आईपीएस अधिकारी और SPG के निर्देशक अरुण कुमार सिन्हा का आज सुबह गुरुग्राम के अस्पताल में निधन..

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नई दिल्ली, 6 सितंबर 2023:- स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के निदेशक एवं भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अरूण कुमार सिन्हा का आज बुधवार को तड़के गुरुग्राम भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी अरुण के एक अस्पताल में निधन हो गया।

केरल कैडर के 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी 61 वर्ष थे। वह लीवर की बीमारी के कारण पिछले कुछ महीनों से अस्वस्थ थे। 2016 से, वह एसपीजी के निदेशक बने थे

SPG के निर्देशक के रूप में कार्यरत हैं, जो देश का विशिष्ट बल

है, जिसे भारत के प्रधान मंत्री की सुरक्षा सौंपी

जाती है। उनके शामिल होने से पहले, लगभग 15 महीने तक एसपीजी का कोई पूर्णकालिक प्रमुख नहीं था ।

झारखंड के मूल निवासी, सिन्हा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में पुलिस महानिरीक्षक के रूप में कार्य किया था।

इस साल 30 मई को उनकी सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली

कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने एक साल

के लिए सिन्हा के पुन: रोजगार के प्रस्ताव को मंजूरी

दे दी थी। 2022 में, एसीसी ने 31 मई, 2023 तक डीजी

(एसपीजी) के रूप में सिन्हा के लिए अस्थायी उन्नयन

में विस्तार को मंजूरी दे दी थी।

एक अधिकारी ने कहा कि सिन्हा ने अपने करियर का अधिकांश समय केरल में बिताया और वह महिलाओं की सुरक्षा और अनिवासी भारतीय मामलों के प्रभारी भी थे।

केरल कैडर के 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी 61 वर्ष थे। वह लीवर की बीमारी के कारण पिछले कुछ महीनों से अस्वस्थ थे। 2016 से, वह एसपीजी के निदेशक बने थे

हजारीबाग से किये थे स्कूल की पढ़ाई

अरुण कुमार सिन्हा, झारखंड के हजारीबाग जिले के रहने वाले थे. उनके पिता का नाम स्वर्गीय महेंद्र प्रसाद जो भारतीय सेना में थे. उन्होंने हिंदू स्कूल हजारीबाग से स्कूल की शिक्षा प्राप्त की थी. संत कोलंबस कॉलेज हजारीबाग से बीएससी जंतु शास्त्र विषय में वर्ष 1987 में भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए और इनको केरल कैडर आवंटित हुआ था. शुरुआत में केरल के दो तीन जिलों में आरक्षी अधीक्षक एवं त्रिवेंद्रम और कोचिंग के पुलिस कमिश्नर भी रहे.

उसके बाद डीआईजी आईजी के रूप में भी काम किया. वर्ष 2009 से 2014 तक बीएसएफ में आईजी के रूप में गुजरात फ्रंटियर में पदस्थापित रहे, फिर केरल वापस आए और 2016 तक एडीजी के रूप में काम किया. उन्होंने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ई-मेल से जान से मारने की धमकी और लेटर बम कांड जैसे महत्वपूर्ण मामलों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई थी. सिन्हा को सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक भी मिल चुका हैं.


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