीवी) कोशिकाएं सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करती हैं, जिससे विद्युत प्रवाह के निर्माण में मदद मिलती है। रूफटॉप सोलर प्लांट से तात्पर्य उस प्लांट से है जहां आवासीय या व्यावसायिक भवन के ऊपर सोलर पैनल लगाए जाते हैं।
रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने से उपभोक्ताओं के साथ-साथ सरकार को भी कई फायदे हैं। उदाहरण के लिए, जहां ये उपभोक्ताओं बिजली बिलों में कटौती करने में मदद करेंगे वहीं ये “गो ग्रीन” के भारत सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होंगे। साथ ही, इसके अन्य लाभ भी हैं जैसे कम समयावधि में लागत की रिकवरी, न्यूनतम पारेषण और वितरण क्षति आदि। यह पारंपरिक बिजली आपूर्ति की तुलना में सस्ता है और सरकारी सब्सिडी भी लागत को कम करने में मदद करती है।
अधिकांश रूफटॉप सोलर सिस्टम की जीवन अवधि 25 वर्ष तक होती है और इसके लिए केवल नियमित सफाई और मरम्मत जैसे बुनियादी रखरखाव की आवश्यकता होती है। अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सौर पैनल स्थापित करने के लिए खाली छत का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही, यह कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद करता है क्योंकि सौर ऊर्जा का एक स्वच्छ और नवीकरणीय स्रोत है जो ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है।
हाल ही में, भारत ने इटली को पीछे छोड़ते हुए सौर ऊर्जा परिनियोजन में 5वां वैश्विक स्थान प्राप्त किया है। पिछले पांच वर्षों में मार्च, 2014 में 2.6 जीडब्ल्यू के स्तर से, जुलाई, 2019 में 30 जीडब्ल्यू तक सौर ऊर्जा क्षमता में 11 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। वर्तमान में, भारत में सोलर टैरिफ बहुत प्रतिस्पर्धी है और इसने ग्रिड समानता हासिल की है।