भिलाई नगर 10 अप्रैल 2023 : आज 10 अप्रैल को भिलाई के दिव्यांग बच्चों की स्कूल स्नेह संपदा सेक्टर 8 में संजीवनी आरोग्य वाहिनी वेलफेयर सोसाइटी द्वारा विश्व होमियोपैथी दिवस मनाया गया। आयोजन के मुख्य अथिति दुर्ग जिले के वरिष्ठ होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ पी पी सिंह थे एवं अतिथि के रूप में समाज सेवी श्रीमती रत्ना नारंग देव थी। कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ लक्षप्रद व अतिथियों ने मिलकर डॉ हैनिमैन जी तेल चित्र पर माल्यार्पण किया और दीप प्रज्वलन किया।
उन लोगो ने अपने अभिभाषण में आज के दिन का महत्व बताते हुए कहा कि होमियोपैथी चिकित्सा के जनक डॉ सैमुअल हैनिमैन जी की 268 वी जयंती का सेलिब्रेशन किया। तथा आज के दिन का महत्व समझाते हुए बताया कि आज के दिन डॉ सैमुअल हैनिमैन जी का जन्म 10 अप्रैल 1755 ईसवी जर्मनी के एक गरीब परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही बहुत विद्वान अध्ययनशील प्रकृति के थे। उन्होंने एलोपैथी में एमडी की उपाधि ली थी किंतु एलोपैथी की खामियों से दुखी होकर अध्ययन और शोध करने लगे।
इस दौरान उन्हें ज्ञान हुआ की औषधि को पतला अर्थात तनुकारण करते जाओ तो औषधि की शक्ति बढ़ती जाती है और बीमारी जड मूल से समाप्त होती है। ऐसे होमियोपैथी चिकित्सा की उत्पत्ति हुई और उसकी पहली मेडिसिन चाइना नामक दवा थी। आज तो 3000 से ज्यादा औषधियां है। आज होमियोपैथी चिकित्सा की ट्रीटमेंट संपूर्ण विश्व में लगभग 90 देशों में की जाती है। आज एलोपैथी के बाद दूसरी सबसे बड़ी चिकित्सा पद्धति होमियोपैथी है।
अतः इतनी बड़ी मानव सेवा की विधा का ज्ञान प्रसारित करने वाले होमियोपैथिक चिकित्सक के जन्मदिन को नमन करते हुए विश्व भर में विश्व होमियोपैथी दिवस मनाया जाता है।
डॉ रानू ने कहा की केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इस वर्ष 2023 की थीम की घोषणा की है one health one family एक स्वास्थ्य एक परिवार की थीम दी है।
इसी थीम का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से प्रिडिक्टिव होमियोपैथी के सभी डॉक्टर्स ने मिलकर दिव्यांग बच्चो की ट्रीटमेंट की। जिसमे उन्होंने सेरेब्रल पाल्सी, आटिज्म, मेंटल रितर्देशन, डाउन सिंड्रोम, सिकल सेल आदि पीड़ित बच्चों को मेडिसिन देते हुए सेवा की तथा बच्चों को अमित द्विवेदी, मुकेश जैन, शशि सिंह, और एम कुमार जी ने फल मिठाई चॉकलेट बिस्कुट आदि बाटे।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले होमियोपैथिक चिकित्सकों में मुख्य रूप से डॉ पी पी सिंग, डॉ लक्षप्रद, डॉ रान नांदूरकर, डॉ सुभाष राजपाल, डॉ मानसा द्विवेदी, डॉ नांदूरकर, डॉ लीना वोहरा, डॉ हिमांशी भाटिया, डॉ अजय देवांगन, डॉ दिलीप देवांगन, डॉ दीपा राजपाल, डॉ सविता जैन आदि थे। कार्यक्रम को सहयोग प्रदान करने हेतु मनोज ठाकरे, शिशिर सिरके, रत्ना नारंग, श्रीमती सिरके का अतुलनीय योगदान रहा।