आपराधिक मामला एवं विभागीय जांच नहीं चल सकते एक साथ….ए.एस.आई. एस.बी.सिंह की विभागीय जांच पर स्थगन (स्टे)….

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आपराधिक मामला एवं विभागीय जांच नहीं चल सकते एक साथ….ए.एस.आई. एस.बी.सिंह की विभागीय जांच पर स्थगन (स्टे))

बिलासपुर 19 जुलाई 2025:- गोमती इन्डस्ट्री के पास, लक्ष्मी नगर, रायपुर निवासी एस. बी. सिंह, जिला-रायपुर में सहायक उपनिरीक्षक (ए.एस.आई.) के पद पर पदस्थ हैं, उनके सेवाकाल के दौरान दिनांक 18 मार्च 2025 को उनके विरूद्ध पुलिस थाना कोतवाली, रायपुर में धारा-74, बी.एन.एस. एक्ट के तहत् अपराध पंजीबद्ध कर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया

। उसके पश्चात्  29 मई 2025 को पुलिस अधीक्षक, रायपुर द्वारा क्रिमीनल केस में लगाए गए समान आरोपों पर ए.एस.आई. के विरूद्ध विभागीय आरोप पत्र जारी कर विभागीय जांच कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई। उक्त विभागीय जांच कार्यवाही से क्षुब्ध होकर ए.एस.आई. एस. बी. सिंह द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं स्वाती कुमारी के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की गई।

अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं स्वाती कुमारी द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया एवं अन्य विरूद्ध नीलम नाग एवं अन्य इसके साथ ही अविनाश सदाशिव भोसले विरूद्ध युनियन ऑफ इण्डिया के मामले में यह निर्णय दिया गया है कि यदि किसी शासकीय कर्मचारी के विरूद्ध आपराधिक मामला न्यायालय में विचाराधीन है एवं समान मामलों में उसे आरोप पत्र जारी कर विभागीय जांच कार्यवाही संचालित की जा रही है एवं दोनों मामलों में अभियोजन साक्षी समान है ऐसी स्थिति में नैसर्गिक /प्राकृतिक न्याय के तहत् सर्वप्रथम अभियोजन साक्षीयों का परीक्षण आपराधिक मामले में किया जाना चाहिये वरन संबंधित न्यायालय में चल रही संपूर्ण कार्यवाही दूषित हो जाती है।

चूंकि याचिकाकर्ता के मामले में आपराधिक मामले एवं विभागीय जांच कार्यवाही में अधिकांश अभियोजन साक्षी समान होने के कारण उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् रिट याचिका को स्वीकार कर याचिकाकर्ता के विरूद्ध संचालित विभागीय जांच कार्यवाही पर स्थगन (स्टे) कर दिया गया।


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