यूएनओ इंडिया हाउस जिनेवा में गूंजा भिलाई की बेटी सुस्मिता का गीत

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75 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए खास तौर पर लिखा, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय बिरादरी ने सराहा

भिलाई। इस्पात नगरी भिलाई की बेटी सुस्मिता बसु मजूमदार के खाते में एक और उल्लेखनीय उपलब्धि आई है। सुस्मिता का लिखा गीत इस 15 अगस्त को देश की आजादी के अमृत महोत्सव पर जिनेवा (स्विटजरलैंड) स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ कार्यालय के इंडिया हाउस में आयोजित समारोह में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर की हस्तियों के बीच प्रदर्शित किया गया। ‘साँसें तेरे ही नाम भारत माँ को प्रणाम’ शीर्षक के इस गीत में सुस्मिता ने शुरुआती कमेंट्री की है और इस गीत को अपने स्वर व संगीत से शौर्य घटक ने सजाया है।

उल्लेखनीय है कि सुस्मिता ने इससे पहले बांग्लादेश की आजादी के 50 वें साल पर आयोजित समारोह के लिए भी गीत लिखा था, जिसे भारत और बांग्लादेश के प्रधानमंत्रियों की मौजूदगी में प्रख्यात शास्त्रीय संगीत के गायक उस्ताद अजय चक्रवर्ती ने गाया था। वहीं सुस्मिता ने वर्ष 2018 में अपने शहर भिलाई की पहचान को उकेरते हुए भिलाई एंथम भी रचा था। बीएसपी सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-10 की पूर्व स्टूडेंट सुस्मिता इन दिनों कोलकाता विश्वविद्यालय में इतिहास की प्राध्यापक हैं।

सुस्मिता ने बताया कि देश की आजादी के अमृत महोत्सव को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस विशेष गीत की रचना की थी। भिलाई स्टील प्लांट के ऊर्जा प्रबंधन विभाग में पदस्थ रहे तपन कुमार बोस की बेटी सुस्मिता बसु ने बताया कि जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के लिए भारत के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए वहां इंडिया हाउस में ध्वजारोहण समारोह में यह वीडियो प्रस्तुति प्रदर्शित की गई।

जिसमें जिनेवा में प्रवासी भारतीयों सहित 300 से अधिक सदस्यों के मध्य संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत के स्थायी प्रतिनिधि इंद्रमणि पांडे ने ध्वजारोहण किया। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थायी मिशन द्वारा 15 अगस्त की शाम को आयोजित स्वागत समारोह में भी यह वीडियो प्रदर्शित किया गया था, जिसमें 400 से अधिक विशिष्ट अतिथि शामिल हुए थे।
भिलाई के बाद इन दिनों कोलकाता में निवासरत सुस्मिता ने अपनी इस उपलब्धि पर कहा कि वह शौकिया तौर पर प्रोफेशनल तरीके से लिखती रही हैं। उनकी कोशिश रही है कि, जो भी काम करें, उसे पूरी लगन और निष्ठा से अंजाम दें। सुस्मिता कहती हैं- कभी सोचा नहीं था कि मेरी लिखी कविता मेरी ही आवाज में संयुक्त राष्ट्र संघ में दुनिया भर के अति विशिष्ट लोगों के बीच में गूंजेगी वो भी अपने देश के लिए। मेरा लिखा हुआ गीत सबको इतना पसंद आएगा ये भी कभी नहीं सोचा था। यह सब जान कर बहुत अच्छा लग रहा है।


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