श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में 15 दिवसीय सर्टिफिकेट ट्रेनिंग प्रोग्राम का समापन…. महाविद्यालय की वनस्पति विज्ञान व रासायनिक रसायन विज्ञान के संयुक्त तत्वाधान में था आयोजित

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भिलाईनगर 16 दिसंबर 2023 :- श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में 15 दिवसीय सर्टिफिकेट ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन वानस्पतिक विज्ञान तथा रसायन विभाग के संयुक्त तत्वाधान- 1 से 15 दिसंबर 2023 तक विषय “ग्रीन सिंथेसिस आफ नैनोपार्टिकलस” पर किया गया था जिसका समापन विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट प्रदान कर किया गया। यह आयोजन सुश्री वर्षा यादव (विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान) तथा श्रीमती पदमा रानी वर्मा (विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान) के नेतृत्व में किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में छात्रों को नैनोटेक्नोलॉजी की अवधारणा, नैनोकण संश्लेषण के दृष्टिकोण और नैनोकणों के हरित संश्लेषण के बारे में जागरूक किया गया। इस 15 दिवसीय आयोजन में विद्यार्थियों ने सीखा की नैनोपार्टिकल क्या होता है

, पादप से इनका संश्लेषण तथा नैनोपार्टिकल का हमारे जीवन में किस तरह लाभदायक उपयोग किया जा सकता है और भविष्य में उनकी उपयोग की संभावनाओं को विस्तार पूर्वक समझाया गया। यह बायोमेडिकल और फार्मास्युटिकल अनुप्रयोगों के लिए चिकित्सीय नैनोसाइज्ड सामग्री विकसित करता है। नैनोकणों के संश्लेषण के लिए रासायनिक विधियों में अपचायक के रूप में विषैले रसायनों, कार्बनिक सॉल्वेंट्स और स्टेबलाइजर्स की आवश्यकता होती है, परिणामस्वरूप, यह पर्यावरण में विषैलापन पैदा करता है। इसलिए, विभिन्न प्रकार के नैदानिक और जैव चिकित्सा क्षेत्रों में उनके उपयोग को छोड़कर, नैनोकण संश्लेषण के लिए एक स्वच्छ, विश्वसनीय, जैव-संगत और पर्यावरण-अनुकूल हरित संश्लेषण दृष्टिकोण का उपयोग किया जाना चाहिए। इस तरह, नैनोकणों का पादप-मध्यस्थता संश्लेषण अधिक उपयुक्त माना जाता है। नैनोकणों का जैविक संश्लेषण विभिन्न पौधे के के पत्तियों, बीजों, जड़ों, बैक्टीरिया, कवक, समुद्री शैवाल और सूक्ष्म शैवाल द्वारा किया जा रहा है। जैवसंश्लेषित नैनोमटेरियल कम प्रतिकूल प्रभाव के साथ विभिन्न स्थानिक बीमारियों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर रहे हैं। पौधे में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक यौगिक जैसे एल्कलॉइड, फ्लेवोनोइड, सैपोनिन, स्टेरॉयड, टैनिन और अन्य पोषण संबंधी यौगिक होते हैं।

इस कार्यक्रम के समापन समारोह में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अर्चना झा, महाविद्यालय के डीन अकादमिक डॉ. जे दुर्गा प्रसाद राव, सूक्ष्मजीव विज्ञान की विभाग अध्यक्ष डॉ. रचना चौधरी तथा जंतु विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ. सोनिया बजाज तथा अन्य प्राध्यापक गण की विशेष उपस्थित रहे। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अर्चना झा एवं महाविद्यालय के डीन अकादमिक डॉ. जे दुर्गा प्रसाद राव ने विद्यार्थियों को ट्रेनिंग प्रोग्राम का सर्टिफिकेट प्रदान किया, विभाग द्वारा ट्रेनिंग प्रोग्राम को लेकर पहल तथा विद्यार्थियों की रुचि की प्रशंसा की एवं यह ट्रेनिंग प्रोग्राम विद्यार्थियों के भविष्य के लिए किस तरह महत्वपूर्ण होगा उसको विस्तार पूर्वक समझाया, एवं बताया गया की विज्ञान का आज के समय में चिकित्सा, आर्थिक व्यवस्था, अर्थव्यवस्था के विकसित करने में एवं

विश्व में विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान है, विज्ञान के गुणों विद्यार्थियों में भविष्य में विकसित करने के लिए इन प्रोग्राम का विशेष महत्व है

इस कार्यक्रम के उद्घाटन में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अर्चना झा, महाविद्यालय के डीन अकादमिक डॉ. जे दुर्गा प्रसाद राव तथा जंतु विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ. सोनिया बजाज की विशेष उपस्थित रहीं। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अर्चना झा ने विभाग की ट्रेनिंग प्रोग्राम को लेकर पहल तथा विद्यार्थियों की रुचि की प्रशंसा की एवं यह ट्रेनिंग प्रोग्राम विद्यार्थियों के भविष्य के लिए किस तरह महत्वपूर्ण होगा उसको विस्तार पूर्वक समझाया। इस आयोजन के प्रथम दिवस में नैनोपार्टिकल क्या होता है, पादप से इनका संश्लेषण तथा इनका अलग करने विधि पर विशेष रूप से विद्यार्थियों को जानकारी दी गई।

