Chhath Puja : श्रद्धालुओं ने दिया अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य, घाट पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़….ट्विन सिटी के छठ तालाबों में बिखरी उत्सवी छंटा….
00 छठ पूजा में व्रती दिया आज अस्ताचल सूर्यदेव को प्रथम अर्ध्य
00 कल सुबह द्वितीय अर्ध्य के साथ चार दिनी महापर्व का होगा समापन….

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भिलाईनगर 19 नवंबर 2023:- लोक आस्था के महापर्व छठ के आज तीसरे दिन रविवार को पहला अर्घ्य दिया गया। इस दौरान छठ व्रती समेत सभी श्रद्धालुओं ने डूबते सूरज की पूजा की। इस्पात नगरी भिलाई के अलावा पुरानी भिलाई ,नंदनी अहिवारा दुर्ग, दल्ली राजहरा, चरोदा,उतई, में तालाब घाट पर चार 54 व्यवस्था की गई थी छठ व्रती को किसी भी तरह की परेशानी न हो इसके लिए घाट पर साफ-सफाई का ध्यान रखा गया है।

लोक आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरे दिन भिलाई में लाखों श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया। पंडितों के अनुसार, रविवार शाम 05:22 बजे तक भगवान भास्कर को अर्घ्य देने का समय था ।

भिलाई-दुर्ग सहित आसपास के तालाबों में आज शाम को छठ पूजा में व्रतधारी परिवारों की लगने वाली जमघट से उत्सवी छंटा बिखरी। तालाबों के घाट पर बने वेदी में पूजा अर्चना के बाद व्रती अस्ताचल सूर्यदेव को प्रथम अर्ध्य अर्पित किया। सोमवार को द्वितीय अर्ध्य देने के साथ चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का समापन होगा।


आज 19 नवंबर को छठ पूजा का तीसरा दिन है। 17 नवंबर को नहाय खाय विधान से इस महापर्व का शुभारंभ हुआ। 18 नवंबर को खरना का विधान पूरा करने व्रतधारियों ने गुड़ से बनी खीर और रोटी का सेवन किया। आज भक्तों द्वारा पूरे दिन निर्जला व्रत रखा । इस दिन संध्या अर्घ्य का अनुष्ठान भी किया , जिसे कार्तिक षष्ठी भी कहा जाता है। व्रती परिवार शाम को तालाबों में जाकर सूर्य देव की पूजा कर शाम को अर्घ्य देते ।

भिलाई टाउनशिप के सेक्टर 2, सेक्टर 7, सिविक सेंटर तालाब, छावनी तालाब, नेहरू नगर तालाब,जवाहर उद्यान, रामनगर मुक्ति धाम के समीप का तालाब, बैकुंठ धाम कैंप 2, हाउसिंग बोर्ड औद्योगिक क्षेत्र में, भिलाई तीन तालाब में छठ मनाया गया। इसी तरह नेहरू नगर, सुपेला, केम्प क्षेत्र, खुर्सीपार, जामुल, मरोदा, रिसाली, भिलाई-3 चरोदा, कुम्हारी आदि जगहों पर छठ महापर्व मनाने की तैयारी थी। डूबते सूर्य को अर्घ्य देना इस दिन का मुख्य अनुष्ठान है। यह साल का एकमात्र समय है जब डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। तीसरे दिन व्रत पूरी रात जारी रहता है। पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है।


सूर्य देव को समर्पित चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है। छठ पूजा के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है, यह महापर्व छठ का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। भक्त डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और फल, फूल और दीये चढ़ाते हैं। मान्यता है कि यह अनुष्ठान बच्चों के दीर्घायु परिवार में खुशी, सफलता और अच्छा स्वास्थ्य लाता है। । नगर निगम और बीएसपी प्रबंधन ने पर्व की पवित्रता को देखते हुए तालाबों की साफ सफाई सहित प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित कर दी थी।


20 नवंबर को सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 20 नवंबर को सूर्योदय शाम 6:27 बजे होगा। व्रत पूरा करने के बाद 36 घंटे का व्रत समाप्त हो जाएगा।सूर्य अर्घ्य के दौरान व्रती महिलाओं के साथ परिवार के सदस्य भी मौजूद हैं। अर्ध्य देने के लिए सूप बनाकर बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, चावल के लड्डू, नारियल, गन्ना, मूली, कंद आदि से सजाया गया । खरना वाले दिन छठ व्रत करने वाली महिलाएं प्रसाद ग्रहण करने के बाद कुछ भी नहीं खाती हैं। जिसके बाद 36 घंटे का यह निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। छठ पर्व के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चौथे दिन यानी उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद यह व्रत रखा जाता है और इसके बाद व्रती महिलाएं कुछ खा-पी सकती हैं


00 बाजारों में फिर से बिखरी रौनक
दीपावली के बाद सुस्त नजर आ रही भिलाई – दुर्ग के बाजारों में छठ पूजा के चलते फिर से रौनक बिखर उठी है। छठ पूजा के लिए पारम्परिक सामानों की अस्थाई दुकानें लगी है। सुपेला और पावरहाउस सहित टाउनशिप में छठ पूजा में आवश्यक टोकनी, सूपा, गन्ना, सब्जी, विभिन्न किस्म के फल आदि की पसरे में भीड़ उमड़ रही है। इसी तरह कपड़े और मिठाई की दुकानों पर भी लोगों का मजमा लगा रहा।

जानिए, भगवान भास्कर को अर्घ्य देने का फल

सूर्य की पूजा मुख्य रूप से तीन समय विशेष लाभकारी होती है – प्रातः, मध्यान्ह और सायंकाल। प्रातःकाल सूर्य की आराधना स्वास्थ्य को बेहतर करती है। मध्यान्ह की आराधनाक्ष नाम-यश देती है। सायंकाल की आराधना सम्पन्नता प्रदान करती है। अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जिनको अर्घ्य देना तुरंत प्रभावशाली होता है। जो लोग अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें प्रातःकाल की उपासना भी जरूर करनी चाहिए।

छठ का इतना महत्व क्यों है?

ज्योतिष- पंडित आचार्य अखिलेश धर् द्विवेदी के अनुसार, यह लोक आस्था का महापर्व है। मतलब, यह बिहार और पूर्वांचल के लोगों की आस्था का प्रतीक है। आस्था पर न तो सवाल किया जा सकता है और न ही इसका कोई जवाब हो सकता है। जहां तक महत्व का सवाल है तो यह प्रकृति को चलाने वाले सूर्यदेव की उपासना का पर्व है। यह देवी कात्यायनी से आशीर्वाद मांगने का पर्व है। छठ दिखाता है कि जिसका अंत है, उसका उदय भी होगा।


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