राष्ट्रीय युवा दिवस – युवा पीढ़ी ही सब को मानसिक शांति के सकरात्मक मार्ग पर लें जा रही है – योग गुरु महेश अग्रवाल…सत्य और आंनद की खोज में लगे युवाओं ने विश्वव्यापी स्तर पर योग को अपनाया है….

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भोपाल 12 जनवरी 2023 :! आदर्श योग आध्यात्मिक केन्द्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड भोपाल के योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि केंद्र कई वर्षो से निःशुल्क योग प्रशिक्षण देते हुए सभी योग साधकों को स्वस्थ जीवन जीने की कला सीखा रहा है। केन्द्र की विशेषता है कि कोई अवकाश नहीं रहता है। वर्तमान में ऑनलाइन एवं प्रत्यक्ष माध्यम से योग प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमे सभी उम्र के लोगो महिला पुरुष बच्चे आ सकते है। सभी योग साधकों का जन्मदिन, राष्ट्रीय पर्व, धार्मिक पर्व, महापुरुषों की जयंती एवं राष्ट्रीय दिवस,अंतर्राष्ट्रीय दिवस, योग दिवस, स्वच्छता अभियान,नशा मुक्ति अभियान, पर्यावरण जागरूकता अभियान, वृक्षारोपण अभियान के द्वारा जन जागरण किया जाता है। साथ ही भोपाल में लगने वाले अंतर्राष्ट्रीय वन मेला रीजनल सरस मेला जैसे मैलों में भी स्टॉल लगाकर लोगों को योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा की जानकारी एवं साहित्य निशुल्क देकर जागरूक किया जाता है।

योग गुरु महेश अग्रवाल ने राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर कहा कि भारत में स्वामी विवेकानन्द की जयंती, 12 जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत को आर्थिक एवं भौतिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाने का सफल प्रयत्न करने वाले महानायक का नाम है स्वामी विवेकानन्दजी। वे एक सिद्ध पुरुष एवं संस्कृति पुरुष थे। नैतिक मूल्यों के विकास एवं युवा चेतना के जागरण हेतु कटिबद्ध, मानवीय मूल्यों के पुनरुत्थान के सजग प्रहरी, अध्यात्म दर्शन और संस्कृति को जीवंतता देने वाली संजीवनी बूंटी, भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता के प्रखर प्रवक्ता, युगीन समस्याओं के समाधायक, अध्यात्म और विज्ञान के समन्वयक, वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु हैं स्वामी विवेकानन्द।


योग गुरु अग्रवाल ने कहा कि योग आनंद का मार्ग है – आनंद मनुष्य की वास्तविक स्थिति है। यही कारण है कि युवा पीढ़ी अपने वास्तविक स्वभाव को जानने और इंद्रिय सुखों से मिलने वाली क्षणिक खुशियों से बाहर आकर स्थायी आनंद को प्राप्त करने के लिए योगोन्मुख हो रही हैं। योग में उन्हें जीवन का वह मार्ग दिखता है जिसमें मानव अस्तित्व के सभी पक्षों का सामना करने की क्षमता है। वे देखते हैं कि आसन और प्राणायाम उन्हें शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करते हैं जो स्थाई आनंद प्राप्ति के मार्ग में प्रथम चरण हैं। उनके ये विचार अपने बुज़ुर्गों से भिन्न हैं जो अपने अस्तित्व के इस पक्ष के विषय में चिंता नहीं करते हैं। बुजुर्ग सोचते हैं कि यदि शरीर के दुरुपयोग के कारण कहीं दर्द है, अपच है या ऐसी ही कोई अन्य तकलीफ है, तो भी उनका शरीर यदि काम कर रहा है तो सब कुछ ठीक है।