नैनोपार्टिकल का हमारे जीवन में किस तरह लाभदायक उपयोग किया जा सकता है और भविष्य में उनकी उपयोग की संभावनाओं को विस्तार पूर्वक समझाया गया। समझाया। यह बायोमेडिकल और फार्मास्युटिकल अनुप्रयोगों के लिए चिकित्सीय नैनोसाइज्ड सामग्री विकसित करता है। नैनोकणों का जैविक संश्लेषण विभिन्न स्थूल-सूक्ष्म जीवों जैसे पौधे, बैक्टीरिया, कवक, समुद्री शैवाल और सूक्ष्म शैवाल द्वारा किया जा रहा है। जैवसंश्लेषित नैनोमटेरियल कम प्रतिकूल प्रभाव के साथ विभिन्न स्थानिक बीमारियों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर रहे हैं। पौधे में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक यौगिक जैसे एल्कलॉइड, फ्लेवोनोइड, सैपोनिन, स्टेरॉयड, टैनिन और अन्य पोषण संबंधी यौगिक होते हैं। ये प्राकृतिक उत्पाद पौधे के विभिन्न भागों जैसे पत्तियां, तना, जड़ें, अंकुर, फूल, छाल और बीज से प्राप्त होते हैं, जिनका नैनोपार्टिकल को बनाने में उपयोग किया जा रहा है।

महाविद्यालय के डीन अकादमिक डॉ. जे दुर्गा प्रसाद राव बताया कि एक नैनोकण या अति सूक्ष्म कण को आमतौर पर पदार्थ के एक कण के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसका व्यास 1 से 100 नैनोमीटर (एनएम (के बीच होता है। नैनोकण प्रकृति में व्यापक रूप से पाए जाते हैं और रसायन विज्ञान, भौतिकी, भूविज्ञान और जीव विज्ञान जैसे कई विज्ञानों में अध्ययन की वस्तु हैं वे वायुमंडलीय प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण घटक हैं, और कई औद्योगिक उत्पादों जैसे पेंट, प्लास्टिक, धातु, सिरेमिक और चुंबकीय उत्पादों में प्रमुख तत्व हैं। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी, भिलाई ने 1 से 15 दिसंबर तक वनस्पति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष सुश्री वर्षा यादव और रसायन विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष श्रीमती पद्मा रानी वर्मा द्वारा नैनोकणों के हरित संश्लेषण पर प्रमाणपत्र प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में छात्रों को नैनोटेक्नोलॉजी की अवधारणा, नैनोकण संश्लेषण के दृष्टिकोण और नैनोकणों के हरित संश्लेषण के बारे में जागरूक किया गया। नैनोमटेरियल्स ने अपने ट्यूनेबल फिजियोकेमिकल के कारण काफी ध्यान आकर्षित किया है। विशेषताएँ जो उन्हें अधिक प्रतिक्रियाशील बनाती हैं और कई एप्लिकेशन डोमेन में पूर्ण विस्तार के साथ विभिन्न गुण दिखाती हैं। यांत्रिक संपत्ति, उत्प्रेरक गतिविधि में अपने थोक समकक्षों की तुलना में उनके बेहतर प्रदर्शन के

कारण, तापीय चालकता, विद्युत चालकता, ऑप्टिकल संपत्ति, चुंबकीय संपत्ति, संक्षारण प्रतिरोध, घर्षण प्रतिरोध, प्रकाश अवशोषण-प्रकीर्णन संपत्ति, जीवाणुरोधी संपत्ति, आदि, वेतकनीकी-आर्थिक क्षेत्र में पर्याप्त ध्यान आकर्षित किया है। भौतिक और का उपयोगनैनोकणों के संश्लेषण के लिए रासायनिक विधियों में अपचायक के रूप में विषैले रसायनों की आवश्यकता होती है

एजेंट, कार्बनिक सॉल्वैंट्स और स्टेबलाइजर्स। परिणामस्वरूप, यह पर्यावरण में विषैलापन पैदा करता है। इसलिए, विभिन्न प्रकार के नैदानिक और जैव चिकित्सा क्षेत्रों में उनके उपयोग को छोड़कर, नैनोकण संश्लेषण के लिए एक स्वच्छ, विश्वसनीय, जैव-संगत और पर्यावरण-अनुकूल हरित संश्लेषण दृष्टिकोण का उपयोग किया जाना चाहिए। इस तरह,नैनोकणों का पादप-मध्यस्थता संश्लेषण अधिक उपयुक्त माना जाता है क्योंकि वे गैर- हैं रोगजनक, बहुत तेज़ और लागत प्रभावी।


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