भिलाई नगर 28 मई 2023 : हमने सनातन धर्म में जन्म लिया है तो हमारे लिए यह भी जानना आवश्यक है कि हम किनका भजन करें। जिस किसी का भजन भी नहीं करना चाहिये। आजकल भूत प्रेत पिशाच जोगिनी जमात की पूजा कर भी परंपरा चल पड़ी है जो बहुत ही घातक स्थिति है। अघोर पंथ की पूजा पद्धति में जाने वाले का एक अंग खराब होना सुनिश्चित होता है।
उक्त बातें जुनवानी, भिलाई स्थित श्री शंकराचार्य मेडिकल कालेज मैदान में शनिवार से प्रारम्भ हुई नौ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए कहीं। श्री रामकथा के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा कि अगर आपको यह पता नहीं है कि हमें किनका भजन करना चाहिए तो सीधे ओम नमः शिवाय का भजन करें। शिव जी सेवा आपको यह बता देगा या वह रास्ता दिखा देगा कि आपको किनका भजन करना चाहिए।
अगर आप वैष्णव हैं तो राम जी कृष्ण जी का, शैव हैं तो शिवजी का और शाक्त हैं तो मां भगवती की उपासना करें। यह भी ध्यान रखना है कि देवताओं का पूजन केवल सांसारिक वस्तुओं की प्राप्ति के लिए करना होता है जबकि भगवान का भजन परमार्थ यात्रा को सुनिश्चित करने के लिए होता है।
पूज्यश्री ने कहा कि आजकल लोग कहते हैं कि हमें गुरु बनाना है, गुरु बनाया नहीं जा सकता है। गुरु तत्व की उपस्थिति से गुरु होते हैं। कुछ तो गुरुजी का परीक्षण करने की बात करते हैं। संत, मंत्र, सद्ग्रन्थों और गुरुजी का परीक्षण नहीं करना चाहिए। हम गुरु की शरण में जाते हैं। मंत्रदीक्षा उसी से लो जिसका मार्गदर्शन लेने आप आ जा सको। दीक्षा एक ऐसा संस्कार है जिससे मनुष्य जीवन में चैतन्यता आ जाती है।
मनुष्य को अपने जीवन में अपने कर्म को हमेशा धर्म सम्मत रखने की आवश्यकता होती है। जब हमारा कर्म बिगड़ता है तो फिर लाख प्रयास करने के बाद भी हमारी मती गति काल के वश में चली जाती है। मनुष्य के जीवन में सुख और दुख दोनों का आना निश्चित है एक आता है तो एक चला जाता है। दुख हो या सुख दोनों ही अपने ही कर्मों के अनुसार ही मनुष्य के जीवन में आता है।
हमारे शास्त्रों का एक सरल सिद्धांत दिया है भी है कि आदमी को सब कार्य छोड़कर भी भोजन करना चाहिए, हजार कार्य छोड़कर स्नान करना चाहिए और एक लाख कार्य छोड़कर भी दान करना चाहिए। चाहे वह दान थोड़ा ही हो। लेकिन, यह सभी कुछ छोड़ कर के भगवान का भजन करना चाहिए। सती चरित्र, भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से जुड़े प्रसंगों का श्रवण करने के लिय बड़ी संख्या में विशिष्ट जन उपस्थित रहे।
कथा के मुख्य यजमान आई पी मिश्र ने सपरिवार व्यासपीठ का पूजन किया। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोतागण को महाराज जी के द्वारा गाए गए भजनों पर झूमते हुए देखा गया।