लेकिन स्वास्थ्य के विषय में युवाओं की सकारात्मक अभिवृत्ति है, वे बीमारी के होने की प्रतीक्षा नहीं करते हैं, बल्कि उससे बचने के उपाय करते हैं। वे जानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य को प्राप्त करना या उसे कायम रखना स्थाई आनंद प्राप्ति के मार्ग का अगला चरण है। बुज़ुर्ग भले ही निरंतर तनाव में रहते हों, फिर वे अपने जीवन के इस तथ्य पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं। इस बात पर उनका ध्यान तब जाता है जब वे किसी गंभीर मानसिक समस्या से घिर जाते हैं।
युवा पीढ़ी ही सब को मानसिक शांति के सकारात्मक मार्ग पर ले जा रही है, क्योंकि विश्वव्यापी स्तर पर उन्होंने ध्यान और योग के अन्य अभ्यासों को दैनिक जीवन के एक अनिवार्य अंग के रूप में अपना लिया है। और जहाँ तक जीवन के आध्यात्मिक पक्ष की बात है, जहाँ बुज़ुर्गों ने पूर्वज-प्रदत्त धार्मिक विचारों को बिना समझे स्वीकार कर लिया है, या कुछ लोगों ने आधुनिकता के आवेश में धर्म को ‘कूड़ा’ कह कर फेंक ही दिया है, वहीं युवा इस क्षेत्र में भी अग्रणी रहे हैं। उन्होंने सभी धर्मों के मूलभूत सत्य समझने और अनुभव करने की पहल की है। उन्होंने धर्मों को न तो स्वीकारा है और न ही नकारा है। वास्तव में उन्होंने व्यावहारिक विधि से सत्य की प्राप्ति के लिए वैज्ञानिक मार्ग का चयन किया है। इस प्रयास में उन्होंने योग की पद्धतियों को अपनाया है।

योग गुरु महेश अग्रवाल ने सकारात्मक विकास के बारे बताया कि कल्पना कीजिए कि पूरे विश्व के स्कूलों में गणित या विज्ञान की तरह योग पढ़ाया जाए तो क्या होगा? जब हम यह मानते हैं कि विश्व की साठ प्रतिशत जनसंख्या बच्चों की है तो परिणाम अवश्य अचंभित करने वाले होंगे। हर जगह युवाजन सुव्यवस्थित, स्वस्थ और खुश होंगे। वे संवेदनशील और समझदार, शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ, अपनी क्षमताओं के प्रति अधिक सजग और उनके कार्यान्वयन में अधिक समर्थ होंगे। अपने आध्यात्मिक अनुभव के कारण वे चेतना के उच्चतर स्तर पर कार्य करने में सक्षम होंगे। अपने इस अनुभव का उपयोग वे अपने बाह्य जीवन में, अपने व्यवसाय में और सामाजिक उत्तरदायित्वों में कर सकते हैं। योग सेवा के लिए प्रोत्साहित करता है, इसका उपयोग मानवता को लाभ पहुँचाने में किया जा सकता है।

विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में योग का समावेश करने पर वहाँ से बेहतर स्नातक बाहर आयेंगे जो अपने काम में अपनी बुद्धि उपयोग अधिक सजगता से करेंगे। युवा या वृद्ध, हर व्यक्ति को योगोन्मुख होना चाहिए। युवा वर्ग तथा सारे विश्व के भविष्य को योग जैसी प्रणाली की आवश्यकता होगी। योग का अर्थ है ‘संगम’ और इसे हम वैश्विक स्तर पर प्राप्त कर सकते हैं – समस्त विश्व के लोगों का सौहार्द्रपूर्ण संगम योग के माध्यम से हर व्यक्ति अपनी संस्कृति और अपने जीवन के बारे में ऐसी सूक्ष्म जानकारी प्राप्त कर सकेगा जो पहले उसके लिए अकल्पनीय थी। यह है योग की शक्ति। यह कोई धर्म नहीं है, बल्कि हमारी पहुँच के अंदर जीवन का विज्ञान है। यदि हम स्वयं को अपने और अपने बच्चों के भविष्य के प्रति उत्तरदायी मानते हैं तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि मनुष्य का विकास सकारात्मक दिशा में हो रहा है। तभी युद्ध बंद होंगे, तभी मनुष्य अपने साथियों से प्रेम करने योग्य होगा, तभी बुजुर्ग युवाओं को और युवा बुजुर्गों को समझ पायेंगे।


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