भिलाई नगर 20 जुलाई 2023। पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ में 19 जुलाई को प्रखर राजनीतिज्ञ एवं समाजसेवी डॉ खूबचंद बघेल की जयंती पर 'स्मृति डॉ खूबचंद बघेल ' का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि साहित्यकार इंदुशंकर मनु ने कहा कि डॉक्टर बघेल अपने अध्ययन काल में ही राष्ट्रीय नेताओं के संपर्क में आ गए थे। वे राजनीति में शुचिता के पक्षधर थे। पंडित नेहरू से असहमत होने के कारण उन्होंने एक बार कांग्रेस से इस्तीफा भी दे दिया था। कालांतर में पंडित नेहरू ने ही उन्हें 'छत्तीसगढ़ का जवाहर ' कहकर सम्मानित किया था।


सर्वोत्तम गुणों के समूह डॉक्टर बघेल ने अछूतोद्धार एवं अन्य सामाजिक विषयों पर नाटक भी लिखें और उनका मंचन भी करवाया, जिसका उन दिनों समाज पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा।
विशिष्ट अतिथि साहित्यकार प्रदीप वर्मा ने कहा कि डॉक्टर बघेल राजनीतिज्ञ और समाजसेवी होने के साथ ही एक सफल चिकित्सक एवं कृषक भी थे। वह एक चिंतनशील लेखक भी थे। उन्होने अपनी निष्ठा के चलते बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों से भी असहमति जाहिर कर स्वयं को अलग किया। छत्तीसगढ़ में किसबिन प्रथा का अंत कराने में उनकी मुख्य भूमिका रही है।
विशिष्ट अतिथि डॉ.निर्मला परगनिहा ने कहा कि डॉक्टर बघेल ही थे ; जिन्होंने कृषि को औद्योगिक दर्जा प्रदान किए जाने की पहल की थी। वह एक सच्चे समाजसेवी ; संपन्न कृषक होने के साथ ही स्वीकृत जननेता थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन की ओर से डॉ.बघेल के नाम पर राज्य अलंकरण दिए जाने को उद्देश्यपरक निरूपित किया। उन्होंने डॉक्टर बघेल के जन्मदिवस पर काव्यांजलि भी दी।


आरंभ में सृजनपीठ के अध्यक्ष ललित कुमार ने आयोजकीय वक्तव्य देते हुए कहा कि डॉ बघेल खूबचंद बघेल को याद करना अपनी जमीन को याद करने की तरह है। उन्होंने डॉ बघेल द्वारा गठित छत्तीसगढ़ भ्रातृ संघ तथा छत्तीसगढ़ महासभा की चर्चा की और बताया कि संगठित समाज से समस्याओं का समाधान कैसे किया जा सकता है।







