रायपुर, 15 अक्टूबर 2022/ छत्तीसगढ़ सरकार के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री कवासी लखमा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य और विशेषकर यहां के वनान्चलों से कृषि एवं लघु वनोपज आधारित उत्पादों के निर्यात की व्यापक संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर तथा अन्य वन्य क्षेत्रों में महुआ, टोरा, आम, ईमली, चिरौंजी, सीताफल, काजू आदि फसलों का उत्पादन बहुतायत से होता है जिनका प्रसंस्करण कर इनके निर्यात को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। लखमा आज यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कृषि मड़ई एग्री कार्नीवाल 2022 के तहत आयोजित नवाचार, स्टार्टअप एवं उद्यमिता कार्यशाला को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।
उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री श्री कवासी लखमा ने वहां उपस्थित उद्यमियों से बस्तर क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने का आव्हान करते हुए कहा कि जो उद्यमी बस्तर में ऐसी इकाईयां स्थापित करना चाहते हैं, राज्य सरकार उन्हें उद्योगों की स्थापना हेतु भूमि आबंटित कराएगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की। इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहायक महानिदशक डॉ. के.श्रीनिवासन, भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष श्री उमेश चितलांगिया, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक श्रीमती सुपर्णा टंडन विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। शुभारंभ समारोह के दौरान इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर तथा आई.आई.टी. कानपुर एवं आई.आई.एम. कोलकाता के मध्य उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने हेतु एम.ओ.यू. किया गया। इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय के रूरल एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन (राबी) द्वारा प्रकाशित तीन प्रकाशनों का तत्व 4.0, प्रियान 4.0, दृश्यम 1.0 का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए राबी रफ्तार योजना के अन्तर्गत युवाओं को स्टार्टअप एवं नवीन उद्यम स्थापित करने हेतु प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषक उत्पादक समूह एवं महिला उत्पादक समूहों के माध्यम से महुआ, मशरूम, चिरौंजी आदि का प्रसंस्करण कर खाद्य उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं और इन्हें बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने स्व-सहायता समूहों को मार्केट लिंकेज उपलब्ध कराने पर जोर दिया।
कार्यक्रम में नाबार्ड छत्तीसगढ़ की मुख्य महाप्रबंधक श्रीमती सुपर्णा टंडन ने कहा कि देश में 86 प्रतिशत लघु और सीमान्त किसान हैं, जिन्हें नवाचार से जोड़ने की महती आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि भारत में 6 हजार कृषक उत्पादक कम्पनी है जिन्हें एग्री इन्क्यूबेशन के क्षेत्र में इक्रिसेट के साथ कार्य करने का अनुभव प्राप्त हुआ है तथा एग्री इन्क्यूबेटर से लगभग तीन लाख व्यक्तियों को मदद मिली है। उन्होंने उम्मीद की जल्द ही छत्तीसगढ़ के एग्री स्टार्टअप को यूनिकॉन का दर्जा मिलेगा।
भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष श्री उमेश चितलांगिया ने कहा कि छत्तीसगढ़ की उद्यमिता की प्रगति देश भर में फैलती जा रही है। उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन की नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी परियोजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गोबर एवं गौमूत्र का क्रय किया जा रहा है, जिससे राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहायक महानिदशक डॉ. के. श्रीनिवासन ने कहा कि भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में राबी रफ्तार योजना संचालित है, जिसके अन्तर्गत 50 इन्क्यूबेटर केन्द्र कार्य कर रहे हैं, ये इन्क्यूबेटर केन्द्र देश में उद्यमिता विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।
नवाचार, स्टार्टअप एवं उद्यमिता कार्यशाला के दौरान सफल स्टार्टअप्स द्वारा उनकी सफलता की कहानी नवीन उद्यमियों के साथ साझा की गई। समूह चर्चा में नवाचार प्रोत्साहन, स्टार्टअप एवं उद्यमिता विकास की चुनौतियां एवं अवसरों पर विमर्श किया गया। इसी प्रकार स्टार्टअप इको सिस्टम-इन्क्यूबेटर-उद्योग संभावनाओं पर भी विमर्श किया गया। कार्यशाला के दौरान नवीन स्टार्टअप स्थापित करने हेतु आवश्यक प्रक्रियाओं, वित्तीय सहायता, बाजार की उपलब्धता तथा वैधानिक मदद आदि के बारे में जानकारी दी गई।
इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव जी.के. निर्माम, संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक त्रिपाठी, निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. अजय वर्मा, कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. विनय पाण्डेय, निदेशक प्रक्षेत्र एवं बीज डॉ. एस.एस. टुटेजा, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, वैज्ञानिकगण, विद्यार्थी एवं बड़ी संख्या उद्यमी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अन्त में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय राबी रफ्तार के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. हुलास पाठक ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।