भिलाई नगर 29 अप्रैल 2024 :- हिंद मजदूर सभा ( एचएमएस ) के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष एचएस मिश्रा ने भिलाई टाउनशिप में जलापूर्ति के समय बिजली आपूर्ति बाधित किए जाने को अनुचित करार दिया है। उन्होंने कहा कि किसी भी कारण से ऐसा किया जाना न्यायपूर्ण व्यवस्था नहीं है। इससे जनाक्रोश बढ़ने से गंभीर आंदोलन और अप्रिय राजनीतिक स्थिति निर्मित होगी। इस संबंध में श्री मिश्रा ने संयंत्र के प्रभारी निदेशक अनिर्बान दासगुप्ता को ज्ञापन देकर पुनर्विचार करने की चेतावनी दी है।
श्री मिश्रा ने बताया कि लम्बे समय से एक परम्परानुसार भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा होली के बाद पूरी गर्मी की ऋतु के दौरान प्रातः पेयजल की आपूर्ति किये जाने के दौरान लगभग एक घंटे या उससे भी ज्यादा समय तक बिजली की आपूर्ति रोक दी जाती है। प्रथम दृष्टया तो यह जनहित में प्रबंधन के द्वारा उठाया गया बहुत ही अच्छा कदम दिखता है किन्तु शायद इसके व्यावहारिक, तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर उतनी बारीकी से गौर नहीं किया जाता है। इसलिए आम नागरिकों के मन में धीरे धीरे आक्रोश बढ़ता है और परिणाम स्वरुप विपरीत समय में गंभीर आंदोलन और अप्रिय राजनीतिक स्थिति निर्मित होती है। पूर्व में भी ऐसा कई बार हो चुका है जबकि प्रबंधन ने राजनीतिक दबावों में या तो बिजली काटना बंद किया है या फिर जलापूर्ति का समय बढ़ाया है। हाल ही में कुछ समय पहले भिलाई में घरों में महीनों गंदा पीने का पानी प्रबंधन द्वारा आपूर्ति किया गया था, और कईं प्रकार के तर्क कुतर्क तत्संबंध में दिए गए थे, जिसे शायद आज भी कोई नहीं भूला है। एक तरफ ऐसी गतिविधियों से लोग अवैध रूप से टाउनशिप क्षेत्र में जगह जगह बोरिंग करते जा रहे हैं तो दूसरी तरफ घरों में पानी के प्रवाह की गति कम होने के कारण लगातार लगभग हर घर में सामान्य या अति उच्च क्षमता के पानी खींचने वाले मोटर लगाए जा चुके हैं। आज मोटर लगाकर पानी खींचना भिलाई शहरवासियों की मजबूरी है। क्योंकि सही तरीके से जल प्रवाह दिया नहीं जाता है।
उन्होंने बताया कि जब लाखों लोग संयंत्र में काम कर रहे थे और सब कुछ संयंत्र प्रबंधन द्वारा ही संचालित किया जाता था, तब वैध तरीके से तीन मंजिला मकानों में 24 यूनिट में लोग रहते थे और कभी भी गर्मियों में पानी की किल्लत नहीं होती थी। पानी दोनों समय यानी सुबह और शाम की पाली में दिया जाता था। कुछ स्थानों पर तो चौबीसों घंटे पानी की व्यवस्था रहती थी। प्रातः काल 06:00 से 08:30 तक और इसी तरह संध्या 05:00 से 06:00 बजे तक पानी की आपूर्ति की जाती थी। ऐसे समय में भी प्रबंधन द्वारा जलापूर्ति के लिए बड़ी ही निम्नतम राशि शुल्क के रूप में ली जाती थी। सेल भिलाई भारत के विकास की अग्रणी कंपनी हैं। तब प्रबंधन अपने क्षेत्र में निवास करने वालों को उचित रूप से पेय जल प्रदाय कर पाने में असमर्थ है, यह सोचनीय पहलू है। आज जबकि प्रबंधन के पास अत्यंत कम कर्मचारी रह गए हैं और भरपूर राशि जल कर के रूप में प्रबंधन द्वारा वसूली की जाती है तो ऐसे में केवल एक प्रातः पाली में जलापूर्ति करते समय भी बिजली की आपूर्ति बाधित कर दिया जाना कतई न्यायपूर्ण व्यवस्था नहीं है। जब प्रबंधन बिजली का शुल्क वसूल करता है तो पानी के बहाने बिजली कटौती का उपक्रम क्यों किया जाता है। प्रबंधन द्वारा जलापूर्ति के लिए व्यवस्थित और वैकल्पिक हर स्थिति के लिए कर्मचारी और नागरिक भरपूर और प्रबंधन की इच्छानुसार जलकर प्रदान किया जाता है, फिर भी उचित व्यवस्था नहीं हो पाने से नागरिक परेशान हैं।
