क्रांति के नायक थे लेकिन शांति के दूत भी थे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस-विजय बघेल….

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भिलाई नगर 24 जनवरी 2023 । भारत देश को पहले तो मुगलों ने लूटा फिर अंग्रेजो। हजारों साल के गुलामी के बाद भारत देश को आजादी इन जैसे महानायकों के माध्यम से मिली। सुभाष चन्द्र बोस जी क्रांति के नायक थे लेकिन शांति के दूत भी उन्हें मानते थे। सौभाग्यशाली है बंगाली समाज जो नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसे सपूत को पैदा किए। वे एक समाज का नहीं है, सर्वहारा है, सभी समाजों का है। उक्त बातें दुर्ग सांसद विजय बघेल ने भिलाई बंगाली समाज (बीबीएस) द्वारा 23 जनवरी की शाम ओपन एयर थियेटर सिविक सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में कही।


भिलाई बंगाली समाज (बीबीएस) द्वारा 22 व 23 जनवरी को फूड फेस्टिवल व नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती कार्यक्रम का आयोजन हर्षोल्लास के साथ किया गया। कार्यक्रम का समापन 23 जनवरी को सम्मान समारोह के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में दुर्ग सांसद विजय बघेल, कांगे्रसी नेत्री गुरमीत धनई, रिसाली नगर निगम के एमआईसी मेम्बर अनूप डे शामिल हुए। वहीं सांस्कृतिक आयोजन के दौरान सांसद विजय बघेल ने अपनी सुरीली आवाज से समां बांधा। इस आयोजन में दुर्ग और भिलाई के सभी कालीबाड़ी समितियों सहित उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों व चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं का सम्मान किया गया। साथ ही दो दिन तक फूड फेस्टिवल का भी लोगों ने जमकर आनंद उठाया। यहां बंगाली समाज के व्यंजनों सहित पकड़े, ज्वेलरी आदि के स्टाल लगाए गए थे जो लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा। लोगों द्वारा खाने पीने की सामानों की जमकर खरीदारी की गई।


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांसद विजय बघेल ने कहा कि आज बहुत शुभ दिन है। आज से 126 वर्ष पहले इस देश में एक महामानव का जन्म हुआ, जब देश गुलाम थी। सुभाष चन्द्र बोस जी का जन्म हुआ। देश भक्ति, देश प्रेम, देश को आजादी दिलाए इस संकल्पों को साथ उनका बचपन बीता और जब होश संभाले तब इस लड़ाई में वे कूद पड़े। सुभाष चन्द्र बोस जी के नाम को अगर हटा दे तो यह स्वतंत्रता बेकार है। इस देश को पहले तो मुगलों ने लूटा फिर अंगे्रजों ने।

हजारों साल के गुलामी के बाद भारत देश को आजादी इन जैसे महानायकों के माध्यम से मिली। सुभाष चन्द्र बोस जी क्रांति के नायक थे लेकिन शांति के दूत भी उन्हें मानते थे। दोनों वर्गों के लोग उनका सम्मान देते थे और इसलिए उस समय की कांगे्रस पार्टी के वे अध्यक्ष भी नियुक्ति किए गए। इन जैसे महानायकों की कुर्बानियों के कारण ही भारत को आजादी मिली है। कार्यक्रम के उपस्थित लोगों को संदेश देते हुए सांसद विजय बघेल ने देश के लिए जिने तथा मरने की बात कही। हमारा हिन्दुस्तान और हमारा भिलाई दोनों मिलाजुला है।

भिलाई को हम छोटा हिन्दुस्तान कहते हैं क्यों कि यहां अनेक प्रदेश के लोग रहते हैं। हिन्दुस्तान के सभी प्रदेशों के लोग यहां निवासरत है। सबकी भोली भाषा अगल है। भले ही हम अनेक माताओं की कोख से पैदा हुए है लेकिन हमारी एक ही मां है, भारत मां। कार्यक्रम में भिलाई बंगाली समाज के अध्यक्ष डीके दत्ता, सचिव राजदीप सेन, वाइस प्रेसिडेंट बिमान दास (गोरा), पूर्व अध्यक्ष पेट्रोन मानव सेन, रिसाली एमआईसी प्रभारी पार्षद अनूप डे, पूर्व पार्षद सौरभ दत्ता, सहित  सुप्रभात पाल, सुबीर भट्टाचार्य, झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के सरसीज घोष, संजीव मुखर्जी, सुबीर चन्द्र रॉय, रंगोन सेनगुप्ता, कोषाध्यक्ष प्लबन बोस, सरसीज घोष, सुबीर भट्टाचार्य, संजीव मुखर्जी, उज्जल मजूमदार,सुप्रभात पाल, गोपाल चक्रवर्ती, भुवन चटर्जी, तरुण पाल, सुबीर चंद्र राय, रंगून सेनगुप्ता, श्यामल राय, सुभांकर राय, सुबीर राय, पी के नन्दी, सुभाशीष डे, एस पी डे, आकाश माझी, श्रीमती सोमा देव, दीप माझी, ऋषभ पाल, तनय कर, स्वयं बनर्जी, अमिताभ दास, रमेश मंडल, सम्राट सेनगुप्ता, अरूप सेनगुप्ता, समीर घोषाल, विद्युत चौधरी, अरूण सरकार, अंजन दास, बोबी नन्दी, पुलक सापुई, श्यामल गोस्वामी, पुलिन पाल, बुकुन विश्वास, श्रीमती स्वर्णसुधा मुखर्जी, श्रीमती डालियां मुखर्जी, श्रीमती सुभामिता सेन, श्रीमती सोमा दत्ता सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे। मंच संचालन सुभाशीष डे ने किया। यह जानकारी मीडिया प्रभारी सुभांकर रॉय ने दी। 

चित्रकला प्रतियोगिता के विजेताओं का किया गया सम्मान
भिलाई बंगाली समाज द्वारा विगत 18 दिसंबर को दुर्ग-भिलाई के 14 सेंटरों में आयोजित की गई ड्राइंग प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों का सम्मान स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर किया गय। विजेता प्रतिभागियों में ग्रुप ए में प्रथम तेजश्री साहू, द्वितीय सृष्टि त्रिपाठी, तृतीय नैतविक कर्मकार, ग्रुप बी में प्रथम अनन्या मिश्रा, द्वितीय अंगद सिंह सोनी, तृतीय आराध्या सिंह, ग्रुप सी में प्रथम महक मस्के, द्वितीय नव्या जैन, तृतीय नसरीन अंसरी तथा ग्रुप डी में प्रथम श्रेयश दास, द्वितीय अन्या रत्नानी तथा कीर्तना नायर तृतीय स्थान पर रहे। इसके साथ ही करीब 35 स्वांतना पुरस्कार बी बांटे गए। 


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