रायपुर। छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद संस्कृति विभाग कला अकादमी की ओर से भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों पर आधारित दो दिवसीय महत्वपूर्ण आयोजन नृत्यांजलि महोत्सव का गुरुवार 29 दिसंबर की शाम शानदार प्रस्तुतियों के साथ समापन हुआ। राजधानी रायपुर के मुक्ताकाशी मंच पर पहली प्रस्तुति नई दिल्ली की अयाना मुखर्जी के कुचिपुड़ी नृत्य ने समा बांध दिया। प्रस्तुति के पहले अयाना का सम्मान कला अकादमी के अध्यक्ष योगेंद्र त्रिपाठी ने किया।
अयाना ने अपनी प्रस्तुति में तंजौर शंकर अय्यर की रचना महादेव शिव शंभू के माध्यम से मार्कंडेय की कहानी मंच पर साकार की। उसके बाद मीरा का भजन बरसे बदरिया, जगदोधाराना और शिव तरंगम भी सराहा गया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति के दौरान थाली पर संतुलन बनाते हुए अद्भुत नृत्य प्रस्तुत किया।
इसके उपरांत दूसरी प्रस्तुति कमला देवी संगीत महाविद्यालय रायपुर की कत्थक की सामूहिक प्रस्तुति ‘एरा’ अर्थात युग-काल की रही। जिसमें मध्यकाल से लेकर वर्तमान काल तक की कुछ प्रमुख हस्तियों को याद किया गया जिन्होंने अपने समय में कला साहित्य और प्रेम के माध्यम से समाज को शिक्षित और संस्कारित किया।
इस सामूहिक प्रस्तुति में मीरा,सूरदास एवं कबीरदास का वर्णन एवं मुगल काल में दरबारी कथक तथा आधुनिक काल में हरिवंश राय बच्चन की ‘मधुशाला’ के कुछ अंश प्रस्तुत किए गए। वहीं शकील बदायूंनी की रचना ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया को नए ढंग से कथक में संयोजित कर कलाकारों ने प्रस्तुत किया, जिसकी दर्शकों ने भरपूर सराहना की। अंत में तराना से ‘एरा’ अर्थात युग-काल की समाप्ति हुई।
अंतिम प्रस्तुति भिलाई के नृत्य गुरु रतीश बाबू एवं उनके समूह की भरतनाट्यम प्रस्तुति रही। शुरुआत उन्होंने ‘पिबरे राम रसम’ अर्थात ‘राम का अमृत पियो’ से की। इसके बाद वर्णन सिम्हा वाहिनी श्री राजेश्वरी देवी दुर्गा स्तुति के अंतर्गत दुर्गा के 9 अवतारों का जीवंत चित्रण उन्होंने अपने समूह के साथ मंच पर किया।
इस प्रस्तुति में रागम रंजनी और तालम सम्मिलित रही। उनकी तीसरी प्रस्तुति एक लोकप्रिय रचना कंजदलयदक्षी और श्री मुथुस्वामी दीक्षितार पर आधारित रही। इसमें भगवान शिव द्वारा कामदेव को जलाकर राख करने का प्रसंग मंच पर साकार हो गया। जिसकी दर्शकों ने भरपूर सराहना की।
यह प्रस्तुति रागम कमल मनोहारी व तालम में सम्मिलित है। इन प्रस्तुतियों के दौरान सभी कला गुरुओं का सम्मान कला अकादमी की ओर से अध्यक्ष योगेंद्र त्रिपाठी ने किया। समापन अवसर पर मुक्ताकाशी मंच की दर्शक दीर्घा कई गणमान्य लोगों से भरी हुई थी।