भिलाई नगर 15 फरवरी 2023/ गुंडे बदमाशों की डिजीटल कुंडली तैयार हो रही है। इसकी शुरुआत दुर्ग जिले के सुपेला थाने से हो चुकी है। निगरानी बदमाशों का डेटाबेस तैयार कर उसे आधार कार्ड से लिंक किया जा रहा है। इससे एक क्लिक में ही किसी अपराधिक मामले के संदेही की व्यक्तिगत जानकारी पुलिस को प्राप्त हो जाएगी। इससे घटनास्थल पर मिलने वाले फिंगर प्रिंट सहित अन्य साक्ष्य की पड़ताल करने में आसानी होने से आरोपी की पहचान करने में देर नहीं लगेगी।
दुर्ग जिले की पुलिस छत्तीसगढ़ के सबसे हाईटेक पुलिस मानी जाती है। तरह-तरह के डिजिटल वेरिएशन का उपयोग कर दुर्ग जिले की पुलिस संगीन अपराधों को आसानी से सुलझा रही हैं। इसी कड़ी में दुर्ग पुलिस ने एक नया तरीका ढूंढ निकाला हैं। जिससे आसानी से बदमाशों तक पहुंचा जा सकेगा। पुलिस ने शहर के गुंडे बदमाशों को डिजिटल कुंडली बनाना शुरू कर दिया है। बदमाशों के डेटाबेस को आधार कार्ड से लिंक किया जाएगा। जिससे बदमाशों का सही नाम पता समेत अन्य जानकारी आसानी से मिल जाएगी।
गौरतलब रहे कि अब तक पुलिस गुंडे बदमाशों का ऑफलाइन रिकॉर्ड रख रही थी ।इसके लिए पुलिस को दूसरे के भरोसे रहना पड़ता है। अब डिजीटल कुंडली तैयार करने कंट्रोल रूम में निगरानी बदमाशों का ऑनलाइन फिंगरप्रिंट लिया जा रहा है। जिससे वारदात होने पर उनकी पहचान आसानी से की जा सके। दुर्ग जिले के सुपेला और स्मृति नगर पुलिस चौकी के लिस्टेड बदमाशों से इसकी शुरुआत की गई है। इसके लिए नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। इस सिस्टम की मदद से दूसरे राज्यों से आकर वारदात करने वालों का भी आसानी से पता लगाया जा सकेगा। शहर के छोटे बड़े बदमाशों का फिंगरप्रिंट भी लिया जा रहा है। ताकि गाहे बगाहे किसी अपराधिक मामले में उनकी संलिप्तता का संदेह होने पर उसका आंकलन किया जा सके।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि पिछले कई सालों से अचानक दूसरे राज्यों से आकर वारदात करने वाले गुंडा बदमाशों की तादाद में बढ़ोतरी हुई है। हाल ही में दुर्ग के ओल्ड आदर्श नगर में हुई चोरी की बड़ी वारदात इसका एक नमूना है। इस मामले का आरोपी नागपुर महाराष्ट्र का मूल निवासी है। वहीं इस आरोपी के खिलाफ नागपुर में 41 अपराधिक मामले दर्ज हैं। कईं बार दूसरे राज्य से आकर वारदात करने वाले आरोपियों की पहचान करने में पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ती है। इसलिए पुलिस ने आसान और डिजिटल तरीका अपनाया है।
00 इस तरह बनेगा अपराधियों का डिजीटल रिकॉर्ड
थानों को डिजीटल स्कैनर मशीनें और तकनीकी उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इसमें पुलिस थानों में गिरफ्तार बदमाशों के फिंगर प्रिंट, उनकी फोटो और अन्य आपराधिक जानकारियों को स्कैनर के जरिए डिजिटल रूप से सेव कर डेटा बेस तैयार किया जा रहा है। स्कैनर मशीन में अपराधी की प्रत्येक अंगुली को स्कैन किया जाता है। फिर हथेली को स्कैन किया जाता है। महज 5 से 10 मिनट में यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है। इससे अब किसी भी आपराधिक वारदात के बाद घटनास्थल पर मिलने वाले फिंगर प्रिंट से यह आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि वारदात में किस गैंग या बदमाश का हाथ है।