पति की दीर्घायु के लिए सुहागिनों ने व्रत रखकर की वट सावित्री पूजा…… बरगद वृक्ष की कच्चे सूत लपेटते परिक्रमा कर मांगा अखंड सौभाग्य का वर…

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पति की दीर्घायु के लिए सुहागिनों ने व्रत रखकर की वट सावित्री पूजा 00 बरगद वृक्ष की कच्चे सूत लपेटते परिक्रमा कर मांगा अखंड सौभाग्य का वर


भिलाई नगर 26 मई 2025:-  सुहागिनों ने आज निर्जला व्रत रख वट सावित्री की पूजा कर अखंड सौभाग्य की कामना की। सोलह श्रृंगार में सजी सुहागिन महिलाओं ने पारम्परिक विधि विधान के साथ बरगद वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना कर कच्चे सूत लपेटते हुए उसकी परिक्रमा कर पति के दीर्घायु की कामना की।

नव विवाहित महिलाओं में इस पर्व को लेकर उत्साह देखते बना सोमवती अमावस्या पर वट सावित्री पूजन के लिए सुबह से ही बरगद पेड़ के नीचे सुहागिन महिलाएं परिजनों के साथ जुटने लगी थी। नव विवाहित महिलाओं में व्रत को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला। व्रती महिलाओं ने उपवास रखकर विधि विधान पूर्वक वट अर्थात बरगद वृक्ष का पूजन किया। अपने पतियों के दीर्घायु के लिए महिलाओं ने कच्चे सूत से बरगद के तने को लपेट कर 108 बार परिक्रमा लगाई। इसके बाद हलवा, पूड़ी, आटा के बने प्रसाद व विभिन्न किस्म के फल चढ़ाकर सुहागिनों ने पूजन कर पति की लंबी उम्र की कामना की।


सोमवार को सुबह कैंप-1 स्थित बैकुंठधाम मंदिर, वैशाली नगर, नेहरू नगर, राम नगर, कोहका, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, सेक्टर-2 हनुमान मंदिर, राधिका नगर स्थित गणेश मंदिर, सेक्टर-6 एचसीएल कॉलोनी, भिलाई-3, चरोदा, पावर हाउस, कांट्रेक्टर कॉलोनी स्थित शिव मंदिर में सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत रखकर पूजा की। महिलाओं ने सुबह पूरे घर की सफाई करने के बाद एक बांस की टोकरी में पूजा की सामग्री, सत्यवान-सावित्री की मूर्ति, बांस का पंखा, लाल धागा, धूप, मिट्टी का दीपक, घी, फूल, फल, चना, रोली, कपड़ा, सिंदूर, जल से भरे हुए कलश को व्यवस्थित कर पूजा शुरू की।

महिलाओं ने परंपरागत तरीके से पूजा करने के बाद वट वृक्ष के तने पर कच्चा धागा लपेटते हुए पांच, 11, 21, 51 या 108 बार परिक्रमा की। परिक्रमा के पश्चात वट सावित्री व्रत की कथा सुनी और बांस की टोकरी में वस्त्र, फल, मिठाई आदि रखकर दान किया। उल्लेखनीय है कि वट सावित्री व्रत को सौभाग्य, दीर्घायु और आरोग्य प्रदान करने वाला व्रत माना जाता है। हिंदूू धर्म में ऐसी मान्यता है कि जो भी स्त्री वट सावित्री व्रत रखती है उसका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और पति को दीर्घायु मिलती है।

00 सती सावित्री ने किया था यह व्रत
पौराणिक मान्यता है कि भद्र देश के राजा की पुत्री सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए वट वृक्ष के नीचे ही पति का शव रख पूजन किया था। जब पति के प्राण लेकर यमराज जाने लगे तो सावित्री उनके पीछे-पीछे चल दी । सावित्री के पतिव्रता धर्म के आगे बेबस यमराज ने उनसे वरदान मांगने को कहा। इस पर सावित्री ने यमराज से कहा पहला वरदान सास-ससुर को नेत्र ज्योति देने और दूसरा वरदान पुत्रवती होने का मांगा। यमराज तथास्तु कह सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे तो सावित्री उनके पीछे-पीछे फिर चल दी।

यमराज ने मुड़ कर देखा कि वरदान देने के बाद भी सावित्री पीछे आ रही है तो उन्होंने पुन: पूछा अब क्या तो सावित्री ने कहा पति को आप ले जा रहे हैं तो मैं पुत्रवती कैसे होऊंगी। यह सुन यमराज को गलती का एहसास हुआ और उन्होंने सत्यवान के प्राण वापस कर दिए। ऐसी मान्यता है कि सावित्री ने वटवृक्ष के नीचे ही पति का शव रख पूजन कर उनके प्राणों को वापस पाया था। इसी मान्यता के तहत पति की दीर्घायु के लिए सुहागिनों द्वारा वट सावित्री पूजन किया जाता है।


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