उदीयमान सूर्यदेव को अर्ध्य देकर छठ महापर्व का समापन…..
00 इस्पात नगरी सहित आसपास के तालाबों में उमड़ा आस्था का जनसैलाब…
00 भिलाई-3, चरोदा, जामुल ,अहिवारा, व कुम्हारी, दुर्ग,दल्ली राजहरा, के तालाबों में भी देखते बनी रौनक….

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भिलाई नगर 20 नवंबर 2023 :- इस्पात नगरी भिलाई में छठ पर्व को बड़े धूम-धाम से मनाया गया। आज सुबह की बेला में व्रती महिलाओं ने उगते हुए सूर्य देव को अर्ध्य देने के बाद उनकी और मां छठी मैया की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और इसके बाद व्रत का पारण किया। इस दौरान इस्पात नगरी और समीपस्थ भिलाई-3, चरोदा, कुम्हारी, जामुल,अहिवारा, दुर्ग,दल्ली राजहरा, की तालाबों पर बीते शाम की तरह अलसुबह आस्था का जनसैलाब उमड़ा रहा।


बता दें कि, यह व्रत कुल 36 घंटे का था। जिसे व्रती महिलाओं ने आज द्वितीय अर्ध्य देकर छठ पूजा के समापन के बाद खोला है। यह पर्व बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्य में बड़े धूम-धाम के साथ मनाया गया। भिलाई – दुर्ग सहित आसपास के इलाके में लाखों की संख्या में व्रती महिलाओं ने जगह-जगह तालाबों घाट पर अपनी आस्था की उपस्थिति दर्ज करवाई।

भिलाई टाउनशिप के सेक्टर 2, सेक्टर 7 सहित जवाहर उद्यान, छावनी, कैंम्प 01,भेलवा तालाब नेहरू नगर, में बड़ी संख्या में व्रत धारी और उनके परिजन आज भोर होने से पहले ही उदय होते सूर्य देव को अर्ध्य देने जुटे थे। शहर के हुडको, नेहरू नगर, कोहका, सुपेला, रामनगर, केम्प, खुर्सीपार, रिसाली, मरोदा के तालाबों पर भी छठ पूजा के चलते रौनक देखते बनी।


भिलाई-3 के गतवा और बंधवा तालाब सहित चरोदा में बस्ती तालाब व रेलवे कालोनी तालाब में श्रृद्धालुओं ने आज सूर्यदेव को द्वितीय अर्ध्य देकर व्रत का समापन किया। कुम्हारी के बड़े तरिया सहित डीएमसी तालाब, जंजगिरी तालाब और कुगदा तालाब में श्रृद्धा और आस्था के साथ छठ मनाया गया। जामुल में शीतला तालाब और लक्ष्मण तालाब में छठ व्रती और उनके परिजनों की खासी भीड़ देखने को मिली। लोगों ने एक दूसरे को छठ पर्व की बधाई दी और पारम्परिक पकवान ठेकुआ का प्रसाद वितरण किया।


छठ का यह पर्व 17 नवंबर नहाय खाय से शुरू हुआ था। आज 20 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की विधि के साथ पूर्ण रूप से संपन्न हुआ। चार दिनों के चलने वाले इस पर्व में व्रती महिलाओं ने खरना के बाद से व्रत का संकल्प लिया था। यह व्रत कुल 36 घंटे का होता है। बता दें कि, यह व्रत निर्जला रखा जाता है। आज इस व्रत का पारण कर महिलाओं ने छठ के प्रसाद के साथ अन्न-जल को ग्रहण किया।


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