राम साहित्य के बिना भारतीय ज्ञान परम्परा अधूरी–आचार्य डॉ.शर्मा…..तृतीय अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में आचार्य शर्मा सम्मानित

भिलाई नगर 09 अप्रैल 2025:- इस्पात नगरी भिलाई निवासी धर्म-संस्कृति और साहित्य विद आचार्य डॉ.महेश चन्द्र शर्मा ने तुलसी मानस प्रतिष्ठान एवं रामायण केन्द्र भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तृतीय अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन भोपाल में शोध लेख प्रस्तुत किया।

ज्ञातव्य है नयी शिक्षा नीति 2020 के सन्दर्भ में पूरे देश के उच्च शिक्षा संस्थानों एवं सांस्कृतिक केंद्र में भारतीय ज्ञान परम्परा पर शोध संगोष्ठी आदि का दौर जारी है। इस अन्तर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में भारत के साथ चीन, श्रीलंका और त्रिनिदाद टोबैगो आदि देशों से आये विद्वानों के बीच आचार्य महेश ने छत्तीसगढ़ का सफल प्रतिनिधित्व किया।


उन्होंने बताया कि ऋषि प्रधान और कृषिप्रधान भारतवर्ष की ज्ञान परंपरा श्रीराम के बिना अधूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि विभीषण घर का भेदी नहीं था। परिवार प्रेमी और देशभक्त विभीषण के सुझावों को न मानकर उसका सार्वजनिक अपमान करने से ही रावण और लंका का सत्यानाश हुआ। डॉ. शर्मा ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा मूलतः वैदिक साहित्य परक महर्षि वाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास के कालजयी महाकाव्यों रामायण और रामचरितमानस से प्रभावित और प्रेरित है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय संस्कृति के आदर्श महानायक हैं। रावण वध के पश्चात् वे शिष्टाचार पूर्वक विभीषण को उसके अंतिम संस्कार हेतु कहते हैं, वैर तो उसकी मृत्यु के साथ समाप्त हो गया। श्री राम स्वर्णपुरी लंका से भी बढ़कर जन्मभूमि अयोध्या को मानते हैं।