रायपुर, 19 मई 2023/मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 21 मई दुर्ग जिले के सांकरा पाटन में आयोजित हो रहे भरोसे के सम्मेलन में गोधन न्याय योजना के हितग्राहियो को 13 करोड़ 57 लाख रूपए की राशि का ऑनलाईन अंतरण करेंगे। जिसमें 01 मई से 15 मई तक गौठानों में क्रय किए गए 1.98 लाख क्विंटल गोबर के एवज में ग्रामीण पशुपालकों को 3.95 करोड़ रूपए तथा गौठान समितियों को 5.66 करोड़ एवं स्व-सहायता समूहों को 3.96 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल है।
गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना के तहत गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को 30 अप्रैल 2023 की स्थिति में 445 करोड़ 14 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। 21 मई को 13.57 करोड़ रूपए का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 458 करोड़ 71 लाख रूपए हो जाएगा। छत्तीसगढ़ शासन की सर्वाधिक लोकप्रिय योजनाओं में से एक गोधन न्याय योजना की शुरूआत 20 जुलाई 2020 हरेली पर्व से हुई थी। इस योजना के तहत गौठानों में ग्रामीण पशुपालकों से 2 रूपए किलो में गोबर की खरीदी तथा 4 रूपए लीटर में गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। राज्य में सुराजी गांव योजना के गरूवा घटक के तहत गांवों में 10,426 गौठान स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 10,206 गौठान निर्मित एवं संचालित है। संचालित गौठानों में 30 अप्रैल 2023 की स्थिति में 114.28 लाख क्विंटल गोबर क्रय किया गया है, जिसमें गोबर विक्रेताओं को 228 करोड़ 42 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। गोधन न्याय योजना से 3 लाख 41 हजार 713 पशुपालक ग्रामीण लाभान्वित हो रहे है, जिसमें 46.51 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस योजना से भूमिहीन ग्रामीणों को भी बड़ा सहारा मिला है। लगभग 2 लाख भूमिहीन परिवार के लोग भी गौठानों में गोबर की बिक्री और रोजगार हासिल कर अपनी आजीविका चलाने में सक्षम हुए हैं।
गोधन न्याय योजना के तहत क्रय किए जा रहे गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद बनाने के साथ ही अन्य सामग्री तैयार की जा रही है। गोबर से अब तक 32.72 लाख क्विंटल कम्पोस्ट खाद तैयार की गई है, जिसमें से 24.54 लाख क्विंटल कम्पोस्ट खाद की खरीदी कर किसानों ने अपने खेतों मेें उपयोग किया है। इससे राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है।
गौठान और गोधन न्याय योजना के समन्वय से गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। आज के स्थिति में गौठान ग्रामीण अंचल में आजीविका के एक मजबूत केन्द्र के रूप में उभरे है। गौठानों में आजीविका मूलक विविध गतिविधियां संचालित है, जिससे जुड़कर महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही है। गौठानों में सामुदायिक खेती , सब्जी उत्पादन,मुर्गी पालन, बकरी पालन, पशुपालन, मछली पालन, गोबर से प्राकृतिक पेंट, दीया, अगरबत्ती, गमला, गो-काष्ठ का निर्माण भी हो रहा है। गौठानों से 14,504 महिला स्व-सहायता समूह जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 1 लाख 71 हजार 585 है। महिला समूह द्वारा संचालित आयमूलक गतिविधियों से अब तक 131 करोड़ 43 लाख रूपए की आय हो चुकी है।
गौठान में संचालित आयमूलक गतिविधियों एवं गोधन न्याय योजना से हो रहे लाभ के चलते स्वावलंबी गौठानों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। स्वावलंबी गौठान अब अपनी स्वयं की जमा पूंजी से गोबर क्रय करने के साथ-साथ गौठान की अन्य व्यवस्था को भी पूरा करने लगे हैं। राज्य में 5709 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं। गौठानों में गौमूत्र खरीदी कर महिला स्व-सहायता समूह उससे जैविक कीटनाशक ब्रम्हास्त्र एवं फसल वृद्धिवर्धक जीवामृत बनाने और बेचने लगी है। अब तक 74401 लीटर ब्रम्हास्त्र एवं 31478 लीटर जीवामृत की बिक्री से 48.50 लाख रूपए की आय हुई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 21 मई को गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को जारी करेंगे 13.57 करोड़ रूपए
गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को हो चुका है अब तक 445 करोड़ 14 लाख रूपए का भुगतान
रायपुर, 19 मई 2023/मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल 21 मई दुर्ग जिले के सांकरा पाटन में आयोजित हो रहे भरोसे के सम्मेलन में गोधन न्याय योजना के हितग्राहियो को 13 करोड़ 57 लाख रूपए की राशि का ऑनलाईन अंतरण करेंगे। जिसमें 01 मई से 15 मई तक गौठानों में क्रय किए गए 1.98 लाख क्विंटल गोबर के एवज में ग्रामीण पशुपालकों को 3.95 करोड़ रूपए तथा गौठान समितियों को 5.66 करोड़ एवं स्व-सहायता समूहों को 3.96 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल है।
गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना के तहत गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को 30 अप्रैल 2023 की स्थिति में 445 करोड़ 14 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। 21 मई को 13.57 करोड़ रूपए का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 458 करोड़ 71 लाख रूपए हो जाएगा। छत्तीसगढ़ शासन की सर्वाधिक लोकप्रिय योजनाओं में से एक गोधन न्याय योजना की शुरूआत 20 जुलाई 2020 हरेली पर्व से हुई थी। इस योजना के तहत गौठानों में ग्रामीण पशुपालकों से 2 रूपए किलो में गोबर की खरीदी तथा 4 रूपए लीटर में गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। राज्य में सुराजी गांव योजना के गरूवा घटक के तहत गांवों में 10,426 गौठान स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 10,206 गौठान निर्मित एवं संचालित है। संचालित गौठानों में 30 अप्रैल 2023 की स्थिति में 114.28 लाख क्विंटल गोबर क्रय किया गया है, जिसमें गोबर विक्रेताओं को 228 करोड़ 42 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। गोधन न्याय योजना से 3 लाख 41 हजार 713 पशुपालक ग्रामीण लाभान्वित हो रहे है, जिसमें 46.51 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस योजना से भूमिहीन ग्रामीणों को भी बड़ा सहारा मिला है। लगभग 2 लाख भूमिहीन परिवार के लोग भी गौठानों में गोबर की बिक्री और रोजगार हासिल कर अपनी आजीविका चलाने में सक्षम हुए हैं।
गोधन न्याय योजना के तहत क्रय किए जा रहे गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद बनाने के साथ ही अन्य सामग्री तैयार की जा रही है। गोबर से अब तक 32.72 लाख क्विंटल कम्पोस्ट खाद तैयार की गई है, जिसमें से 24.54 लाख क्विंटल कम्पोस्ट खाद की खरीदी कर किसानों ने अपने खेतों मेें उपयोग किया है। इससे राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है।
गौठान और गोधन न्याय योजना के समन्वय से गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। आज के स्थिति में गौठान ग्रामीण अंचल में आजीविका के एक मजबूत केन्द्र के रूप में उभरे है। गौठानों में आजीविका मूलक विविध गतिविधियां संचालित है, जिससे जुड़कर महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही है। गौठानों में सामुदायिक खेती , सब्जी उत्पादन,मुर्गी पालन, बकरी पालन, पशुपालन, मछली पालन, गोबर से प्राकृतिक पेंट, दीया, अगरबत्ती, गमला, गो-काष्ठ का निर्माण भी हो रहा है। गौठानों से 14,504 महिला स्व-सहायता समूह जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 1 लाख 71 हजार 585 है। महिला समूह द्वारा संचालित आयमूलक गतिविधियों से अब तक 131 करोड़ 43 लाख रूपए की आय हो चुकी है।
गौठान में संचालित आयमूलक गतिविधियों एवं गोधन न्याय योजना से हो रहे लाभ के चलते स्वावलंबी गौठानों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। स्वावलंबी गौठान अब अपनी स्वयं की जमा पूंजी से गोबर क्रय करने के साथ-साथ गौठान की अन्य व्यवस्था को भी पूरा करने लगे हैं। राज्य में 5709 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं। गौठानों में गौमूत्र खरीदी कर महिला स्व-सहायता समूह उससे जैविक कीटनाशक ब्रम्हास्त्र एवं फसल वृद्धिवर्धक जीवामृत बनाने और बेचने लगी है। अब तक 74401 लीटर ब्रम्हास्त्र एवं 31478 लीटर जीवामृत की बिक्री से 48.50 लाख रूपए की आय हुई है।