सेवानिवृत्ति के वक्त मिलने वाले अवकाश नगदीकरण पर आयकर छूट की मांग
00 बीएसपी ऑफिसर एसोशिएशन ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र….

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भिलाई नगर 29 जनवरी 2023 :! ओए-बीएसपी ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले अवकाश नगदीकरण राशि पर आयकर छूट देने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी बी.एस.पी. के आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले अवकाश नगदीकरण राशि पर आयकर छूट प्रदान करने की मांग की है।

बंछोर ने बताया कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10(10 AA)( ii) के तहत सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर प्राप्त अवकाश नगदीकरण राशि पर आयकर की छूट दी जा रही है। पंरतु यह छूट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा बैंकों व एल.आई.सी. आदि संस्थानों के कर्मचारियों को यह छूट नहीं दिया जा रहा है। हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, एलआईसी आदि के कर्मचारियों को अन्य सभी उद्देश्यों के लिए सरकारी कर्मचारी माना जाता है परंतु जब आयकर में छूट देने की बात आती है तो इस अधिनियम के प्रावधान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, एलआईसी आदि के कर्मचारियों को अलग माना जाता है और इसलिए उनके द्वारा प्राप्त अवकाश नकदीकरण राशि पर कर का भुगतान किया जाता है।

प्रधानमंत्री को लिखे इस पत्र में यह मांग की गई है कि केंद्रीय/राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा एल.आई.सी. आदि को इस उद्देश्य के लिए सरकारी कर्मचारियों के साथ जोड़ा जाना चाहिए। जिससे उन्हें सेवानिवृत्ति पर प्राप्त होने वाले अवकाश नगदीकरण पर आयकर की छूट प्राप्त हो सके।
इस पत्र में यह भी मांग की गई है कि आयकर अधिनियम के तहत मिलने वाली छूट की सीमा 3.0 लाख रूपये है, जिसे अंतिम बार 2002 में संशोधित किया गया था, को पिछले दो दशकों के मुद्रास्फीति प्रभाव को ध्यान में रखते हुए इस सीमा को जल्द से जल्द बढ़ाया जाना चाहिए। ।


विदित हो कि अधिनियम की धारा 10(10 AA)(ii) के तहत वर्ष 1988 में छूट की सीमा 73,400/- रुपये थी जिसे वर्ष 2002 में बढ़ाकर 3,00,000/- रुपये किया गया था। इस सीमा को विगत 20 वर्षों से संशोधित नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री को लिखे इस पत्र में विधिवत तर्क प्रस्तुत करते हुए यह बताया गया है कि 5वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद उच्चतम वेतन लेने वाले शासकीय सेवक, कैबिनेट सचिव, को 30,000 रुपये प्रति माह का मूल वेतन मिलता था। उस समय दस महीने की कुल मूल वेतन 3,00,000/- रुपये के बराबर थीं। अब जबकि 6वें और 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद, क्रमशः कैबिनेट सचिव को 01-01-2006 से 90,000ध्- रुपये का मूल वेतन और 01-01-2016 से 2,50,000ध्- रूपये मूल वेतन हो गया है। तदानुसार दस महीने की कुल मूल वेतन क्रमशः 9,00,000/- रुपये एवं 25,00,000/- रुपये के बराबर किया जाना चाहिए।


प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में प्रस्तुत तथ्यों व तर्क के आलोक में सभी सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को न्याय दिलाने का अनुरोध किया गया है। सीमा बढ़ाने के लिए अधिनियम की धारा 10(10 AA) के खंड (ii) के तहत नए राजपत्र अधिसूचना जारी कर, 7वें वेतन आयोग के अनुरूप 01-01-2016 से छूट की सीमा बढ़ाकर 25,00,000/- रुपये करने का भी अनुरोध किया गया है।


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