भिलाई नगर 5 फरवरी 2023 :! सेफी की मांग: इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय ही एक मात्र समाधान भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के निर्देशानुसार सेल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के महारत्न कंपनी को सरकार के इस्पात नीति 2030 के तहत क्षमता विस्तार हेतु निर्देशित किया गया है। इसके तहत सेल को विस्तारीकरण का बड़ा लक्ष्य दिया गया है जिसके तहत एक बड़ी राशि प्रतिवर्ष निवेश करने की बाध्यता है। सेफी का मानना है कि भविष्य में इस मद में की जाने वाली निवेश की राशि से आर.आई.एन.एल. एवं नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफ.एस.एन.एल. जैसी इकाईयों का रणनीतिक विलय कर जहां सेल के विस्तारीकरण के लक्ष्य को शीघ्र ही प्राप्त किया जा सकता है वहीं इन कंपनियों के कार्मिकों के हितों की रक्षा तथा क्षेत्र के सामाजिक दायित्वों का निवर्हन को भी प्राथमिकता देते हुए इसका बेहतर संचालन किया जा सकता है।
इन राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने से बचाया जा सकेगा जिससे इन इकाईयों से जुड़े परिवारों, समाजों को प्राप्त प्रत्यक्ष रोजगार तथा इससे सृजित अपरोक्ष रोजगार को सुरक्षित रखा जा सकेगा। सरकार का यह कदम जहां क्षेत्र के विकास में एक नई गति देगा वहीं बस्तर जैसे दुर्गम वनांचल क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक एवं अधोसंरचना विकास को दिशा दी जा सके। वर्तमान में भारत सरकार ने राष्ट्रीय एवं सामाजिक विकास को पहली प्राथमिकता दी है
अतःइस संदर्भ में इस तरह की रणनीतिक विलय से एक बड़े सार्वजनिक क्षेत्र का उदय होगा जो भारत सरकार के विकास की रणनीति को सफल बनाने में योगदान देगा। इस संदर्भ में ज्ञात हो कि भारत सरकार द्वारा इस तरह के रणनीतिक विलय बैंको में किया गया जहां इसका बेहतर परिणाम प्राप्त हुआ है।
सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात उपक्रमों के अधिकारियों का अपेक्स संगठन सेफी प्रारंभ से ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अंधाधुंध नीजिकरण एवं विनिवेश के स्थान पर, पुर्नगठन तथा रणनीतिक समायोजन पर जोर देता रहा है
सेफी ने नई दिल्ली में दिनांक 04.04.2021 को आयोजित सेफी काउंसिल की बैठक में इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय हेतु संकल्प पारित किया था। जिससे सेफी से संबद्ध इस्पात मंत्रालय के अधीन उपक्रम आर.आई.एन.एल., सेल, नगरनार इस्पात संयंत्र, एन.एम.डी.सी., मेकाॅन
आदि का रणनीतिक विलय कर इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत एक मेगा स्टील पीएसयू का गठन किया जा सके। सेफी के संकल्प को आधार बनाकर 15.12.2021 को लोकसभा
में इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय के विषय पर चर्चा की गई।
इस्पात क्षेत्र की सार्वजनिक उपक्रमों में पिछले 06 दशकों में देश केभिन्न स्थानों में इस्पात संयंत्रों के माध्यम से न सिर्फ रोजगार का सृजन किया है बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, आधारभूत इंफ्रास्ट्रक्चर तथा सीएसआर गतिविधियों के माध्यम से अपने आसपास के क्षेत्र का समग्र विकास किया है।आज देश में “मध्यम वर्ग“ के नाम से प्रसिद्ध, सुशिक्षित व सक्षम वर्ग मूलतः इसी प्रकार के सार्वजनिक उपक्रमों के कारण ही फलफूल पाया और देश की
आर्थिक, शैक्षणिक उन्नति का कारण बना। विकास के इस समावेशी माॅडल को बचाने की सख्त जरूरत है जिससे कि एक सक्षम नागरिक एक मजबूत राष्ट्र का
निर्माण कर सके। इस्पात क्षेत्र ने पिछले 60 वर्षों में राष्ट्र निर्माण
