भिलाई नगर ,19 दिसंबर 2023। पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ परिसर में रविवार को छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वाधीनता संग्राम सेनानी और बाबा गुरु घासीदास की स्मृति में एक वैचारिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व उप संचालक संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग राहुल सिंह ने कहा कि तथ्यों को महत्व देते हुए उनकी प्रस्तुति कैसे की जाए। इस पर विचार किया जाना चाहिए।
प्रदेश में ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर चाहे वह वीर नारायण सिंह हो या गुरु घासीदास अथवा महात्मा गांधी। तिथियों को लेकर आज भी पूर्ण सत्यनिष्ठा कम ही प्रकट हो पाती है। उन्होंने कई उदाहरणों के माध्यम से अपनी बात की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि आज फिर 40-45 वर्ष पूर्व गुरु घासीदास की जयंती माघ पूर्णिमा को मनाई जाती थी किंतु अब 18 दिसंबर को। सोचनीय है कि 18 दिसंबर और माघ पूर्णिमा की तिथि का तालमेल हो सकता है। उन्होंने प्रमाणम् स्वपराभासी का उल्लेख करते हुए कहा वैसे निजी आस्था पर कोई सवाल नहीं किया जाना चाहिए किंतु हमारी परंपरा हमें संदेह करने का अवसर देती है।
विशिष्ट अतिथि इंटेक संयोजक एवं संस्कृति व पुरातत्व धर्मी अरविंद मिश्रा ने कहा कि वीर नारायण सिंह की शहादत काल में उन 17 शहीदों का भी स्मरण किया जाना चाहिए जिन्होंने बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी सार्थक दखल रखने वाले ऐसे कई प्रतिभावान व्यक्तित्व हैं जो नेपथ्य में चले गए हैं। उन्होंने बेलटुकरी के दाऊ कामता प्रसाद से लेकर जे योगानंदम तक के कई नामों का उल्लेख किया। विशिष्ट अतिथि लेखक पत्रकार एवं इतिहासकार आशीष सिंह ने कहा कि महापुरुषों को केवल जन्मदिन एवं पुण्य तिथि पर याद किया जाना उचित नहीं है उन्होंने गुरु घासीदास के सूर्योपासना पशु प्रेम की अन्य धर्मावलंबियों द्वारा किए जाने वाली क्रियाओं से वैज्ञानिक दृष्टिकोण के तहत तुलनात्मक समायोजन की चर्चा की।
स्वागत वक्तव्य में सृजन पीठ के अध्यक्ष ललित कुमार वर्मा ने कहा कि कुछ महानुभावों ने शहीद वीर नारायण सिंह और बाबा गुरु घासीदास पर एक साथ आयोजन को लेकर असहमति जाहिर की थी लेकिन जब उन्हें आयोजन की महत्ता के संबंध में जानकारी दी गई तो वे मौन साध लिए। उन्होंने कहा कि अगर साहित्य का इतिहास होता है तो इतिहास का भी साहित्य होता है। आयोजन में भारत आल्हा गायन दल के नारायण चंद्राकर एवं टीम ने वीर नारायण सिंह पर केंद्रित आल्हा गायन किया तथा रंगकर्मी राकेश तिवारी ने वीर नारायण सिंह पर बसदेव गीत गाया। संचालन डीपी देशमुख एवं आभार व्यक्त साहित्यकार एवं वरिष्ठ पत्रकार शिवनाथ शुक्ला ने किया। इस अवसर पर डॉक्टर नलिनी श्रीवास्तव, विजय वर्तमान, शरद कोकास, शुचिभवि, त्र्यंबक राव साटकर ,प्रदीप भट्टाचार्य, पुन्नू यादव, कमलेश वर्मा, डॉक्टर चंद्रशेखर शर्मा, संध्या श्रीवास्तव, नीलम जायसवाल, पत्रकार मोहम्मद जाकिर हुसैन, डॉक्टर नौशाद सिद्दीकी, संजीव तिवारी, टी एन कुशवाहा, अंजन, हितेश साहू, सनत मिश्रा सहित बड़ी संख्या में पुरातत्व साहित्य व इतिहास से जुड़े नागरिक गण बड़ी संख्या में मौजूद थे।