श्री मिश्रा ने कहा गर्मी के जिस समय सबसे ज्यादा जलापूर्ति की जरूरत होती है उसी समय बिजली कटौती के माध्यम से जलआपूर्ति भी कम कर दी जाती है, जो कि अन्याय पूर्ण है। प्रबंधन द्वारा यह तर्क समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों को दिया जाता है कि घर घर में इतनी मोटर लग गयी हैं कि मंजिलों में ऊपर रहने वाले परिवारों को पानी मिल ही नहीं पाता है। इस तर्क के अनुसार गर्मी के समय के अलावा बरसात और ठण्ड में भी उन्हें पानी की समस्या निश्चित होती होगी। क्या तब प्रबंधन के तर्क अनुसार उन्हें पानी की आपूर्ति अलग से की जाती है। आज बहुमंजिला बिल्डिंगों की संख्या पूर्व की अपेक्षा काफी कम हो चुकी है। सबसे बड़े सेक्टर 6 के लगभग सभी बहुमंजिला बिल्डिंग को अवैध घोषित किया गया है और उन्हें गिरा कर आगे की तैयारी की जा रही है। कहीं वैध रूप से लोग रह भी रहे हैं तो वहां ख़ास रूप से चिन्हांकित करके बिजली आपूर्ति रोकी जा सकती है या पानी की आपूर्ति बढ़ाई जा सकती है। किन्तु प्रबंधन के लिए सबसे सुविधाजनक तरीका यही है कि पैसे तो पूरे वसूल करो लेकिन सुविधा कम से कम कर दो।
उन्होंने बताया कि प्रबंधन द्वारा सार्वजनिक उपद्रव की स्थिति निर्मित की जा रही है। जलापूर्ति कम होने से लोग कूलर की जगह घरों में ए सी लगाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। प्रबंधन द्वारा शहर विद्युतीकरण व्यवस्था में फिलहाल संयंत्र कार्यालयों व प्रतिष्ठानों या अस्पतालों को छोड़कर ए सी लगाने की अनुमति नहीं है और ना ही प्रदत्त घरेलू वायरिंग में ऐसा संभव है। लेकिन कूलर की व्यवस्था से हटकर स्वयं एक प्रकार से अवैध ए सी की व्यवस्था तैयार करने के जिम्मेदार बनते जा रहा है। भविष्य में फिर इस व्यवस्था को सुधारने के लिए शुल्क वसूला जाने की संभावना है। जो लोग नगर प्रशाशन क्षेत्र में अवैध बहुमंजिला मकान बनाकर रह रहे हैं, लगभग उन सभी ने अपने मकानों में ही बोरिंग करवा रखी है। साथ ही भारी मोटर से पानी भी खींच रहे हैं। अवैधानिक हॉस्टल प्रबंधन द्वारा निर्मित मकानों में चल रहे हैं। लेकिन उन्हें खाली करवा सकने की हिम्मत नहीं दिखाई जाती है। वैध अवैध की बात आते ही स्क्वायर फिट और इंच में कहीं किसी कब्जे को विशेष महत्त्व दिया जाकर उसके विरुद्ध कार्यवाही किया जाता है। क्योंकि कोई परिवार मजबूरी वश ऐसा करके किसी तरह अपना गुजर बसर कर रहा होगा। ऐसे में उसे अकेले प्रबंधन की मनमानी के अनुसार कार्यवाही स्वीकार करना पड़ता है।
संयंत्र क्षेत्र में व्यवस्था करने की प्राथमिक जिम्मेदारी प्रबंधन की है। किसी तरह की कमी रह जाने पर नगर निगम या अन्य की आपके क्षेत्र में घुसने की हिम्मत होती है। संयंत्र कर्मचारी ही नहीं बल्कि प्रशासित सम्पूर्ण क्षेत्र में रहने वाले लोगों की भी जिम्मेदारी प्रबंधन ही है क्योंकि सभी कहीं ना कहीं एक दूसरे से सम्बंधित हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में समाचार मिला कि स्थानीय सांसद की पहल पर पेयजल आपूर्ति के लिए पानी की व्यवस्था की गयी है। फिर भी प्रबंधन द्वारा बिजली कटौती जारी है और पेयजल आपूर्ति नहीं बढ़ाई गयी है। यह व्यवस्था प्रबंधन को ही देखना है कि आम लोगों को किस प्रकार से मुलभूत सुविधा की भरपूर आपूर्ति की जा सके। केवल बिजली काटकर समस्या से पल्ला झाड़कर इतिश्री नहीं किया जा सकता है। भिलाई के अतिरिक्त छत्त्तीसगढ़ के अन्य किसी भी शहर से हम तुलना करें तो सबसे कम पेयजल गर्मी के मौसम में प्रदान कर संयंत्र प्रबंधन द्वारा एक प्रकार का अत्याचार किया जा रहा है। पड़ोस के किसी भी शहर में पेयजल की आपूर्ति इस मौसम में कम नहीं होती है लेकिन यहां पर विचित्र आचरण आश्चर्यजनक है। उन्होंने प्रभारी निदेशक से कहा है कि शहर की जलापूर्ति के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठायें और निम्नलिखित कार्यवाही करें ताकि लोगों में दबा रोष फूटने से पहले कम हो सके और किसी अप्रिय स्थिति कार्यवाही से बच सकें।