कार्तिक माह विशेष… कार्तिक माह में स्नान की विधि एवं महत्व… आचार्य पं. अखिलेशधर द्विवेदी ज्योतिषाचार्य..

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आज से परम पावन , पुण्यप्रद कार्तिक मास का आरंभ होगा । आज से ही मास पर्यंत चलने वाले कार्तिकव्रत , कार्तिकस्नान, आकाशदीप आदि विधियों का आरंभ हो जाएगा।
अतः सभी वैष्णवभक्त आज से इस माह के नियम , पूजन , व्रत आदि का विधि पूर्वक एवं हर्ष युक्त हो पालन करें

इस माह में विशेष रूप से द्विदल(दाल) और मट्ठे का त्याग कर देना चाहिए ।
कार्तिक माह में स्नान की विधि एवं महत्व

आश्विनस्य तु मासस्य या शुक्लैकदशी भवेत्। कार्तिकस्य व्रतानीह तस्यां वै प्रभवेत्सुधी :
सूत्र कहता है कि आश्विन शुक्लपक्ष एकादशी से बुद्धिमान मनुष्योंं को कार्तिक माह के व्रत ,स्नान का प्रारंभ करना चाहिए एवं कार्तिक पूर्णिमा पर्यंत इसकी निरंतरता बनाए रखनी चाहिए।
कार्तिकं सकलं मासं नित्यस्नायी जितेन्द्रिय: ।जपन्हविष्यभुक्छान्त: सर्वपापै: प्रमुच्यते ।।

संपूर्ण कार्तिक में जो व्यक्ति नित्य प्रातः स्नान, हविष्य भोजन, जप ,जितेंद्रिय और शांत रहता है उसके सब पाप दूर हो जाते हैं।

स्नान मंत्र
कार्तिकोऽहं करिष्यामि प्रातःस्नानं जनार्दन। प्रीत्यर्थे तव देवेश दामोदर मया सह।।
प्रातः इस मंत्र को पढ़ते हुए स्नान करना चाहिए । स्नान के समय इस मंत्र के अतिरिक्त और कुछ नहीं बोलना चाहिए। अर्थात् स्नान करते समय मौन रहें।

आचार्य पं. अखिलेशधर द्विवेदी ज्योतिषाचार्य


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