में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
विनिवेश किये जाने वाले इन इकाईयों की क्षमता पर अगर गंभीरतापूर्वक विचार करें तो इन इकाईयों के अलग-अलग क्षमताओं तथा उपलब्ध संसाधनों को मिलाकर एक लाभकारी रणनीति बनाई जा सकती है जिसमें इन इकाईयों को बेचने की आवश्यकता नहीं होगी। उदाहरण के लिए आज आरआईएनएल के पास कुशल व तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन उपलब्ध है परंतु इनके पास स्वयं का लौह अयस्क माइंस नहीं होने के कारण कच्चे माल की कमी तथा कच्चे माल को अधिक कीमत में खरीदने की बाध्यता ने इस कंपनी के लाभार्जन की क्षमता को न्यूनतम कर दिया है। वहीं एनएमडीसी के बस्तर में स्थापित नगरनार इस्पात संयंत्र के पास कच्चे माल की संपूर्ण उपलब्धता तो है परंतु इसे चलाने केलिए कुशल व तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन की उपलब्धता नहीं है।जिसके चलते इस संयंत्र की भी लाभार्जन क्षमता भारी रूप से प्रभावित हुई है। अतः इन इकाईयों के रणनीतिक विलय से जहां एक इकाई को कच्चा माल उपलब्ध हो पाएगा वहीं दूसरी इकाई को तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन मिलने में सहुलियत होगी। इस प्रकार दोनों ही कंपनियां एक दूसरे की पूरक बनकर लाभार्जन करने लगेगी जो भारत सरकार को आर्थिक संबलता प्रदान करेगा।इस क्रम में फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड जो कि इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के साथ अनेक परियोजनाओं में भागीदार है तथा पूर्व में शासन के द्वारा इस कंपनी का विलय सेल अथव आर.आई.एन.एल. में किये जाने केप्रस्ताव पारित किया गया था। परंतु वर्तमान में केन्द्र शासन ने फेरोस्क्रैप निगम के निजीकरण का निर्णय लिया है। फेरो स्क्रैप निगम को भी इसक्षरणनीतिक विलय में शामिल कर लाभार्जन की क्षमता को अधिक बढ़ाया जा सकता है।लाभार्जन की इस क्षमता को बढ़ाने हेतु आर.आई.एन.एल., नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफएसएनएल को बेचने के बजाए इनका रणनीतिक विलय महारत्न कंपनी सेल के साथ कर एक मेगा पीएसयू का निर्माण किया जाए।
इस प्रकार देश इस्पात क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर होने के साथ ही रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही सीएसआर गतिविधियों को भी गति प्रदान कर सामाजिक तथा सांस्कृतिक उत्थान के भारत सरकार के लक्ष्योंको भी तेजी से पूर्ण करना संभव हो सकेगा। इस रणनीतिक विलय से सरकार केविकास के एजेंडे को भी नई दिशा मिलेगी। दशकों के मेहनत से बनी इन राष्ट्रीय संपत्तियों को राष्ट्रहित में अक्षुण रखा जा सकेगा। सेफी ने विनिवेश हेतु प्रस्तावित आर.आई.एन.एल. एवं नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफएसएनएल का “स्ट्रेटेजिक मर्जर“ का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के समक्ष रखा है। यह प्रस्ताव इस्पात मंत्रालय एवं वित्त मंत्रालयको दिया जा चुका है।सेफी अध्यक्ष श्री नरेन्द्र कुमार बंछोर ने बताया कि प्रस्तावित संयंत्र एक दूसरे के अनुपूरक बन सकते हैं यदि सेल, आर.आई.एन.एल. व नगरनार इस्पात संयंत्र तथा एफएसएनएल को एक कंपनी बनाया जाता है तो इस कंपनी के पास उन्नत इस्पात संयंत्र तथा प्रचुर मात्रा में आयरन अयस्क और निर्यात हेतु स्वयं का पोर्ट उपलब्ध रहेगा जिससे यह कंपनी अत्यंत ही लाभप्रद होगी। अतःशासन को इसके निजीकरण के स्थान पर इसके पुर्नगठन व रणनीतिक विलय कर इसका सुनियोजित संचालन की कोशिश की जानी चाहिए।