जवाहरलाल नेहरु चिकित्सालय एवं अनुसन्धान केंद्र ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ के लिए सम्मानित  

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भिलाई नगर 22 जून 2023 :- सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित सेक्टर-9 स्थित जवाहरलाल नेहरु चिकित्सालय एवं अनुसन्धान केंद्र का छत्तीसगढ़ कैबिनेट स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने 20 जून  को सम्मान किया एवं ‘टीबी मुक्त भारत अभियान’ में उनके योगदान के लिए सराहना की। इस कार्यक्रम का आयोजन सर्किट हाउस, रायपुर में किया गया था और कुछ ही सूचीबद्ध कॉर्पोरेट को इसे स्वीकार करने के लिए आमंत्रित किया गया। भिलाई इस्पात संयंत्र की ओर से मुख्य चिकित्सा अधिकारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवांए) डॉ प्रमोद बिनायके, अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवांए) डॉ त्रिनाथ दास, महाप्रबंधक (सीएसआर) शिव राजन ने प्रमाणपत्र प्राप्त किया।

WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने 2030 तक विश्व को टीबी मुक्त करने की रणनीति बनाई है। जिसमे बीमारी, इस बीमारी से पीडितों की संख्या और होने वाले मृत्युदर को शून्य करने का लक्ष्य रखा गया है । भारत ने इस चुनौती को स्वीकार किया और टीबी के उन्मूलन के लिए “2025 तक टीबी मुक्त भारत” का नारा दिया | इसके लिए “टीबी मुक्त भारत अभियान” नाम से एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय कार्यक्रम लागू किया गया था |

अनुमान है कि वैश्विक टी.बी. के लगभग एक तिहाई मरीज भारत में हैं और हर साल लगभग 4 लाख लोगों की मृत्यु टीबी से हो रही है। छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिला, क्षय रोग से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से एक है। इस परियोजना के तहत “नि-क्षय मित्र” एक व्यक्तिगत, कॉरपोरेट्स, राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों, संस्थानों को दाता के रूप में अपनाएं जायेंगे और उपचार के परिणाम को बेहतर बनाने के लिए सभी जारी उपचार वाले टीबी रोगियों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करेंगे |

जेएलएन हॉस्पिटल, भिलाई स्टील प्लांट, उन सभी टीबी रोगियों के लिए दाता के रूप में कार्य करता है, जो मरीज इस अस्पताल में पंजीकृत हैं | सीएसआर के तहत इस कार्यक्रम की पहल 4 मार्च, 2023 को जवाहरलाल नेहरु चिकित्सालय एवं अनुसन्धान केंद्र में हुआ था। बीएसपी ने टीबी रोगियों को हर महीने नि-क्षय पोषण यानी भोजन अनुपूरक भी प्रदान किया है। जिसमें रोगियों को 6 महीने की अवधि के लिए लगभग 6.5 किलोग्राम अत्यधिक पौष्टिक भोजन के पैकेट दिए जाते हैं | मरीजों के नैदानिक सुधार के लिए अस्पताल द्वारा नियमित रूप से इसका अनुसरण किया जाता है और इस डेटा को अनुसंधान प्रयोजनों के लिए भी संरक्षित किया गया है। अब तक 125 टी.बी. मरीज़ इस परियोजना में पंजीकृत हैं और भविष्य में आने वाले मरीजों का भी पंजीकरण किया जाएगा। जवाहरलाल नेहरु चिकित्सालय एवं अनुसन्धान केंद्र की पूरी टीम ने इस परियोजना को क्रियान्वित करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।


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