झीरम घटना में NIA की जांच पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उठाया सवाल, बोले- नक्सली रमन्ना, गणपति का नाम FIR से क्यों हटाया…..

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रायपुर 25 मई 2023 : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल झीरम हमले की 10 वीं बरसी पर बस्तर दौरे पर जाने से पहले मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि झीरम हमले की 10वीं बरसी पर मुख्यमंत्री का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने इस मामले में हुई एफआईआर से खूंखार नक्सलियों के नाम हटाने के गंभीर आरोप केन्द्र सरकार पर लगाए हैं। सीएम ने कहा भारतीय जनता पार्टी बेहद हल्के ढंग से आरोप लगाती है कि झीरम हमले को लेकर भूपेश बघेल के पास जो जानकारी है उसे वे कब देंगे।

विषय बहुत गंभीर है लेकिन जिस हल्के ढंग से बीजेपी इस पर सवाल कर रही है वो दुर्भाग्यजनक है। सीएम ने घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि झीरम हमले से पूरा देश दहल गया था। विश्व राजनीति के इतिहास में इतने बड़े राजनेताओं का एक साथ नरसंहार पहली बार हुआ था। उस समय तत्कालीन यूपीए की सरकार ने एनआईए की जांच स्थापित की थी।

राज्य सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। एनआईए की जांच शुरू हुई और उस समय जो एफआईआर किया गया उसमें व्यापक षड्यंत्र हुआ। साल 2014 अगस्त तक उस एफआईआर में नक्सली रमन्ना और गणपति के नाम का उल्लेख था। जिसमें उनकी सम्पत्ति कुर्क करने का आदेश था। थोड़ी सम्पत्ति कुर्क भी की गई बाकी छोड़ दिया गया।

सितम्बर 2014 में एनआईए ने जब कोर्ट में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की, तब आश्चर्यजनक ढंग से रमन्ना और गणपति का नाम उसमें नहीं था। फाइनल रिपोर्ट में भी उनके नाम शामिल नहीं थे। सीएम ने तल्ख तरीके से सवाल उठाते हुए कहा कि बीजेपी की मोदी सरकार ने रमन्ना और गणपति को क्यों बचाया, उनसे पूछताछ क्यों नहीं की गई और एफआईआर में अगर किसी अपराधी का नाम दर्ज हो गया तो वो हटता नहीं है। बीजेपी बताए कि नाम क्यों हटाया और उन्हे क्यों बचाना चाहती है।

जांच के लिए जो आयोग गठित किया गया उसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को न देकर सीधे राज्यपाल को दिया गया और इसके बाद कांग्रेस ने भी एक जांच आयोग का गठन किया। जिसको रोकने के लिए धरमलाल कौशिक ने स्टे लगाया। ये जांच में रुकावट डाल रहे हैं। ये वही धरमलाल कौशिक हैं जो नान घोटाले में भी स्टे लेकर बैठे हैं, रमन सिंह के खास धरमलाल हर मामले में स्टे लेने जाते हैं। हम जांच के लिए एसआईटी बनाते हैं तब एनआईए स्टे ले लेती है।

व्यापक षड्यंत्र पर जांच चल रही थी जैसे ही यूपीए की सरकार हटी और एनडीए की सरकार आयी, मोदी प्रधानमंत्री बने, तब इसे दण्डकारण्य कमेटी की घटना मानकर जांच खत्म कर दिया। बीजेपी जांच में बाधा उत्पन्न कर रही है। जांच आगे बढ़ नहीं रही है और हमें जांच करने नहीं दे रहे हैं। आखिर किसके कहने पर एनआईए के अधिकारियों ने गणपति और रमन्ना का नाम हटाया, इसका जवाब दे बीजेपी । जिस दिन केंद्र में हमारी सरकार बनेगी उस दिन सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।


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